वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विज्ञान संस्थान के सेंटर ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन बॉटनी के तत्वाधान में प्लांट माइक्रोवेव इंटरेक्शन एंड डिजीज मैनेजमेंट (आरएफपीआईडीएमटी) का शनिवार को समापन हुआ. दो दिवसीय चलने वाले सम्मेलन में देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी वैज्ञानिक ने अपनी राय रखी.
वैज्ञानिकों ने अपने शोध पत्रों और अपनी रिसर्च के माध्यम से इस बात को सबके सामने रखते हुए कहा कि भारत खाद्यान्न उत्पादन में तभी आत्मनिर्भर होगा, जब दूसरी हरित क्रांति लाई जाए. यह हरित क्रांति इस बार कीटनाशकों के खिलाफ होगी. हम किसानों को जागरूक करेंगे कि वह ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक संसाधन का प्रयोग करें. फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ उनमें पौष्टिकता भी लाएं.
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दो दिवसीय चलने वाली इस सम्मेलन में बहुत गहन मंथन हुआ. पादप में लगने वाली विभिन्न तरह के रोगों पर चर्चा हुई. उन लोगों से कैसे पौधों को मुक्ति दिलाई जाए इस पर चर्चा हुई. हमें अपने ऐसे बायो रिसोर्सेज को यूटिलाइज करना है, जिससे कि किसानों को फायदा हो सके. किसानों की फसलों में जो इन्वेस्ट किया जा रहा है, उसकी लागत कम हो, उनका फायदा ज्यादा हो. सम्मेलन में देश-विदेश से जो वैज्ञानिक आए हैं. सब ने इस बात पर जोर दिया कि हम ऐसे टेक्निक को इंप्रूव करें जो किसानों को भरपूर फायदा दे.
-डॉ. आर. एन. खरवार, प्रोफेसर, बीएचयू