वाराणसी: नगर निगम की अनोखी पहल ने यह साबित किया है कि देश के साथ अब काशी भी बदल रहा है. ताजा उदाहरण देव दीपावली को जले हुए 15 लाख दीयों का है, जो अब कचरा होने के बावजूद नगर निगम को आर्थिक सहायता प्रदान करने वाले हैं. इस बदलाव में सबसे बड़ा हाथ नगर निगम का ही है, जो जले हुए दीयों को रि-साइकिल कर उन्हें ईंट व टाइल्स में तब्दील कर रहा है. इस रिपोर्ट में देखिए कैसे होता है रि-साइकिल.
कचरे में नही डंप होंगे दीये
हर बार की तरह इस बार भी देव दीपावली पर काशी को दुल्हन की तरह सजाया गया और 15 लाख दीयों से मां गंगा का अद्भुत श्रृंगार किया गया जिनकी रोशनी से पूरी काशी जगमग हो उठी. मगर, गौर करें तो दीपक जलने के बाद दूसरे दिन बेकार हो जाते थे. यह हर साल की कहानी थी लेकिन इस बार तस्वीर बदल गई और जो दीये कचरा और गंदगी की वजह बनते थे आज वह फिर से अलग-अलग वस्तुओं के बीच में नजर आएंगे.
जी हां, नगर निगम अब इन दीयों को रि-साइकिल कर रहा है. इसके लिए बकायदा प्लांट भी लगाए गए हैं. बड़ी बात यह है कि इसकी प्लानिंग नगर निगम ने देव दीपावली से पहले ही कर ली थी, जिसके तहत देव दीपावली के दूसरे दिन सुबह ही 15 लाख दीयों को एकत्रित कर वाराणसी के रमना प्लांट पर भेज दिया गया.
अधिशासी अभियंता अजय राम ने बताया कि इस बड़े कार्यक्रम के बाद दीये के मलबे को हटाने में अच्छा खासा खर्च का करना पड़ता है. ऐसे में मलबा प्रसंस्करण योजना के अंतर्गत दीयों के मलबे से टाइल्स व अन्य सामग्री बनाई जा रही है. इसे बेचने से नगर निगम को आर्थिक लाभ मिलेगा और नगर निगम के कोष को खासा फायदा होगा.
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बता दें कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब धार्मिक आयोजनों से होने वाले कचरे को एक आर्थिक विकल्प के तौर पर लिया गया. इसमें कोई दो राय नहीं कि यूपी के कूड़ा प्रबधंन के कारण ये नई योजना धरातल पर उतर कर आई और इस योजना की नई तस्वीर जो सामने आ रही है. उससे साफ है कि देश के साथ-साथ काशी की सूरत भी बदल रही है.
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