वाराणसी: जनपद में 8 विधानसभाओं में विधानसभा 384 पिंडरा विधानसभा हैं. पिंडरा इस विधानसभा का तीसरा नाम है. सबसे पहले इसका नाम वाराणसी पश्चिम था, उसके बाद इस क्षेत्र का नाम कोलअसला हो गया जो 2007 तक रहा. 2012 में नए परिसीमन के बाद क्षेत्र का नाम पिंडरा पड़ा. बता दें कि ये किसान बाहुल्य इलाका है. 2017 में यहां बीजेपी की जीत हुई थी. आइये जानते हैं इस सीट के चुनावी समीकरण क्या हैं और यहां के डेमोग्राफिक आंकड़े -
ये हैं डेमोग्राफिक आंकड़े
बता दें कि पिंडरा विधानसभा जौनपुर के मछली शहर संसदीय क्षेत्र की विधानसभा है. इसमें कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 42 हजार 503 है. इस विधानसभा में ब्राम्हण 55 से 60 हजार हैं, पटेल की जनसंख्या 67 से 70 हजार, हरिजन 40 से 50 हजार, यादव 20 से 25 हजार हैं. इसके साथ ही भूमिहार, क्षत्रिय, राजभर, वैश्य, मुस्लिम, मौर्य, चौहान अन्य जातियां मौजूद हैं. पिंडरा विधानसभा में गांव की बात करें तो इसमें कुल 400 से 450 गांव हैं, इसमें दो ब्लॉक पिंडरा और बड़ागांव हैं. जहां इन दिनों भारतीय जनता पार्टी और अपना दल के दो ब्लॉक प्रमुख हैं. वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी से डॉ. अवधेश राय यहां के विधायक हैं.
इस सीट पर ब्राह्मण का वोट निर्णायक होता है
पिंडरा विधानसभा की बात करें तो इस विधानसभा का जिक्र होते ही एक राजनीतिक छवि नजर आती है और वो है पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता अजय राय की. अजय राय बीजेपी और सपा में होने के साथ निर्दलीय भी विधायक चुने गए हैं. अजय राय की बात करें तो सियासत में इनकी अपनी अलग पहचान है. ये 2014 में पीएम के खिलाफ चुनाव लड़कर लाइमलाइट में आए थे. वर्तमान विधायक की बात करें तो इनकी चुनावी परफॉर्मेंस बहुत खराब रही है. इन्होंने कांग्रेस से सियासत की शुरुआत की थी, इसके बाद वह बसपा में गए लेकिन, फिर कांग्रेस में लौट गए बाद में फिर वह बीजेपी में शामिल हुए. बता दें कि ये अलग-अलग पार्टी से 5 बार चुनाव हार थे लेकिन, 2017 के चुनाव में बीजेपी लहर और अजय राय हटाओ फैक्टर ने काम किया, जिसके बाद अवधेश राय बीजेपी से विधायक हो गए. इस सीट के बारे में कहा जाता है कि ये कुर्मी बहुल्य क्षेत्र हैं, लेकिन यहां ब्राह्मण का वोट निर्णायक होता है.
एक नजर विधानसभा परिणामों पर