वाराणासी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में महिला महाविद्यालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया. इसका विषय कोविड-19 अन्तरदेशीय प्रवासी श्रमिक समस्या-उन्मूलन हेतु सुझाव है. इस वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए सरकार के साथ हम सभी का सहयोग ज़रूरी है. इस विषय पर विभिन्न विद्वानों ने अपनी बात रखी.
महात्मा गांधी ने की थी प्रवासियों की चिंता
देश के कोने-कोने से विद्वानों ने इस वेबिनार में सम्मिलित हुए और अपनी बात रखी. इन सब ने इस बात को भी माना कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी आजादी की लड़ाई के साथ प्रवासियों मजदूरों की चिंता की थी. उन्होंने कहा था कि मजदूरों की घर वापसी जरूरी है, जिससे वह स्वावलंबी बन सकें. इसी तरह विभिन्न विद्वानों ने अपने-अपने पक्ष रखे कि किस तरह गांव में लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जाए. छोटे उद्योग से अपने कार्य का प्रारंभ किया जा सकता है. इसमें सरकार हर प्रकार से प्रवासी मजदूरों की मदद करेगी.
बीएचयू के कुलपति ने रखी अपना बात
कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व के साथ-साथ भारत भी आर्थिक, सामाजिक चुनौतियों का सामना कर रहा है. प्रवासी श्रमिकों को हर संभव मदद भारत सरकार कर रही है, लेकिन चुनौतियां बहुत बड़ी हैं. इसलिए सरकार के साथ-साथ हम सब भी सहयोग करें तो इस महामारी से सार्थक तरीके ले लड़ा जा सकता है. सरकार ने घर वापसी का जो सार्थक प्रयास किया है. उससे बहुत लाभ पंहुचा है.
रांची विश्वविद्यालय के कुलपति ने दिया सुझाव
विश्वविद्यालय रांची के कुलपति प्रो. नन्द कुमार यादव ने कहा कि इस महामारी ने हमें ये अहसास कराया है कि हम अपनी समस्याओं के लिए ख़ुद ज़िम्मेदार हैं. इस महामारी के दौर में सरकार ने जो वित्तीय सहायता प्रदान की वो एक सराहनीय क़दम है. उन्होंने कहा कि इस बात पर भी सार्थक विचार करने की ज़रूरत है कि ग्रामीण क्षेत्र में रोज़गार कैसे बढ़े. आज विकास के विकेन्द्रीकरण की ज़रूरत है, जिससे भारतीय गांव विकसित हो पाएं. छोटे शहरों और कुटीर उद्योग को बढ़ावा देकर इस वैश्विक महामारी से उत्पन्न आर्थिक नुकसान को कम किया जा सकता है.