वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को वाराणसी में थे. एक दिवसीय दौरे पर उन्होंने वाराणसी को करोड़ों की योजनाओं की सौगात दी. इस दौरान उन्होंने काशी सांसद सांस्कृतिक महोत्सव में प्रथम स्थान पाने वाले लोगों को पुरस्कार दिया. मगर, ये आयोजन विवाद में बदल गया. कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले कलाकारों ने आरोप लगाया कि हमारे साथ इस कार्यक्रम में गलत हुआ. हमने अपना परफॉर्मेंस दिया. प्रथम स्थान पर आए थे, लेकिन हमें पीएम मोदी के हाथों पुरस्कार नहीं दिलाया गया. कार्यक्रम स्थल पर बैठने भी नहीं दिया गया. ऐसी ही शिकायत ट्रांस कलाकारों की भी है.
कलाकारों ने जताया विरोध : मंचदूतम के कलाकारों का कहना है कि हमने गंजारी में प्रस्तुति दी थी. हमने काशी सांसद सांस्कृतिक महोत्सव में प्रथम स्थान प्राप्त किया था. पीएम मोदी से सम्मान दिलाने का वादा था, लेकिन हमें कार्यक्रम में बैठने भी नहीं दिया गया. इसके साथ ही ट्रांस कलाकारों ने आरोप लगाया है कि हमने अपना परफॉर्मेंस दिया था, लेकिन हमें पीएम मोदी के हाथों पुरस्कार नहीं दिलाया गया. इतना ही नहीं मंच से यह भी नहीं बताया गया कि ट्रांस कलाकारों ने भी परफॉर्मेंस किया था. इस बात से नाराज कलाकारों ने इसका विरोध जताया है.
अचानक से सबकुछ बदल दिया गया : मंचदूतम की कलाकार और प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव ज्योति ने नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा, 'हम लोग ब्लॉक लेवल पर प्रथम आए. जिला स्तर पर प्रथम आए. मेरी बेटी का केंद्रीय विद्यालय में एक्जाम चल रहा था. मैंने उसका एक्जाम छुड़वाया है. कार्यक्रम में हम लोगों को बताया गया था कि आप को एक से लेकर दस तक की सीट दी जाएगी. हमसे कहा गया था कि पीएम मोदी आएंगे और उन्हें छूना नहीं है. मगर अचानक से सबकुछ बदल दिया गया. हमसे कहा गया कि आपका यहां पर कोई काम नहीं है. इसके बाद हमसे कहा गया कि आपको गंजारी में परफॉर्म करना है. हमें यहां से उठाकर फेंक दिया गया.
हमने परफॉर्मेंस के लिए रिहर्सल किया था : प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव ने बताया कि यहां पर 30 साल से वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर व्यक्ति हैं. उनको भी किसी ने कुछ नहीं ने समझा. यहां के प्रशासन ने हमारे साथ बहुत गलत किया है. मैं एक सिंगल मदर हूं. अपने परिवार से अलग रह रही हूं. मैं काम करते हुए मेरी बेटी का ध्यान रख रहीं हूं. सात साल से हमारा ग्रुप काम कर रहा है. हम लोगों ने पीएम मोदी के आने के लिए रिहर्सल भी किया. बाद में हमसे कहा गया कि आप लोगों का कोई काम नहीं है. आप लोग बार-बार हमें फोन कर के परेशान कर रहे हैं.
पीएमओ से स्क्रिट मिली, उसे ही गलत कह दिया : मंचदूतम के कलाकारों ने बताया कि हमारे पास पीएमओ से 'धरती करे पुकार' नाम से स्क्रिप्ट आई थी. हमारे पास उस नाटक की स्क्रिप्ट अभी भी रखी है. हमने उस नाटक को परफॉर्म किया और सभी को वो नाटक अच्छा लगा. अब हमसे बोला जा रहा है कि आपकी स्क्रिप्ट गलत थी. असल बात यह है कि वह हमारी स्क्रिप्ट है ही नहीं. वह तो पीएमओ की तरफ से आई है. हमने गंजारी में उस नाटक को परफॉर्म किया. उसकी हमें तारीफ मिली है. हमें अब वहां से भगाया जा रहा है. हमारे ऊपर नहीं कम से कम बच्चों पर तो तरस खाया होता. हमें न सही बच्चों को पुरस्कार दिया होता.
बच्चों ने कहा- हमारे साथ चीटिंग हुई : मंचदूतम के ही एक कलाकार बच्चे ने बताया कि वह अपना स्कूल छोड़कर आते थे. मम्मी उन्हें भेजती भी थीं. हम रुद्राक्ष में आए थे परफॉर्मेंस करने. फिर यहां पर एक गुंजन सर हैं. उन्होंने कहा कि इन लोगों का परफॉर्मेंस गंजारी में होगा. इसके बाद हम लोगों ने गंजारी में परफॉर्में किया. हम लोगों से कहा गया कि पीएम मोदी के हाथ से पुरस्कार दिया जाएगा. मगर अचानक से सबकुछ बदल दिया गया. एक बच्ची ने कहा कि हमारे साथ चीटिंग हुई है. जैसा कहा गया वैसा कुछ नहीं हुआ. कलाकारों का कहना है कि स्क्रिप्ट पीएमओ से आई. हमें सेलेक्ट किया गया. उसके बाद भी पीएम मोदी ने मिलने नहीं दिया गया.
पीएम मोदी से सम्मानित कराने को कहा गया था : किन्नर समाज की निहारिका ने बताया कि किसी भी आयु वर्ग के लोग वहां पर परफॉर्मेंस कर सकते हैं. उसके लिए कोई अलग नियम नहीं था. मैं वहां पर गई और अपना परफॉर्मेंस दिया. मैं नृत्य और ट्रांस कैटेगरी में प्रथम स्थान पर आई. मुझसे कहा गया कि आपको पीएम मोदी से सम्मान मिलेगा. मगर सिर्फ स्मृति चिन्ह दिया गया. इसके बाद कहा गया कि 23 तारीख को पीएम मोदी सम्मानित करेंगे. मैं 23 को भी गई. वहां पर महिलाओं और पुरुषों का सम्मान हुआ. उन्होंने न ट्रांस का नाम लिया और न ही हमारा कोई कार्यक्रम रखा. वहां पर अन्य का कॉलम फिर क्यों दिया गया था? क्यों बोलते हैं किन्नरों को सम्मान मिला?
मंच से ट्रांस का नाम भी नहीं लिया : निहारिका ने अपना स्मृति चिन्ह गंगा में बहा दिया. उन्होंने कहा कि मैं कथक आर्टिस्ट हूं. मैंने फोल्क नृत्य किया था. मैंने इस कार्यक्रम में पहला स्थान प्राप्त किया था. हम पीएम मोदी के कार्यक्रम में गए थे. वहां पर ट्रांस का नाम भी नहीं लिया गया कि हमने भी पार्टिसिपेट किया था. जो स्पीच दे रहीं थीं उन्होंने भी नाम नहीं लिया. हमारी मांग यही है सरकार से की अगर नाम लेते हो हमारा तो हमें सम्मान दो. हमें एक अलग कैटेगरी में सम्मान दो. हम लोग भी सरकार को वोट देते हैं. हम भी सरकार को उतना ही सम्मान देते हैं. किसी को बुलाकर ऐसे अपमानित करना बहुत ही गलत है.
पुरस्कार के लिए 458 कलाकारों का किया गया था चयन : महोत्सव की जिम्मेदारी देख रहे एक अधिकारी ने इस मामले में कहा कि पुरस्कार के लिए कुल 458 कलाकारों का चयन किया गया था. प्रधानमंत्री के मंच पर क्या एक साथ इतने कलाकारों को ले जाना संभव था? प्रधानमंत्री द्वारा इतने कलाकारों को एक साथ सम्मानित करना संभव था?, उन्होंने बताया कि जितने भी कलाकारों ने काशी सांसद सांस्कृतिक महोत्सव में जीत दर्ज की है. उन सभी को सम्मानित किया जाएगा. इसके लिए बीएसए की तरफ से जल्द ही सभी को सूचना भेजी जाएगी. इतने बड़े स्तर पर एक ही मंच पर सभी को सम्मानित करना संभव नहीं था.
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