वाराणसी : शहर बनारस की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए गली और सड़कों में लटके हुए तारों को अंडरग्राउंड करने का प्लान बनाया था, वह लगभग पूरा हो चुका है. काशी में अंडरग्राउंड वायरिंग का कार्य पूर्ण होने से बनारस की सुंदरता और गलियों की खूबसूरती निखर के सामने आई है.
सूचना कार्यालय की तरफ से जारी किए गए प्रेस नोट में कहा गया है कि इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम (आईपीडीएस) योजना के तहत वाराणसी में अब तक 2294.91 किलोमीटर तार को अंडरग्राउंड किया जा चुका है. इसके अलावा योगी सरकार के 6 साल के कार्यकाल में पुरानी काशी को तारों के मकड़जाल से पूरी तरह से मुक्त करा दिया गया है. बीते 6 साल में काशी विकास का मॉडल बनकर उभरी है. काशी की गलियों से लेकर अन्य जगहों पर विकास की रोशनी तारों के जंजाल में फंस कर रह गई थी. पीएम मोदी व सीएम योगी की सरकार ने इन तारों को सुलझाया और वाराणसी के पुराने क्षेत्रों से लेकर नए इलाकों में विकास का प्रवाह तेज हो गया. जिससे सड़क पर खड़े ज्यादातर खंभे अब देखने को नहीं मिलते. तारों में उलझी प्राचीन काशी की गलियों और अन्य इमारतों की खूबसूरती भी तारों के अंडरग्राउंड होने से निखरने लगी है. वहीं बिजली की चोरी भी रुकी है. खुले और बेतरतीब फैले तारों से दुर्घटना की आशंका हरदम बनी रहती थी.
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों के मुताबिक़, 'ओल्ड काशी के विभिन्न इलाके और क्षेत्रों को मिलकर लगभग 2,294.91 किलोमीटर के बेतरतीब तारों को अंडरग्राउंड किया गया है. इसकी लागत लगभग 650 करोड़ आई है. जिसमें अकेले पुरानी काशी में 363 करोड़ की लागत से 1550.41 किलोमीटर बिजली के तार को अंडरग्राउंड किया गया है. पूरे वाराणसी के आईपीडीएस के कामों को देखा जाए तो 33 केवी के बिजली के तार को लगभग 125.534 किलोमीटर, 11 केवी के लगभग 479.722 किलोमीटर, एलटी के 1689.654 किलोमीटर तार को आईपीडीएस योजना के तहत अंडर ग्राउंड किया गया है. तारों में फंसी काशी को सुलझाने का काम आईपीडीएस योजना में 2016 में शुरू हुआ तब जाकर 2022 में विकास की रोशनी फैली.'
तारों के जंजाल से मुक्त करने का सपना हो रहा पूरा, खूबसूरत दिखने लगा शहर
यूपी के बनारस में तारों को अंडरग्राउंड करने का प्लान बनाया गया था. इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम के तहत शहर भर में तारों के मकड़जाल को पूरी तरह से मुक्त किया गया है.
वाराणसी : शहर बनारस की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए गली और सड़कों में लटके हुए तारों को अंडरग्राउंड करने का प्लान बनाया था, वह लगभग पूरा हो चुका है. काशी में अंडरग्राउंड वायरिंग का कार्य पूर्ण होने से बनारस की सुंदरता और गलियों की खूबसूरती निखर के सामने आई है.
सूचना कार्यालय की तरफ से जारी किए गए प्रेस नोट में कहा गया है कि इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम (आईपीडीएस) योजना के तहत वाराणसी में अब तक 2294.91 किलोमीटर तार को अंडरग्राउंड किया जा चुका है. इसके अलावा योगी सरकार के 6 साल के कार्यकाल में पुरानी काशी को तारों के मकड़जाल से पूरी तरह से मुक्त करा दिया गया है. बीते 6 साल में काशी विकास का मॉडल बनकर उभरी है. काशी की गलियों से लेकर अन्य जगहों पर विकास की रोशनी तारों के जंजाल में फंस कर रह गई थी. पीएम मोदी व सीएम योगी की सरकार ने इन तारों को सुलझाया और वाराणसी के पुराने क्षेत्रों से लेकर नए इलाकों में विकास का प्रवाह तेज हो गया. जिससे सड़क पर खड़े ज्यादातर खंभे अब देखने को नहीं मिलते. तारों में उलझी प्राचीन काशी की गलियों और अन्य इमारतों की खूबसूरती भी तारों के अंडरग्राउंड होने से निखरने लगी है. वहीं बिजली की चोरी भी रुकी है. खुले और बेतरतीब फैले तारों से दुर्घटना की आशंका हरदम बनी रहती थी.
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों के मुताबिक़, 'ओल्ड काशी के विभिन्न इलाके और क्षेत्रों को मिलकर लगभग 2,294.91 किलोमीटर के बेतरतीब तारों को अंडरग्राउंड किया गया है. इसकी लागत लगभग 650 करोड़ आई है. जिसमें अकेले पुरानी काशी में 363 करोड़ की लागत से 1550.41 किलोमीटर बिजली के तार को अंडरग्राउंड किया गया है. पूरे वाराणसी के आईपीडीएस के कामों को देखा जाए तो 33 केवी के बिजली के तार को लगभग 125.534 किलोमीटर, 11 केवी के लगभग 479.722 किलोमीटर, एलटी के 1689.654 किलोमीटर तार को आईपीडीएस योजना के तहत अंडर ग्राउंड किया गया है. तारों में फंसी काशी को सुलझाने का काम आईपीडीएस योजना में 2016 में शुरू हुआ तब जाकर 2022 में विकास की रोशनी फैली.'