वाराणसी: बेटियां किसी पहचान की मोहताज नहीं है, यदि उनमें हुनर हो तो वह अपनी पहचान खुद बना लेती हैं, इस बात को सार्थक कर रही हैं काशी की दो बेटियां. उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपनी एक नई पहचान बनाई है और साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल के सपने को भी साकार किया है. वाराणसी के पड़ाव इलाके में रहने वाली दो बहनें जो कि चॉकलेट से दीपावली के त्योहार में मिठास घोल रही हैं. इनकी चॉकलेट की खास बात यह है कि यह देखने में आपको चॉकलेट नहीं बल्कि पटाखे लगेंगे और आप भी बिल्कुल हैरान हो जाएंगे कि क्या वाकई यह चॉकलेट हैं या फिर बम.
पटाखों की शक्ल में बनाया चॉकलेट बम
इन तस्वीरों को देखकर आप भी बिल्कुल हैरान हो गए होंगे कि क्या वाकई यह चॉकलेट है या फिर बम. अगर ये वाकई में पटाखे हैं तो इन्हें अलग-अलग मिठाई के डिब्बों में क्यों सजाकर रखा गया है. तो हैरान होने की जरुरत नहीं है क्योंकि यह कोई पटाखे नहीं बल्कि वास्तव में चॉकलेट है जो अलग-अलग फ्लेवर के हैं और पटाखों की शेप में मौजूद हैं. खास बात यह है कि पटाखों की शक्ल में बनी होममेड चॉकलेट की इन दिनों खासा डिमांड है. बनारस से लेकर कोलकाता, गुजरात और देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग चॉकलेट बम की डिमांड कर रहे हैं और यही वजह है कि इन दिनों यह बाजारों में चर्चा का विषय भी बना हुआ है.
क्रिएटिविटी देश भर में मचा रही धूम
इस बारे में प्राप्ति चौहान बताती हैं कि सबसे पहले उन्होंने नॉर्मल चॉकलेट बनाना शुरू किया था और बीते 2 साल पहले उन्होंने इस व्यवसाय को शुरू किया था. हालांकि कोरोना काल में उन्हें काफी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और जब दिवाली का मौका आया तो उन्होंने अपनी बहन के साथ मिलकर चॉकलेट को एक नया आकार देने की शुरुआत की. उन्होंने सोचा कि क्यों न इसे एक बम के रूप में बनाया जाए. प्राप्ति बताती हैं कि उन्होंने चॉकलेट को अलग-अलग तरीके के पटाखों का शेप देना शुरू किया और उसकी कवरिंग भी उसी तरीके से की जो देखने में बिल्कुल पटाखों की तरह लगती हैं. उन्होंने बताया कि जब भी लोग इसे देखते हैं तो वह परेशान हो जाते हैं कि यह चॉकलेट है या बम. कई बार वह कन्फ्यूजन में इसे नहीं खरीदते लेकिन, फिर हम उन्हें बताते हैं कि यह कोई बम नहीं बल्कि चॉकलेट है जो बिल्कुल हेल्दी और टेस्टी है. उन्होंने बताया कि इस चॉकलेट की डिमांड अब देश के अलग-अलग हिस्सों से आ रही है.
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कम कीमत में इको फ्रेंडली प्रोडक्ट
इस बारे में हितैशी बताती हैं कि चॉकलेट की खास बात यह है कि यह चॉकलेट हाथों से बनी हुई है. इसमें किसी तरीके के किसी केमिकल का प्रयोग नहीं किया गया है, बल्कि जितने भी इको फ्रेंडली प्रोडक्ट हैं हम उसका इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने बताया कि शुरुआत में हमें थोड़ी दिक्कतें हुईं लेकिन, धीरे-धीरे अब लोग इसे पसंद कर रहे हैं और इसकी डिमांड भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. उन्होंने बताया कि बाजार से इन चॉकलेट की कीमत भी कम हैं और ये सेहत को नुकसान भी नहीं पहुचाएंगी.
बेटियों के हुनर पर मां भी हैं गौरवान्वित
प्राप्ति की मां ने बताया कि उनकी बेटियों ने खुद के सहारे इस व्यवसाय को शुरू किया और दिन-रात कड़ी मेहनत की, जिसका परिणाम उन्हें अब मिल रहा है. मुश्किलों का सामना करने के बाद भी उनकी बेटियों ने हार नहीं मानी और वो डटी रहीं. मां ने कहा कि उन्हें अपनी बेटियों पर बेहद गर्व है कि उनकी बेटियां इस तरीके से समाज में अपनी पहचान बना रही हैं. उन्होंने कहा वह चाहती हैं कि समाज की हर बेटियां ऐसे ही नाम रोशन करें.
वोकल फॉर लोकल का सपना हो रहा साकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 अक्टूबर को वाराणसी की जनसभा में वोकल फॉर लोकल का संदेश दिया था. उन्होंने कहा था कि दीपावली में सिर्फ कुम्हारों के बने दीये ही वोकल फॉर लोकल नहीं है, बल्कि हर वह सामान हमारे लिए इस श्रेणी में आता है जो हमारे देश की मिट्टी में बना हुआ हो. हालांकि लोगों की पहुंच उन तक नहीं हो पाती. काशी की इन बेटियों ने न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को पूरा किया है बल्कि बेटियों को सशक्त होने की प्रेरणा भी दे रही हैं.
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