ETV Bharat / state

वाराणसी कैंट विधानसभा सीट डेमोग्राफिक रिपोर्ट: 20 सालों से बीजेपी का कब्जा, कायस्थों का दबदबा - up assembly election 2022

वाराणसी की 8 विधानसभा सीटों में से सबसे महत्वपूर्ण कैंट विधानसभा सीट मानी जाती है. यहां 20 सालों से बीजेपी का ही कब्जा है. इसके अलावा कायस्थों का दबदबा होने के कारण उनकी भूमिका चुनाव में अहम होती है. देखिए कैंट विधानसभा सीट की डेमोग्राफिक रिपोर्ट...

वाराणसी कैंट विधानसभा सीट
वाराणसी कैंट विधानसभा सीट
author img

By

Published : Sep 17, 2021, 12:23 PM IST

वाराणसी: 2022 विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और सभी दल अब चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं. इस क्रम में ईटीवी भारत भी आपको अलग-अलग विधानसभा सीटों की स्थितियों से रूबरू करवाएगा. आज हम वाराणसी की 8 विधानसभा सीटों में से महत्वपूर्ण शहर कैंट विधानसभा सीट नंबर 390 की बात करते हैं. बीजेपी की यह कंफर्म सीट मानी जाती है, क्योंकि बीते 20 सालों से ज्यादा वक्त से यहां बीजेपी का ही कब्जा रहा है और सबसे बड़ी बात यह सीट बीजेपी नेता के एक ही परिवार के पास रही है. कभी पिता, कभी मां और अब बेटा बीजेपी के टिकट पर विधायक बनकर जनता की सेवा कर रहा है.

1991 से एक परिवार काबिज

वाराणसी कैंटोंमेंट विधानसभा काफी महत्वपूर्ण सीट है. यहां कुल वोटर्स की संख्या 4,38,294 है. यहां कायस्थ वोट का दबदबा माना जाता है. यही वजह है कि बीजेपी ने कायस्थ समाज के हरिशचंद्र श्रीवास्तव के परिवार को ही इस सीट पर हर बार टिकट दिया. यहां कायस्थ वोटर्स की संख्या 38 हजार है. इस सीट पर 1991 से अब तक श्रीवास्तव परिवार का कब्जा है. 1991 में पहली बार भाजपा के टिकट पर ज्योत्सना श्रीवास्तव विजयी हुईं, फिर 1993 में भी उन्होंने इस सीट पर कब्जा किया. उसके बाद उनके पति हरिश्चंद्र श्रीवास्तव हरीश ने 1996 में जीत हासिल की. वह 2002 में भी इस सीट पर काबिज हुए. 2007 और 2012 में पत्नी ज्योत्सना श्रीवास्तव मैदान में उतरीं और फिर जीत गईं. 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने ज्योत्सना के बेटे सौरभ श्रीवास्तव पर दांव खेला और सौरभ ने जीत हासिल की. सौरभ ने कांग्रेस के नेता अनिल श्रीवास्तव को हराकर अपने परिवार की इस सीट को बचाया था.

परिसीमन बदला तो बदल गया खेल

दरअसल 2017 में नए परिसीमन के बाद कैंटोंमेंट विधानसभा का बड़ा ग्रामीण इलाका कट गया था. यह सीट पूरी तरह से शहरी हो गई. इससे पहले 2007 तक जब इस विधानसभा में ग्रामीण इलाके जुड़े रहे तो यहां भूमिहार बिरादरी का बोलबाला रहा. लिहाजा इस सीट पर भूमिहारों ने लगातार कब्जा किया. शतरुद्र प्रकाश जिनकी भूमिहार बिरादरी पर अच्छी पकड़ थी. उनकी ससुराल इसी बिरादरी से जुड़ी रही सो उन्होंने इसका फायदा भी हासिल किया. इसके अलावा मांडवी प्रसाद, लाल बहादुर जैसों ने सीट पर कब्जा किया, लेकिन समय के बदलने के साथ ही साथ राजनीतिक समीकरण और जातीय आधार भी बदलता गया. वर्तमान में कायस्थ समाज का वोट बैंक मजबूत होने की वजह से हर पार्टी इस सीट पर कायस्थ प्रत्याशी को ही तवज्जो देती है.

इसे भी पढ़ें: यूपी में बारिश का कहर: सीएम योगी का आदेश, फील्ड पर उतरकर राहत कार्य तेजी से कराएं अफसर

इतने मतदाता बढ़े

15 अगस्त 2021 को ई-इपिक के तहत कैंट विधानसभा में 2108 नए वोटर बढ़े हैं.

कुल मतदाता: 4,38,294
पुरुष मतदाता: 2,34,556
महिला मतदाता: 2,0,3738

वाराणसी कैंट विधानसभा क्षेत्र का जातीय आंकड़ा

सवर्ण : 1,40,000 से ज्यादा
पिछड़ी जातियां : 1.10 लाख से ज्यादा
अनुसूचित जाति : 65,000 से ज्यादा
मुस्लिम : 85,000 से ज्यादा
अन्य जातियां : 32,000 से ज्यादा

वाराणसी: 2022 विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और सभी दल अब चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं. इस क्रम में ईटीवी भारत भी आपको अलग-अलग विधानसभा सीटों की स्थितियों से रूबरू करवाएगा. आज हम वाराणसी की 8 विधानसभा सीटों में से महत्वपूर्ण शहर कैंट विधानसभा सीट नंबर 390 की बात करते हैं. बीजेपी की यह कंफर्म सीट मानी जाती है, क्योंकि बीते 20 सालों से ज्यादा वक्त से यहां बीजेपी का ही कब्जा रहा है और सबसे बड़ी बात यह सीट बीजेपी नेता के एक ही परिवार के पास रही है. कभी पिता, कभी मां और अब बेटा बीजेपी के टिकट पर विधायक बनकर जनता की सेवा कर रहा है.

1991 से एक परिवार काबिज

वाराणसी कैंटोंमेंट विधानसभा काफी महत्वपूर्ण सीट है. यहां कुल वोटर्स की संख्या 4,38,294 है. यहां कायस्थ वोट का दबदबा माना जाता है. यही वजह है कि बीजेपी ने कायस्थ समाज के हरिशचंद्र श्रीवास्तव के परिवार को ही इस सीट पर हर बार टिकट दिया. यहां कायस्थ वोटर्स की संख्या 38 हजार है. इस सीट पर 1991 से अब तक श्रीवास्तव परिवार का कब्जा है. 1991 में पहली बार भाजपा के टिकट पर ज्योत्सना श्रीवास्तव विजयी हुईं, फिर 1993 में भी उन्होंने इस सीट पर कब्जा किया. उसके बाद उनके पति हरिश्चंद्र श्रीवास्तव हरीश ने 1996 में जीत हासिल की. वह 2002 में भी इस सीट पर काबिज हुए. 2007 और 2012 में पत्नी ज्योत्सना श्रीवास्तव मैदान में उतरीं और फिर जीत गईं. 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने ज्योत्सना के बेटे सौरभ श्रीवास्तव पर दांव खेला और सौरभ ने जीत हासिल की. सौरभ ने कांग्रेस के नेता अनिल श्रीवास्तव को हराकर अपने परिवार की इस सीट को बचाया था.

परिसीमन बदला तो बदल गया खेल

दरअसल 2017 में नए परिसीमन के बाद कैंटोंमेंट विधानसभा का बड़ा ग्रामीण इलाका कट गया था. यह सीट पूरी तरह से शहरी हो गई. इससे पहले 2007 तक जब इस विधानसभा में ग्रामीण इलाके जुड़े रहे तो यहां भूमिहार बिरादरी का बोलबाला रहा. लिहाजा इस सीट पर भूमिहारों ने लगातार कब्जा किया. शतरुद्र प्रकाश जिनकी भूमिहार बिरादरी पर अच्छी पकड़ थी. उनकी ससुराल इसी बिरादरी से जुड़ी रही सो उन्होंने इसका फायदा भी हासिल किया. इसके अलावा मांडवी प्रसाद, लाल बहादुर जैसों ने सीट पर कब्जा किया, लेकिन समय के बदलने के साथ ही साथ राजनीतिक समीकरण और जातीय आधार भी बदलता गया. वर्तमान में कायस्थ समाज का वोट बैंक मजबूत होने की वजह से हर पार्टी इस सीट पर कायस्थ प्रत्याशी को ही तवज्जो देती है.

इसे भी पढ़ें: यूपी में बारिश का कहर: सीएम योगी का आदेश, फील्ड पर उतरकर राहत कार्य तेजी से कराएं अफसर

इतने मतदाता बढ़े

15 अगस्त 2021 को ई-इपिक के तहत कैंट विधानसभा में 2108 नए वोटर बढ़े हैं.

कुल मतदाता: 4,38,294
पुरुष मतदाता: 2,34,556
महिला मतदाता: 2,0,3738

वाराणसी कैंट विधानसभा क्षेत्र का जातीय आंकड़ा

सवर्ण : 1,40,000 से ज्यादा
पिछड़ी जातियां : 1.10 लाख से ज्यादा
अनुसूचित जाति : 65,000 से ज्यादा
मुस्लिम : 85,000 से ज्यादा
अन्य जातियां : 32,000 से ज्यादा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.