वाराणसी: आज दीपावली का पर्व है और प्रभु श्रीराम के अयोध्या आगमन को लेकर पूरा देश इस खुशी को दीपोत्सव के रूप में मनाता है. इस त्योहार को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. लेकिन, आज वाराणसी में एक अद्भुत नजारा दिखाई दिया. यहां मुस्लिम बहनों ने भगवान राम की आरती उतारकर दीपावली के पर्व को अपने तरीके से मनाया. प्रभु श्रीराम से प्रार्थनाएं करते हुए मुस्लिम महिलाओं ने जीवन को सुखद बना कर सब कुछ बेहतर करने की कामना की.
यहां ईरान में मुस्लिम महिलाएं हिजाब से मुक्ति का आन्दोलन चला रही हैं. उन्हें गोलियों से भूना जा रहा है. रूस और यूक्रेन युद्ध ग्रस्त है. भारत में जिहाद के नाम पर हिंसा फैलाई जा रही है. ऐसे में काशी की मुस्लिम महिलाओं ने विश्व को मानवीय एकता और शांति का संदेश देने के लिए सृष्टि संचालक भगवान श्रीराम एवं जगत जननी माता जानकी की आरती सुभाष भवन इन्द्रेश नगर लमही में उतारी.
मुस्लिम महिलाओं ने भगवान श्रीराम और जगत माता जानकी से मन्नत मांगी. ईरान की मुस्लिम महिलाओं को हिजाब की गुलामी से मुक्ति मिले. ईरान के लोग अपने जड़ों की ओर लौटें, मुस्लिम बेटियों को जीने का अधिकार मिले. विश्वेश्वर मन्दिर परिसर में औरंगजेब के कलंक से मुक्त हो और स्वयम्भू ज्योतिर्लिंग पर शीघ्र पूजा अर्चना शुरू हो इसके लिए प्रार्थना की. साथ ही रूस और यूक्रेन की जंग खत्म हो. दुनियां रामराज्य की ओर बढ़े. भारत भूखंड में रहने वाले सभी भारतीय मूल के लोग अपने जड़ों की ओर लौटें, इससे रिश्ता मजबूत होगा और एक दूसरे से भावनात्मक संबंध विकसित होंगे.
इस मौके पर नाजनीन अंसारी ने कहा कि धर्म बदलने से न पूर्वज बदल सकते हैं, न मातृभूमि और न ही पूर्वजों के भगवान राम. जब तक हमारे पूर्वज भगवान राम के नाम से जुड़े थे, तब तक दुनिया में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था. अब लोग शक की दृष्टि से देखते हैं. हम जड़ों से जुड़े रहेंगे तो हमारा सम्मान बना रहेगा. भारतभूमि सनातनी परम्पराओं की सदियों से है. यहां जो भी है सभी हिन्दू और सनातनी संस्कारों के ही हैं. राम के नाम से दुख, दरिद्रता दूर होगी. रामराज्य से विश्व शांति की ओर जाएगा. अरबी देशों में भगवान राम का मंदिर बने तो वहां के लोगों की इज्जत भी बढ़ेगी और धर्म के नाम पर हो रही हिंसा खत्म होगी. पूर्वजों और परंपराओं से हमें कोई अलग नहीं कर सकता.
यह भी पढ़े-हजारों दीपों से झिलमिलाई यमुना नदी के घाट पर बनी बटेश्वर की मंदिर श्रृंखला