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मिलिंद परांडे बोले, भारत का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए था - वाराणसी में अखंड भारत संकल्प दिवस

काशी के संत अतुलानंद इंटर कॉलेज में मंगलवार को विश्व हिंदू परिषद ने अखंड भारत संकल्प दिवस मनाया. इस दौरान केंद्रीय मंत्री मिलिंद परांडे ने अपने संबोधन में अखंड भारत का सपना पूरा करने की बात कही.

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छात्र छात्राओं को संबोधित केंद्रीय मंत्री मिलिंद परांडे
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Published : Aug 16, 2022, 6:57 PM IST

वाराणसी: काशी के कोईराजपुर स्थित संत अतुलानंद इंटर कॉलेज में विश्व हिंदू परिषद द्वारा मंगलवार को अखंड भारत संकल्प दिवस का आयोजन किया गया. इस मौके पर विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री मिलिंद परांडे ने छात्र छात्राओं को संबोधित भी किया. उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व के कल्याण के लिए अखंड भारत के सपने को पूर्ण करना होगा. हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति उस पुण्य दीपक के समान है, जो अंधेरा रूपी बुराइयों को दूर कर मानवता की राह दिखाता है.

उन्होंने कहा कि महर्षि अरविंद ने अखंड भारत का जो सपना देखा था, उसे विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल पूर्ण करने के लिए प्रतिवर्ष अखंड भारत संकल्प दिवस मनाता आ रहा. भारत का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ, जो कदापि नहीं होना चाहिए था. तुष्टिकरण के कारण ही ऐसा हुआ. जिसमें 20 लाख हिंदू और 14 लाख मुसलमान बंधुओं की जान गई. इतनी बड़ी घटना सिर्फ गलत धारणा और वैमनस्यता के कारण हुई.

भारत खुद समूचे विश्व को अपना परिवार मान वसुधैव कुटुंबकम की बात करता है. उन्होंने कहा कि जब पृथ्वीराज चौहान अपना आखिरी युद्ध हार गए तो राजस्थान समेत तमाम इलाकों में लाखों लोगों को जबरन मुस्लिम बना दिया गया. बाद में विहिप ने वहां के डेढ़ लाख राजपूतों को वापस हिन्दू धर्म में लाने का काम किया. सनातन संस्कृति और हिन्दू धर्म गंगा की तरह अविरल निर्मल है, जो लोग सिर तन से जुदा की राह पर चल रहे एक दिन वे स्वयं समाप्त हो जाएंगे.

छात्र छात्राओं को संबोधित करते केंद्रीय मंत्री मिलिंद परांडे

यह भी पढ़ें: IIT BHU में अश्लील डांस पर एक्शन की तैयारी, डायरेक्टर को पत्र लिखकर की कार्रवाई की मांग

मिलिंद परांडे ने कहा कि हिंदू धर्म का इतिहास लाखों साल से विद्यमान है. जबकि ईसाई धर्म 2000 साल और इस्लाम 14 सौ साल साल पूर्व ही आया. उन्होंने सवाल किया कि जब मुस्लिम देश उम्मा के तहत एक हैं तो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अन्य मुस्लिम देशों में सर्वाधिक हत्या मुस्लिमों की ही क्यों हो रही है? इस दौरान संतुलन की डायरेक्टर डॉ. वंदना सिंह ने कहा कि बच्चों को हमेशा अपने बड़ों से सीखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बच्चों को किताबों में फ्रांस और रूस की क्रांति पढ़ाई जाती है. जबकि उन्हें भारत की क्रांति पढ़ाने की जरूरत है. सरकार को नई शिक्षा नीति में इसे शामिल करना चाहिए.

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वाराणसी: काशी के कोईराजपुर स्थित संत अतुलानंद इंटर कॉलेज में विश्व हिंदू परिषद द्वारा मंगलवार को अखंड भारत संकल्प दिवस का आयोजन किया गया. इस मौके पर विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री मिलिंद परांडे ने छात्र छात्राओं को संबोधित भी किया. उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व के कल्याण के लिए अखंड भारत के सपने को पूर्ण करना होगा. हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति उस पुण्य दीपक के समान है, जो अंधेरा रूपी बुराइयों को दूर कर मानवता की राह दिखाता है.

उन्होंने कहा कि महर्षि अरविंद ने अखंड भारत का जो सपना देखा था, उसे विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल पूर्ण करने के लिए प्रतिवर्ष अखंड भारत संकल्प दिवस मनाता आ रहा. भारत का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ, जो कदापि नहीं होना चाहिए था. तुष्टिकरण के कारण ही ऐसा हुआ. जिसमें 20 लाख हिंदू और 14 लाख मुसलमान बंधुओं की जान गई. इतनी बड़ी घटना सिर्फ गलत धारणा और वैमनस्यता के कारण हुई.

भारत खुद समूचे विश्व को अपना परिवार मान वसुधैव कुटुंबकम की बात करता है. उन्होंने कहा कि जब पृथ्वीराज चौहान अपना आखिरी युद्ध हार गए तो राजस्थान समेत तमाम इलाकों में लाखों लोगों को जबरन मुस्लिम बना दिया गया. बाद में विहिप ने वहां के डेढ़ लाख राजपूतों को वापस हिन्दू धर्म में लाने का काम किया. सनातन संस्कृति और हिन्दू धर्म गंगा की तरह अविरल निर्मल है, जो लोग सिर तन से जुदा की राह पर चल रहे एक दिन वे स्वयं समाप्त हो जाएंगे.

छात्र छात्राओं को संबोधित करते केंद्रीय मंत्री मिलिंद परांडे

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मिलिंद परांडे ने कहा कि हिंदू धर्म का इतिहास लाखों साल से विद्यमान है. जबकि ईसाई धर्म 2000 साल और इस्लाम 14 सौ साल साल पूर्व ही आया. उन्होंने सवाल किया कि जब मुस्लिम देश उम्मा के तहत एक हैं तो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अन्य मुस्लिम देशों में सर्वाधिक हत्या मुस्लिमों की ही क्यों हो रही है? इस दौरान संतुलन की डायरेक्टर डॉ. वंदना सिंह ने कहा कि बच्चों को हमेशा अपने बड़ों से सीखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बच्चों को किताबों में फ्रांस और रूस की क्रांति पढ़ाई जाती है. जबकि उन्हें भारत की क्रांति पढ़ाने की जरूरत है. सरकार को नई शिक्षा नीति में इसे शामिल करना चाहिए.

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