वाराणसी : बैंड बाजा बारात और शादी विवाह के सीजन अब 48 दिन बाद देखने को मिलेंगे. शुभ कार्यों की शुरुआत भी अब 48 दिन बाद होगी, क्योंकि बुधवार से खरमास शुरू होने के साथ ही इस पर भी रोक लग गई है.
सूर्य 15 मार्च बुधवार को सुबह 8.59 बजे कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवेश कर गएं हैं और खरमास शुरू हो गया है. सूर्य अब 14 अप्रैल की शाम 5.04 बजे मीन राशि से मेष राशि में जाएंगे और खरमास की समाप्ति होगी, लेकिन खरमास खत्म होने के बाद भी लगन मुहूर्त के लिए 18 दिन यानी आज से पूरे 48 दिन तक अब बैंड बाजे का शोर नहीं सुनाई देगा.
इस बारे में पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि धनु व मीन राशि का स्वामी ग्रह देवगुरु बृहस्पति को माना जाता है, जो मांगलिक कार्यों के कारक होते हैं. इनकी राशि पर सूर्य का जब संचरण होता है तो उसे खरमास कहा जाता है. इस अवधि में शादी-विवाह समेत मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं. गुरु चैत्र शुक्ल दशमी 31 मार्च की भौर 4.26 बजे अस्त हो जा रहे हैं. उनका उदय वैशाख शुक्ल नवमी 29 अप्रैल को दोपहर 3.44 बजे जरूर हो जाएगा, लेकिन बाल्यावस्था खत्म होने पर दो मई से लगन-मुहूर्त मिलेंगे और 29 जून तक चलेगा. इन 45 दिनों में 36 दिन शुभ मुहूर्त मिलेंगे जो शादी विवाह व अन्य शुभ कार्यों के लिए उत्तम होंगे.
पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि 29 जून से चातुर्मास आरंभ हो जाएगा. इससे फिर चार माह के लिए विवाह आदि समेत मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा. हालांकि इस बार अधिक मास लगने से सावन मास की वृद्धि है. इससे चातुर्मास के दौरान दो सावन होंगे. जिससे एक माह बढ़ जाएगा. इस तरह पांच मास का चातुर्मास इस वर्ष होगा. इस तरह लगन मुहूर्त के सीजन के लिए एक बार फिर इंतजार करना पड़ेगा. चातुर्मास की समाप्ति कार्तिक शुक्ल एकादशी यानि हरिप्रबोधिनी एकादशी को होगी जो 23 नवंबर को पड़ रही है और इस दिन से ही विवाह आदि कार्य शुरू होंगे. इसके बाद फिर 17 दिसंबर से खरमास लग जाएगा.