वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसके बाद सरकारी योजनाओं के सर्वे पर सवाल उठने लगे हैं. वाराणसी में एक कब्रिस्तान पर ही प्रधानमंत्री आवास योजना का पूरा का पूरा प्लान पास हो गया, मजे की बात तो यह है जब आवास बनने का काम शुरू हुआ तो जिन लोगों का कब्रिस्तान था. उन्होंने विरोध करना शुरू कर दिया. इसके बाद सरकारी महकमें में हड़कंप मच गया. वहीं, इस मामले में डूडा के अधिकारियों ने कहा कि उनका काम सिर्फ आवासों का आवंटन है, बाकी काम तहसील विभाग द्वारा कहकर पल्ला झाड़ लिया. हालांकि काम को रोक कर मामले की जांच पड़ताल की जा रही है.
काशी के सदर तहसील अंतर्गत फुलवरिया गांव में स्थित कब्रिस्तान में प्रधानमंत्री आवास योजना पास हो गई. यहां पीएम आवास योजना का काम शुरू हुआ तो इलाके के कन्नौजिया समाज के लोगों ने कब्रिस्तान की जमीन बताकर एकत्र हो गए. देखते ही देखते ग्रामीणों की भीड़ द्वारा काम को पूरी तरह से रोक दिया गया. सूचना पर वाराणसी डूडा के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए. डिस्ट्रिक कोआर्डिनेटर सोनू उपाध्याय ने बताया कि मकान का नोटिस देते हुए काम को रोक दिया गया.
प्रधानमंत्री आवास योजना बनने से रोका गया
फुलवारिया गांव के कन्नौजिया बस्ती के कब्रिस्तान में शनिवर को लोगों ने बन रहे प्रधानमंत्री आवास को रोक दिया. वहीं, यह आवास कब्र खोदने वाले परिवार की कांति को पास हुआ है. कांति ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह यहां 20 साल से रहते आ रही हैं. क्या वह सड़क पर रहेंगी. बहुत सारे नेता लोगों से आवास के लिए कहा गया, उनकी कोई नहीं सुन रहा है. अब उनका आवास पास हुआ तो वो भी लोग रोक रहे हैं.
वहीं, कन्नौजिया समाज की पार्वती ने बताया कि यह उनके समाज का कब्रिस्तान है. आज इधर आये तो पता चला कि यहां पीएम आवास बन रहा है जो कि गलत है. सरकार पीएम आवास के लिए बंजर जमीन दे. उन्होंने कहा कि ये लोग झूठ बोल रहे हैं. यहां रहते नहीं है. बस यहां कब्र खोदने के लिए आते हैं तो कभी-कभी 10 दिनों तक रुक जाते हैं. शासन को सही से आवंटन जांच पड़ताल के बाद करनी चाहिये.
डूडा के डिस्ट्रिक्ट कोआर्डिनेटर सोनू उपाध्याय ने बताया कि यहां आवास पास हुआ है, जिसकी पहली किश्त ढाई लाख रुपए मिलती है. यहां लोगों ने ऑब्जेक्शन किया है कि यह कब्रिस्तान की जमींन है. जिसपर मौके पर पहुंचकर आवास को रोक दिया गया. साथ ही इन्हें नोटिस दिया गया है. यदि जांच में सही पाया जाएगा तो पैसा रिफंड कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच तहसील के लेखपाल करते हैं. वही रिपोर्ट करते हैं तब आवंटन किया जाता है. वह जांच के लिए अधिकारियों को पत्र लिखेंगे. जांच में जो तथ्य सामने आएगा, उसी के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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