वाराणसीः महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ एक अभूतपूर्व पहल करने जा रहा है. देश में ऐसा निर्णय किसी विश्वविद्यालय ने पहली बार लिया है. जी हां, अब वाराणसी में देश का पहला ट्रांस जेंडर सेल खुलने जा रहा है. यह सेल पूर्वांचल के बड़े विश्वविद्यालय महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में खुलेगा. यहां पर ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों को सुरक्षित माहौल देने के साथ-साथ उनके सामाजिक जीवन में आने वाली समस्याओं को भी दूर करने का प्रयास किया जाएगा.
बता दें कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में देश का पहला ट्रांसजेंडर सेल खुलने जा रहा है. यह सेल ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के अधिकार व सामाजिक न्याय के लिए काम करेगा. कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की पहल पर वर्तमान सत्र से इसकी शुरुआत होने जा रही है. इसके साथ ही इन ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए कैरियर और विकास के लिए यह सेल योजनाएं भी तैयार करेगा. उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के कार्यक्रम तैयार किए जाएंगे.
विश्वविद्यालय में इस सेल के खुलने को लेकर यहां पढ़ने वाले ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों में भी काफी खुशी है. बातचीत में विद्यार्थियों ने बताया कि यह उन्हें एक हिम्मत देने का काम करेगा क्योंकि अभी भी समाज में लोगों की सोच नहीं बदली है, ऐसे में आज भी उन्हें सामाजिक तानों से रूबरू होना पड़ता है लेकिन यह सेल उनके हिम्मत को आगे बढ़ाने के साथ-साथ उनके हित में बातों को रखेगा और यदि उन्हें कोई समस्याएं होंगी तो सीधे तौर पर यहां अपनी बात रख सकते हैं और यहां से उन्हें तमाम कार्यक्रमों की जानकारी दी मिल सकेगी.
इस बारे में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एके त्यागी ने बताया कि जब हम सामाजिक न्याय की बात करते हैं तो ऐसे में जेंडर न्याय की बात करना सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है.हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हमारे विश्वविद्यालय में 15 ट्रांसजेंडर विद्यार्थी अभी अलग-अलग विभागों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि, ऐसे में इन विद्यार्थियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना और समाज के इनके प्रति समाज के नजरिया को बदलना जरूरी है, यह सेल इनके लिए एक मजबूत हिम्मत का काम करेगा.
समाज के एक वर्ग को उपेक्षित रखा गया था
प्रो. त्यागी का कहना है कि ट्रांसजेंडर्स को बहुत ज्यादा रिस्पेक्ट नहीं मिल पाती है. ऐसे में काशी विद्यापीठ ने सोचा कि इनके लिए अलग से कुछ चीजें रखें. हमारा पूरा प्रयास है कि समाज का एक वर्ग जिसे उपेक्षित रखा गया था, उसका हम जो सम्मान है उसे वापस दे सकें. सेल में इन बच्चों की समस्याओं पर विचार किया जा सकेगा. इनकी जरूरतों को समझा जा सकेगा और उसी के आधार पर यहां अध्ययन-अध्यापन का कार्य किया जा सकेगा. ये सेल लगभग सभी महाविद्यालयों में खोलेंगे, जिससे इन्हें अधिकार दिया जा सके.
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