वाराणसी : शुगर है, घटता-बढ़ता रहता है, तमाम दवाओं के बावजूद इससे छुटकारा नहीं मिल पा रहा है तो फिक्र करने की जरूरत नहीं है. पंचकर्म की विरेचन विधि मधुमेह से छुटकारा दिलाने में काफी कारगर है. इस विधि से शुगर को बेहतर तरीके से कंट्रोल किया जा सकता है. खास बात यह है कि महज 21 से 36 दिन में इसका फायदा नजर आने लगता है. शुगर के 60 मरीजों पर पंचकर्म की विरेचन विधि का शोध किया जा चुका है. इसमें यह विधि काफी असरदार साबित हुई.
मौजूदा समय में मधुमेह एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रहा है. हर उम्र के लोग इससे प्रभावित हैं. ऐसे में वाराणसी के आयुर्वेद महाविद्यालय में मधुमेह को लेकर के एक खास शोध किया गया है. इसमें यह बात निकलकर सामने आई है कि पंचकर्म की विरेचन विधि से शुगर से लोगों को आजादी मिल सकती है. पंचकर्म की विरेचन पद्धति अन्य तरीके के मुकाबले सबसे अधिक कारगर भी है. इस विधि से मरीज का मधुमेह बेहतर तरीके से कंट्रोल किया जा सकता है. महज 21 से 36 दिनों में ही इसका फायदा दिखने लगता है, जबकि अन्य दवाओं का इतना असर देखने को नहीं मिलता है. 60 मरीजों पर पंचकर्म विरेचन विधि का सफल शोध भी किया जा चुका है.
आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने किया शोध : गलत लाइफस्टाइल कई बीमारियों को जन्म दे रही है. सबसे ज्यादा लोग शुगर की चपेट में आ रहे हैं. शुगर की समस्या सिर्फ बुजुर्गों में ही नहीं बल्कि युवाओं में भी तेजी से बढ़ती जा रही है. इस बीमारी पर लगाम लगाने के लिए बाजार में काफी दवाइयां भी उपलब्ध हैं, लेकिन ये काफी कारगर नहीं मानी जाती हैं. वाराणसी के आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने एक शोध किया है. इसमें पंचकर्म की विरेचन पद्धति से शुगर पर कंट्रोल पाने का तरीका खोजा गया है. यह मरीजों पर कारगर भी है.
देश में 10 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित : वाराणसी के राजकीय आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के प्रवक्ता डॉ. अजय गुप्ता ने इस शोध के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि डायबिटीज आजकल की सबसे ज्वलंत समस्या है. अभी पिछली साल एक डाटा आईएसएमआर के द्वारा पब्लिश हुआ था. अगर हम उस सर्वे डाटा की बात करें तो वर्तमान में अभी 10 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं. यह आंकड़ा सिर्फ अपने देश का है. इससे कहीं ज्यादा लोग प्री-डायबिटीज की हालत में हैं. इसमें से अधिकांश लोग एलोपैथिक दवाओं का सेवन भी करते हैं. उसके बाद भी उतना बेहतर तरीके से कंट्रोल नहीं हो पाता है. यह एक लाइफस्टाइल डिसऑर्डर है. इसमें केवल दवाओं पर निर्भरता से आप उसे कंट्रोल नहीं कर सकते हैं.
आयुर्वेद और पंचकर्म एक बेहतर विकल्प : डॉ. अजय गुप्ता बताते हैं 'अगर कोई डायबिटीज को बेहतर तरीके से कंट्रोंल करना चाहता है तो आयुर्वेद और पंचकर्म एक बेहतर विकल्प हैं. पंचकर्म डायबिटीज को लेकर रिसर्च बहुत कम हुए हैं. कुछ राष्ट्रीय स्तर के जो संस्थान हैं वहां पर एक-दो रिसर्च हुए हैं. वाराणसी की बात करें तो ऐसा पहला मामला है, जिसमें डायबिटीज के मरीज पर संशोधन चिकित्सा ट्राई किया गया. इसमें हमने विरेचन थेरेपी का प्रयोग किया है. संशोधन चिकित्सा में जो वात, पित्त, कफ का सिद्धांत है, उसके माध्यम से हम लोग दोषों का सोधन करते हैं. इसमें काफी हद तक शुरुआती दौर में ही मधुमेह कंट्रोल हो जाता है. यहां पर हम लोग नेचुरल रिसोर्सेज का ही प्रयोग करते हैं.'
मरीजों पर किया जा चुका ट्रायल : डॉ. अजय गुप्ता ने बताया, 'अगर हम दूसरे स्टेट की बात करें तो वहां पर ज्यादातर सिंथेटिक केमिकल्स का प्रयोग किया जाता है. जो नेचुरल रिसोर्सेज हैं उनके साइड इफेक्ट नहीं होते हैं और बेहतर तरीके से हमारे शरीर के मेडाबोलिज्म को कंट्रोल करते हैं. हमने जो विरेचन कर्म की थेरेपी की है, इसमें कंपरेटिव ग्रो स्टडी भी किया था. इसमें एक औषधि होती है प्रमयगज केसरी, जिसका पहले से ट्रायल मौजूद है. उसकी तुलना में हम लोगों ने विरेचन थेरेपी का प्रयोग किया था. इस थेरेपी में समय थोड़ा सा ज्यादा लगता है. लगभग 22 दिन तक लगते हैं. हालांकि असर 21 दिन में ही दिखने शुरू हो जाते हैं. हमने में नए केस, जिनमें अभी हाल ही में डायबिटीज का पता चला है या फिर जिनमें शुगर वैल्यू ज्यादा नहीं है, उनपर ट्रायल किया.
30-30 के दो ग्रुप के 60 रोगियों पर किया गया शोध : डॉ. ने बताया कि 'हमारा जो क्राइटेरिया सेट था उसमें हमने फास्टिंग 200 तक का टारगेट लिया था और पीपी का 300 तक का टारगेट था. जो इससे नीचे थे उन्हीं रोगियों को हमने चुना था. लगभग 60 रोगियों पर हमने शोध किया था. यह शोध दो साल तक चला. एक मरीज में लगभग एक महीने तक का समय लगा. एक महीने के बाद जब हमने कंपरेटिव स्टडी की, ट्रीटमेंट के पहले और बाद में, उसमें जो परिणाम थे वे बहुत की सकारात्मक मिले. अभी भी कुछ मरीज फॉलोअप मे आते हैं, जिनका शुगर लेवल अभी तक कंट्रोल चल रहा है.' इस शोध के बारे में शोधार्थी डाक्टर ज्योति कौशिक ने बताया 30-30 मरीजों के दो ग्रुप बनाकर शोध किया गया था.
विरेचन पद्धति मरीजों के लिए आसान प्रक्रिया : डॉ. ने बताया, 'पहले ग्रुप पर प्रमयगज केसरी और दूसरे ग्रुप पर विरेचन पंचकर्म का प्रयोग किया था. हमें इस शोध के द्वारा यह देखना था कि जो विरेचन है वह कैसे इफेक्टिव हो सकता है. हमें प्रमयगज केसरी का इफेक्ट पता ही है. मगर विरेचन का भी प्रभाव मधुमेह पर देखना था.' डॉ. ज्योति कौशिक ने बताया, 'विरेचन पद्धति में मरीज को बहुत जोर नहीं लगाना पड़ता है. खर्च भी इसमें कम आता है. इसमें अस्पताल भी कम ही आना पड़ता है. इसमें सबसे पहले मरीज की अग्नि को (पेट की दिक्कतों को) ठीक करने के लिए पहले दो या तीन दिन के लिए दीपन-पाचन दिया जाता है. मैंने इसमें वैषवण्य चूर्ण और सुंठि चूर्ण का प्रयोग किया था.
विरेचन पद्धति में 68 फीसदी मरीज पर दिखा असर : डॉ. ज्योति कौशिक ने बताया, 'सात दिन के लिए मरीज को घृतपान कराया जाता है. मरीज को समझा दिया जाता है कि घर पर रहकर उसे किस तरीके से घी पीना है. मरीज की स्थिति के अनुसार घी की मात्रा बढ़ाकर उसे सेवन करने के लिए कहा जाता है. विरेचन में सफलता का रेट ज्यादा देखने को मिला है. प्रमयगज केसरी का सेवन करने वाले 30 में से 21 फीसदी मरीज ऐसे हैं जिनमें शुगर लेवल डाउन हुआ है. वहीं विरेचन में 68 फीसदी मरीज ऐसे थे, जिनमें हमें शुगर डाउन देखने को मिला है. मैंने इस शोध का 36 दिन का ट्रायल पीरियड रखा था. इसमें विरेचन का पहला फॉलोअप 21वें दिन रखा गया था. दूसरा फ़ॉलोअप 36वें दिन रखा गया था.'
क्या है शोधन चिकित्सा, कैसे करता है काम : शोधन चिकित्सा पंचकर्म का उपचार है. इसमें विरेचन कर्म एक ऐसी पद्धति है जो व्याधि में काम करती है. इस पद्धति में शरीर को विषों को बाहर निकालकर शुद्ध किया जाता है. इसी पद्धति के माध्यम से रोगों को दूर किया जाता है. आयुर्वेद से मुताबिक यह शरीर शोधन की प्रक्रिया है. यह स्वस्थ मनुष्य के लिए भी फायदेमंद है. यह चिकित्सा शरीर को वात, पित्त और कफ रोगों को बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करती है. इसमें से ही एक बीमारी मधुमेह है, जिसे ठीक करने के लिए विरेचन पद्धति सबसे कारगर साबित हुई है. वाराणसी में डॉक्टर्स ने शोध में यह खुलासा किया है कि विरेचन पद्धति के माध्यम से मधुमेह को अन्य तरीकों के मुकाबले बेहतर तरीके से कंट्रोल किया जा सकता है.
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