वाराणसी: तुर्की-सीरिया में आए भीषण भूकंप में 12 दिन राहत-बचाव कार्य के बाद स्वदेश लौटी वाराणसी एनडीआरएफ टीम का शुक्रवार को चौकाघाट स्थित सांस्कृतिक संकुल बटालियन ने पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया. एनडीआरएफ की 52 सदस्यीय टीम के साथ डाग स्क्वायड टीम को माल्यार्पण कर राज्यमंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र, कमिश्नर कौशलराज शर्मा, कमांडेट मनोज कुमार शर्मा ने जवानों का बड़े जोश के साथ स्वागत कर कहा कि काशी का नाम रोशन हुआ है.
तुर्की भेजी गई टीम के सदस्य डिप्टी कमांडेंट अभिषेक कुमार ने बताया कि यह एक यूनिक अनुभव रहा. इससे पहले हम लोगों ने एक 2 स्ट्रक्चर गिरे हुए देखे थे. यहां तो पूरा शहर ही तहस नहस हो गया था. चारों तरफ लोग कहीं-कहीं ही थे. उन्होंने बताया कि वहां जाकर काम करना यहां के मौसम के बिल्कुल विपरीत रहा. वहां का तापमान माइनस 9 डिग्री था. लेकिन भारत सरकार द्वारा हर सुविधा पूरी टीम को उपलब्ध कराई गई थी. हमारी एनडीआरएफ की टीम ने वहां दो बच्चियों को बचाया साथ ही 80 से ज्यादा शवों को दबी इमारतों से निकाला था. वहां बचाई गई दो बच्चियों में से एक लगभग 12 वर्ष और एक लगभग 6 महीने की थी. उस 6 महीने की बच्ची को उसकी मां ने गोद मे ले रखा था. जबकि बच्ची के मां की मृत्यु हो चुकी थी. जब उन्होंने बच्ची की मां का हाथ हटाया तो उसकी गोद से 6 माह की बच्ची जिंदा निकली थी.
एनडीआरएफ के कमांडेंट मनोज कुमार शर्मा ने कहा कि हम बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. हमारे एनडीआरएफ की 16 बटालियन में से ये हमारी एक बटालियन है. हमारे हर एक बटालियन में कुल 18 टीमें होती हैं. जिनमें से 3 टीमों को चुना गया था. उन 3 टीमों में से एक टीम हमारी थी. ये हमारे लिए गर्व की बात है. आज हमारी बटालियन का नाम रोशन हुआ है. हमारे अंदर एक आत्मविश्वास आया है कि कितनी भी कठिन परिस्थितियां में भी हमारी टीम अपने कार्य को अंजाम दे सकती है.
मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा ने कहा कि वाराणसी की 11 एनडीआरएफ इकाई को तुर्की में आए भूकंप में रेस्क्यू राहत के लिए भेजा गया था. टीम ने सफलतापूर्वक अपना कार्य कर वाराणसी वापस आई है. उसी टीम का आज नागरिक अभिनंदन और यूनिट में स्वागत करते हुए गर्व की अनूभूति हो रही है. उन्होंने कहा कि वाराणसी की टीम को चयनित कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुर्की भेजा था. “वसुधैव कुटुंबकम्” की जो भावना होती है, जिसके अंतर्गत पूरा विश्व एक परिवार है. उस भावना को दर्शाते हुए देश के लिए दूसरी जगह कार्य कर सफलता पूर्वक वापस लौटी है. हजारों मौतों और घायलों की चीख पुकार के बीच भारत से भेजे गये इन जवानों ने पूरी निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य को पूरा किया है. इससे काशी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और देश का नाम रोशन हुआ है.