वाराणसी : शहर बनारस में इन दिनों बंदरों का उत्पात बढ़ता ही जा रहा है. गलियों कॉलोनियों और सड़कों पर बढ़ रहे बंदरों के उत्पात की सूचना नगर निगम वाराणसी को भी दी गई है. इसके बाद निगम इसे लेकर प्लान तैयार कर रहा है, लेकिन अलग-अलग हिस्सों में बंदरों की बढ़ रही समस्या से निजात पाने के लिए लोग अपने तरीके से प्रयास भी कर रहे हैं, लेकिन बनारस के नाटी इमली और उससे जुड़े तमाम इलाकों में लोगों का किया जा रहा प्रयास इन दिनों चर्चा का विषय बन गया है. चर्चा इसलिए कि लोगों ने अपने घर की छतों बालकनी और घर की खिड़कियों के बाहर लंगूर के कटआउट कुछ इस अंदाज में लगा दिए हैं, जो बंदरों को उनके घरों से दूर रखने में बड़ा रोल अदा कर रहे हैं.
दरअसल लंगूर कटआउट की शुरुआत वाराणसी के नाटीइमली मोहल्ले से हुई है. जिसे एक आर्टस के प्रिटिंग प्रेस मालिक ने शुरू किया. बंदरों का कटआउट तैयरा करने वाले राघवेंद्र यादव ने बताया कि वाराणसी में बंदरों के आतंक से बचने के लिए लोग लाखों रुपये की ग्रिल ओर बंद जाली लगवाते हैं, लेकिन फिर भी बंदरों के आतंक से छुटकारा नहीं मिलता है. तभी उनके दिमाग में ये आइडिया आया क्यों न कुछ ऐसा किया जाए जिससे इस समस्या से लोगों को थोड़ी राहत मिले.
उन्होंने बताया कि उन्होंने लगूंर का कटआउट तैयार करने का सोचा, क्योंकि बंदर लगूंर से डरते हैं. उन्होंने पहले इसकी शुरुआत अपने छत से की तो उन्होंने देखा कि बंदर काफी दूरी पर होने के बावजूद लंगूर कटआउट को देख कर करीब नहीं आ रहे थे. तभी उन्हें लगा कि ये आइडिया सक्सेस हो सकता है. इसके बाद उन्होंने कई लंगूर के कई कटआउट तैयार किए जिसका काफी अच्छा रिस्पॅान्स भी मिल रहा है.
राघवेंद्र ने बताया कि एक कटआउट की कीमत 700 रुपये है. लोग लंगूर के कटआउट का आर्डर भी देकर बनवा रहे हैं. ऑर्डर के मुताबिक ही लंगूर के कटआउट की सप्लाई हो रही है और अभी तक 500 से ज्यादा पीस लंगूरों के कटआउट बेचे जा चुके हैं. हर रोज 12-15 कटआउट बिक रहे हैं. वहीं बंदरों से परेशानी को देखते हुए काफी लोग कटआउट लेने पहुंच रहे हैं. झुंड में आने वाले ये बंदर लंगूर समझकर अपना रास्ता बदल दे रहे हैं.
यह भी पढ़ें : लखनऊ नगर निगम की संपत्तियों पर अवैध कब्जा हटाने के लिए सैटेलाइट से सर्वे शुरू