वाराणसी: आईआईटी बीएचयू में एक नवंबर की रात 2:00 बजे छात्रा के साथ छेड़खानी की घटना हुई थी. इसको लेकर आक्रोशित हजारों की संख्या में छात्रों ने प्रदर्शन किया. 11 घंटे आईआईटी बीएचयू के छात्रों का प्रदर्शन चला. इसके बाद जिला प्रशासन के आश्वासन पर छात्रों ने अपना प्रदर्शन समाप्त किया. आईआईटी जिन साथ मुद्दों पर समझौता हुआ, उसमें एक मुद्दा यह भी था कि आईआईटी बीएचयू और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के बीच में एक दीवार खड़ी की जाएगी.
दीवार खड़ी करके आईआईटी बीएचयू के कैंपस को अलग किया जाएगा. इसके बाद बीएचयू और आईआईटी बीएचयू के छात्र आमने-सामने दिख रहे हैं. छात्र इस मुद्दे को लेकर दो हिस्सों में बंट गए हैं. बीएचयू के छात्रों का कहना है कि कुलपति की बगिया को किसी भी हाल में बंटने नहीं दिया जाएगा. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने बीएचयू के सेंटर ऑफिस के बाहर इसको लेकर विरोध प्रदर्शन किया.
छात्रों ने मांग की है कि जल्द से जल्द आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो. इसके साथ ही जो भी अधिकारी इसमें दोषी हैं, उनके खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन बड़ा एक्शन ले. छात्रों का यह भी कहना था कि किसी भी हाल में विश्वविद्यालय का विभाजन नहीं होने देंगे. क्योंकि यह कुलपति का सम्मान है. हाथों में वांट जस्टिस का पोस्टर लेकर छात्रों ने जमकर प्रदर्शन किया और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की.
BHU की छात्रा साक्षी सिंह ने बताया कि जिस तरह की घटना आईआईटी बीएचयू की छात्रा के साथ हुई है, वह बहुत ही गलत है. सरकार को जल्द से जल्द आरोपी को गिरफ्तार करना चाहिए. हमारी मांग है कि कुलपति की बगिया को किसी भी हाल में बंटने नहीं दिया जाएगा. अदिति मौर्य ने बताया कि इस तरह की घटना कैंपस में होना दुर्भाग्यपूर्ण है. दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. जिला प्रशासन को इस मामले पर बड़ा एक्शन लेना चाहिए.
छात्र आशीर्वाद दुबे ने कहा कि जिस तरह की घटना हुई है, यह बहुत ही दुखद है. इस समस्या का समाधान केवल एनकाउंटर है, न कि दीवार खड़ी करना.
वहीं अविनाश राय ने कहा कि प्रशासन सुरक्षा करने के बजाय बीएचयू को बांटने का काम कर रहा है. छात्र पतंजलि पांडेय ने कहा कि घटना से ध्यान हटाकर दीवार खड़ी करने की बात कही जा रही है.
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छात्र अभय सिंह ने बताया कि इस तरह की घटना कैंपस में पहली बार नहीं हुई है. कई बार हुई है. जिला प्रशासन और विश्वविद्यालय प्रशासन की कहीं न कहीं कमजोरी है. सुरक्षा पर करोड़ों रुपए खर्च होते हैं लेकिन, इस तरह की घटनाएं रुक नहीं रही हैं. हम चाहते हैं कि कुलपति की बगिया को बांटा न जाए, बल्कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो.