वाराणसी: देश में कोरोना महामारी के लिए लागू लॉकडाउन से किन्नर समाज भी अछूता नहीं है. मंगल अवसर पर लोगों के घर जाकर तालियां और नाच-गाना करके पेट भरने वाला किन्रर समाज आज दाने-दाने को मोहताज है. लॉकडाउन के चलते अब कोई उन्हें अपने घर नहीं बुला रहा, जिससे उनकी आमदनी ठप हो गई है, और वे भूखे रहने को मजबूर हैं.
पीएम मोदी से लगाई मदद की गुहार
किन्नरों का कहना है कि पीएम मोदी ने देश के हित में लॉकडाउन लगाया है. कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लॉकडाउन बहुत ही आवश्यक है, लेकिन मोदी जी को किन्ररों के बारे में भी सोचना चाहिए था. सुंदरी नाम की किन्नर का कहना है कि नाच-गाना और ट्रेनों में पैसे मांगकर वे अपना घर चलाती थीं, लेकिन लॉकडाउन के कारण वे घर में रहने को बेबस हैं. इसलिए किन्नर समाज ने इस मुश्किल की घड़ी में सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
लॉकडाउन ने बढ़ाई परेशानी
24 मार्च को लॉकडाउन लागू होने से भले ही कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने में मदद मिली होगी. लेकिन इस बीच देश के बहुत से लोग बड़ी मुश्किलों से गुजर रहे हैं. उसी में किन्नर समाज भी है. किन्नरों का कहना है कि लॉकडाउन ने उनकी जिंदगी बदहाल करके रख दी है. किन्नरों ने बताया कि नाच-गाना और ट्रेनों में पैसा मांगकर वे अपना घर चलाते थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते ये सब बंद हो गया और वे भूखे रहने को मजबूर हो गए हैं.
लॉकडाउन में थम गयी है किन्नरों की जिंदगी
लॉकडाउन में किन्नरों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. ट्रेनों में पैसा मांगकर रोजी-रोटी चलाने वाले किन्नरों की जिंदगी में भूचाल आ गया है. लॉकडाउन में खड़ी ट्रेन के पहिए की तरह आज किन्नरों की जिंदगी भी थम सी गयी है. घर की चार दीवारी में रहने को किन्नर मजबूर हैं. घर की स्थिति भी दिन-ब-दिन दयनीय होती जा रही है. घर में जो कुछ बचा खुचा सामान था वो भी खत्म होते जा रहा है. इससे खाने-पीने की दिक्कतें बढ़ रही हैं.
बंद हो गयी है आमदनी
शहर के हुकुलगंज इलाके में रहने वाली सुंदरी नाम की किन्नर ने बताया कि उनके साथ 30 किन्नर रहती हैं, जो बधाई के मौके पर गाना गाकर या ट्रेनों में पैसा मांगकर अपना जीवन बिता रही थीं, लेकिन लॉकडाउन के चलते वे घर से बाहर नहीं निकल पा रही हैं. इससे उनकी आमदनी भी ठप हो गई है. उन्होंने बताया कि उन्हें पता नहीं था कि लॉकडाउन इतने समय के लिए बढ़ जाएगा.
इसे भी पढ़ें- लाॅकडाउन: डिजिटल हुआ गुरुकुल, ऑनलाइन चल रही पाठशाला