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वाराणसी: कम लागत में बेहतर उपज के लिए किसानों को दिया गया प्रशिक्षण - better yield at lower cost

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में कम लागत में अच्छी उपज पैदा करने को लेकर किसानों को प्रशिक्षित किया गया. इस दौरान उन्हें गो आधारित प्राकृतिक कृषि के बारे में भी बताया गया.

बेहतर उपज के लिए दिया गया प्रशिक्षण.
बेहतर उपज के लिए दिया गया प्रशिक्षण.
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Published : Nov 12, 2020, 10:25 AM IST

वाराणसी: जिले के सेवापुरी विकास खंड के लेडुवाई गांव में जीरो बजट खेती को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. खेती की लागत कम करके उत्पादन बढ़ाने की तकनीक सीख रहे किसानों ने इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. वहीं जिलाधिकारी के आवास के पास खेतों में जीरो बजट खेती करने की शुरुआत की गई. प्रशिक्षण कार्यक्रम सेवा भारती और कृषि विभाग द्वारा आयोजित किया गया.

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गो आधारित प्राकृतिक खेती के बारे में दी गई जानकारी.

लालपुर न्याय पंचायत के लेडुवाई गांव में किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को लोक भारती के सम्पर्क प्रमुख एवं कृषि समृद्धि आयोग के सदस्य श्रीकृष्ण चौधरी ने सम्बोधित किया. उन्होंने बताया कि जीरो बजट खेती अपनाकर किसान मुख्य फसल का लागत मूल्य, उसके साथ बोई जाने वाली सहफसलों से ही निकाल सकते हैं. इतना ही नहीं बल्कि खाद, बीज और कीटनाशक बाजार से न खरीदकर किसान अपने अपने घर या खेत पर ही तैयार कर सकते हैं.

जीरो बजट खेती को अपनाने से न सिर्फ खेती की लागत कम होगी, बल्कि किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी. उन्होंने बताया कि गो आधारित प्राकृतिक खेती को अपनाने से फसलों पर प्राकृतिक आपदा और बीमारियों का प्रकोप नहीं होता है, जिससे फसलें सुरक्षित रहती हैं. इससे फसल सुरक्षा पर अनावश्यक खर्च भी नहीं करना पड़ता.

कम लागत में उत्पादन बढ़ाने की तकनीक सीख रहे किसान

काशी प्रान्त के गोसेवा प्रमुख अरविंद कुमार ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि एक देशी गाय से 10 से 30 एकड़ तक सफलता पूर्वक गो आधारित प्राकृतिक खेती आसानी से की जा सकती है. इतना ही नहीं बल्कि गाय के गोबर और गोमूत्र के प्रयोग से बीजामृत, जीवामृत और घनजीवामृत बनाया जाता है. उन्होंने गाय के दूध और गोमूत्र के औषधीय महत्व पर विस्तारपूर्वक चर्चा की.

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बेहतर उपज के लिए दिया गया प्रशिक्षण.

जिलाधिकारी ने प्राकृतिक खेती अपनाने का किया आह्वान

जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के आवास पर बीजामृत और जीवामृत बनाकर गो आधारित प्राकृतिक खेती की शुरुआत की गई. जिलाधिकारी के आवास पर अब गो आधारित प्राकृतिक खेती की जायेगी. जिलाधिकारी ने गो आधारित प्राकृतिक खेती की शुरुआत करते हुए जनपद के किसानों से गो आधारित प्राकृतिक खेती अपनाने का आह्वान किया.

वाराणसी: जिले के सेवापुरी विकास खंड के लेडुवाई गांव में जीरो बजट खेती को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. खेती की लागत कम करके उत्पादन बढ़ाने की तकनीक सीख रहे किसानों ने इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. वहीं जिलाधिकारी के आवास के पास खेतों में जीरो बजट खेती करने की शुरुआत की गई. प्रशिक्षण कार्यक्रम सेवा भारती और कृषि विभाग द्वारा आयोजित किया गया.

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गो आधारित प्राकृतिक खेती के बारे में दी गई जानकारी.

लालपुर न्याय पंचायत के लेडुवाई गांव में किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को लोक भारती के सम्पर्क प्रमुख एवं कृषि समृद्धि आयोग के सदस्य श्रीकृष्ण चौधरी ने सम्बोधित किया. उन्होंने बताया कि जीरो बजट खेती अपनाकर किसान मुख्य फसल का लागत मूल्य, उसके साथ बोई जाने वाली सहफसलों से ही निकाल सकते हैं. इतना ही नहीं बल्कि खाद, बीज और कीटनाशक बाजार से न खरीदकर किसान अपने अपने घर या खेत पर ही तैयार कर सकते हैं.

जीरो बजट खेती को अपनाने से न सिर्फ खेती की लागत कम होगी, बल्कि किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी. उन्होंने बताया कि गो आधारित प्राकृतिक खेती को अपनाने से फसलों पर प्राकृतिक आपदा और बीमारियों का प्रकोप नहीं होता है, जिससे फसलें सुरक्षित रहती हैं. इससे फसल सुरक्षा पर अनावश्यक खर्च भी नहीं करना पड़ता.

कम लागत में उत्पादन बढ़ाने की तकनीक सीख रहे किसान

काशी प्रान्त के गोसेवा प्रमुख अरविंद कुमार ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि एक देशी गाय से 10 से 30 एकड़ तक सफलता पूर्वक गो आधारित प्राकृतिक खेती आसानी से की जा सकती है. इतना ही नहीं बल्कि गाय के गोबर और गोमूत्र के प्रयोग से बीजामृत, जीवामृत और घनजीवामृत बनाया जाता है. उन्होंने गाय के दूध और गोमूत्र के औषधीय महत्व पर विस्तारपूर्वक चर्चा की.

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बेहतर उपज के लिए दिया गया प्रशिक्षण.

जिलाधिकारी ने प्राकृतिक खेती अपनाने का किया आह्वान

जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के आवास पर बीजामृत और जीवामृत बनाकर गो आधारित प्राकृतिक खेती की शुरुआत की गई. जिलाधिकारी के आवास पर अब गो आधारित प्राकृतिक खेती की जायेगी. जिलाधिकारी ने गो आधारित प्राकृतिक खेती की शुरुआत करते हुए जनपद के किसानों से गो आधारित प्राकृतिक खेती अपनाने का आह्वान किया.

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