वाराणसी: 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर के भव्य उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा समारोह का अंतिम दिन होगा. इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या पहुंचकर रामलला को नए मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित करेंगे. इसके लिए मंगलवार से ही अनुष्ठान की शुरुआत हो चुकी है. लगातार अनुष्ठान चलते रहेंगे और यहां पर बने अलग-अलग 9 हवन कुंड में आहुतियां भी दी जाती रहेंगी, लेकिन 22 तारीख को मुख्य आयोजन के पूर्ण होने के बाद पूरे कार्यक्रम की पूर्णाहुति यानी समापन भी संपन्न होगा.
इसके लिए कुछ विशेष तरह के हवन कुंड में इस्तेमाल होने वाले सामग्री को पहले ही यहां से भेजा जा चुका है. लेकिन एक विशेष सामग्री भी काशी में अंतिम समय में तैयार करवाई गई है. जिसका इस्तेमाल हवन की पूर्णाहुति में किया जाएगा. सबसे खास बात यह है कि इस लकड़ी की हवन सामग्री में चांदी और सोना लगवाया गया है, ताकि शुद्धता बनी रहे.
दरअसल वाराणसी के बर्तन बनाने वाले लालू वर्मा और हवन सामग्री तैयार करने वाले सूरज विश्वकर्मा ने राम मंदिर के अनुष्ठान की सारी चीजों को काशी सहित तैयार किया है. यह सारी सामग्री लेकर मुख्य आचार्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित, गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ अयोध्या पहुंच चुके हैं और वह अनुष्ठान का हिस्सा भी हैं. इन सब के बीच मुख्य अनुष्ठान की पूर्ण होती के लिए तैयार किए गए यज्ञशाला में इस्तेमाल होने वाले वशोधारा की तस्वीर ईटीवी भारत के पास मौजूद है.
लगभग 4 फीट लंबे इस हवन पात्र को विशेष शुद्ध लड़कियों से तैयार किया गया है. इसे बनाने में लगभग 20 दिन का वक्त लगा है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस पात्र में ऊपर की तरफ चांदी और सोने की पत्तर लगाई गई है. इसे तैयार करने वाले दोनों कारीगरों का कहना है कि इसका इस्तेमाल अंतिम दिन यज्ञ की पूर्णाहुति यानी यज्ञ पूर्ण होने के बाद किया जाएगा. इसमें घी एवं अन्य सामग्री भरकर हवन कुंड में अर्पित की जाएगी.
इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हवन कुंड में मौजूद होना होगा, क्योंकि अंतिम दिन के कार्यक्रम के मुख्य यजमान वही होंगे इसलिए पीएम मोदी के हाथों पूरा होती होने वाले इस आयोजन के लिए इस विशेष हवन लकड़ी के पात्र को तैयार किया गया है. जिसमें आगे चांदी और बीच में सोना लगाया गया है. लालूवर्मा का कहना है कि इसमें लगभग पांच हजार की चांदी और तीन हजार के सोने का छोटा सा हिस्सा लगाया गया है और यह भी अयोध्या भेजा जा चुका है.
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