वाराणसी: केंद्र सरकार ने कृषि बिल को दोनों सदनों में पास करवाने के बाद इसे किसानों के हित में बताया. इसके बावजूद देश भर में किसान कई राज्यों में सड़क पर उतरे हुए हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं. इन सबके बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इस बिल के पास होने के बाद पूर्वांचल की सबसे बड़ी गल्ला मंडी विशेश्वरगंज और सब्जी मंडी चंदुआ के मंडी व्यापारियों समेत रिटेल कारोबारियों और किसानों की इस बिल को लेकर क्या सोच है, यह जानने की कोशिश ईटीवी भारत ने की. ईटीवी भारत ने हर वर्ग से बातचीत कर बिल के फायदे और नुकसान पर चर्चा की. इस दौरान किसी ने कहा कि बिल बहुत अच्छा है तो किसी ने इसे किसान विरोधी बताया.
बिल के समर्थन में व्यापारी
गल्ला मंडी विशेश्वरगंज में व्यापारी वर्ग इस बिल के समर्थन में दिखाई दे रहा है. व्यापारियों का कहना है कि सरकार की मंशा अच्छी है और काफी वक्त से किसानों को मिलने वाले समर्थन मूल्य में सुधार के लिए किए गए इस प्रयास को हम उचित मानते हैं. मंडी कारोबारियों का कहना था कि सरकार जब भी कोई अच्छे काम करती है तो उसको बुरा बताकर विरोध किया जाना स्वभाविक है.
किसानों का मिलेगा बिल का फायदा
व्यापारियों का कहना है कि जिस तरह से सरकार ने किसानों को बिचौलियों से मुक्ति दिलाने के लिए यह बिल पास किया है, वह न सिर्फ किसानों, बल्कि व्यापारी वर्ग के लिए भी बेहतर होगा. किसान अपना सामान सीधे व्यापारियों और बड़े उद्योगपतियों तक पहुंचा सकेंगे और उन्हें अच्छा मूल्य मिलेगा. इसका सीधा लाभ दूसरे राज्यों में रहने वाले किसानों को और व्यापारियों को मिलेगा, क्योंकि दूसरे राज्यों के व्यापारी अब तक अपना सामान उसी राज्य में बेच पाते थे, लेकिन अब उन्हें बड़ा मार्केट मिलेगा और वह अपना सामान दूसरे राज्यों में व्यापारियों और मिल संचालकों तक पहुंचा कर अच्छा मुनाफा कमाएंगे और बंद हो चुकी कई मिलें भी फिर से शुरू हो सकेंगी.
सरकार का अच्छा फैसला
रिटेल कारोबारियों के साथ आढ़तियों का कहना है कि सरकार ने अच्छा फैसला लिया है. किसानों को मुनाफा भी होगा और उनके हालात भी सुधरेंगे. इसका सबसे अच्छा फायदा बाजार मूल्य पर पड़ेगा और महंगाई कम होगी. किसान अपना सामान सीधे व्यापारियों को देंगे और बिचौलियों के हटने की वजह से सामान सस्ते दर पर लोगों को मुहैया किया जा सकेगा, जो बेहतर और अच्छा प्रयास है.
बढ़ेगी महंगाई, किसानों को नहीं मिलेगा लाभ
सब्जी से लेकर अनार की खेती करने वाले किसान कृषि विधेयक के विरोध में दिखाई दे रहे हैं. किसानों का कहना है कि एक किसान कहां-कहां जाएगा. बिचौलियों के रहने से नुकसान भले होता हो, लेकिन किसान को दौड़ना नहीं पड़ता. वह अपने सामान को एक निश्चित जगह पर ले जाता है और वहां से फिर वह व्यापारियों तक पहुंचता है, लेकिन जब व्यापारियों को किसान सीधा सामान बेचेगा तो व्यापारी औने-पौने दाम पर किसानों से इन सामानों को खरीदकर डंप करना शुरू करेंगे. इसका स्टोरेज होने से जब किसानों की फसल कटाई रुक जाएगी तो बड़े उद्योगपति और व्यापारी इसको ऊंचे दामों पर मार्केट में बेचेंगे, जिससे महंगाई बढ़ेगी. वहीं किसानों को इसका पूरा लाभ भी नहीं मिलेगा.
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गुमराह करने की कोशिश
किसानों का कहना है कि कृषि बिल उद्योगपतियों और व्यापारियों को फायदा पहुंचाने वाला है. किसान के हित में बताकर इसे गुमराह करने की कोशिश की जा रही है, जो ठीक नहीं है.