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काशी के साधु संत बिगाड़ सकते हैं नगर निगम चुनाव के समीकरण, शंकराचार्य के नेतृत्व में हुई बैठक - Swami Narendranand Saraswati Varanasi

वाराणसी में नगर निकाय चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज है. वाराणसी नगर निगम चुनाव को लेकर साधु संतों ने शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती के नेतृत्व में बैठक की.

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Published : Apr 26, 2023, 10:40 AM IST

शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती के नेतृत्व में बैठक

वाराणसीः धर्म और संस्कृत की राजधानी कहे जाने वाले काशी में भी नगर निगम चुनाव को लेकर राजनीतिक मौहाल गरम है. बुधवार को यहां साधु, संत, पुजारी, मठाधीश, दंडी, संन्यासी और महामंडलेश्वर ने एक साथ बैठक की. जिले की डुमराव बाग कॉलोनी स्थित सुमेरु पीठ आश्रम में निकाय चुनाव को लेकर यह बैठक की गई. इस बैठक में बनारस के विभिन्न मंदिरों, मठों और आश्रमों से सैकड़ों की संख्या में सन्यासी मौजूद रहे.

सुमेरू पीठाधीश्वर के शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती के नेतृत्व में नगर निगम चुनाव को लेकर चर्चा की गई. काशी को मंदिरों और गलियों का शहर कहा जाता है. ऐसे में विभिन्न गलियों में मौजूद प्रसिद्ध मंदिरों तक लोग के पहुंचने के साथ ही वहां रहने वाले पुजारियों और श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की समस्या न हो. इस बात को प्रमुखता से उठाया गया.

शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि नगर निगम चुनाव में जो मठ मंदिरों का हाउस टैक्स, बिजली टैक्स, जल निगम का टैक्स उसे माफ किया जाए. काशी पंचकोशी यात्रा के मध्य मांस मदिरा प्रतिबंधित हो. गंगा स्वच्छ हो, राष्ट्र का शांति और सद्भाव हो. महाभियोग गुंडों का दमन करें. ऐसी सरकार नगर निगम और राज्य में होनी चाहिए. बैठक में सभी साधु-संतों और सन्यासियों की यही मत रहा. काशी के 60 से ज्यादा मठ मंदिरों से आये सन्यासी और साधु इस बैठक में शामिल हुए.

कहा जा रहा है कि साधु-संतों की यह बैठक कहीं न कहीं राजनीतिक पार्टियों का समीकरण बिगाड़ सकती है. भारतीय जनता पार्टी का पिछले 25 वर्षों से मेयर पद पर कब्जा है. वहीं, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी की तरफ से दमदार प्रत्याशी मौदान में हैं. ऐसे में संतों की बैठक प्रत्याशियों के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है.

ये भी पढ़ेंः मेयर प्रत्याशी वंदना मिश्रा ने कहा- सपा ही करा सकती है लखनऊ का चहुंमुखी विकास

शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती के नेतृत्व में बैठक

वाराणसीः धर्म और संस्कृत की राजधानी कहे जाने वाले काशी में भी नगर निगम चुनाव को लेकर राजनीतिक मौहाल गरम है. बुधवार को यहां साधु, संत, पुजारी, मठाधीश, दंडी, संन्यासी और महामंडलेश्वर ने एक साथ बैठक की. जिले की डुमराव बाग कॉलोनी स्थित सुमेरु पीठ आश्रम में निकाय चुनाव को लेकर यह बैठक की गई. इस बैठक में बनारस के विभिन्न मंदिरों, मठों और आश्रमों से सैकड़ों की संख्या में सन्यासी मौजूद रहे.

सुमेरू पीठाधीश्वर के शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती के नेतृत्व में नगर निगम चुनाव को लेकर चर्चा की गई. काशी को मंदिरों और गलियों का शहर कहा जाता है. ऐसे में विभिन्न गलियों में मौजूद प्रसिद्ध मंदिरों तक लोग के पहुंचने के साथ ही वहां रहने वाले पुजारियों और श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की समस्या न हो. इस बात को प्रमुखता से उठाया गया.

शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि नगर निगम चुनाव में जो मठ मंदिरों का हाउस टैक्स, बिजली टैक्स, जल निगम का टैक्स उसे माफ किया जाए. काशी पंचकोशी यात्रा के मध्य मांस मदिरा प्रतिबंधित हो. गंगा स्वच्छ हो, राष्ट्र का शांति और सद्भाव हो. महाभियोग गुंडों का दमन करें. ऐसी सरकार नगर निगम और राज्य में होनी चाहिए. बैठक में सभी साधु-संतों और सन्यासियों की यही मत रहा. काशी के 60 से ज्यादा मठ मंदिरों से आये सन्यासी और साधु इस बैठक में शामिल हुए.

कहा जा रहा है कि साधु-संतों की यह बैठक कहीं न कहीं राजनीतिक पार्टियों का समीकरण बिगाड़ सकती है. भारतीय जनता पार्टी का पिछले 25 वर्षों से मेयर पद पर कब्जा है. वहीं, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी की तरफ से दमदार प्रत्याशी मौदान में हैं. ऐसे में संतों की बैठक प्रत्याशियों के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है.

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