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वाराणसी के दो कैंसर अस्पतालों में शुरू हुई टोवास सर्जरी

यूपी के वाराणसी जिले के दो अस्पतालों में कैंसर की आधुनिक टोवास सर्जरी की शुरुआत की गई है. लहरतारा स्थित होमी भाभा कैंसर अस्पताल में 26 अक्टूबर को 45 वर्षीय एक महिला की सर्जरी इस तकनीक से की गई, जबकि इस सर्जरी के द्वारा कैंसर का इलाज करने वाला दूसरा अस्पताल महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र है.

दो कैंसर अस्पतालों में शुरू हुई टोवास सर्जरी
दो कैंसर अस्पतालों में शुरू हुई टोवास सर्जरी
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Published : Oct 29, 2020, 2:29 PM IST

वाराणसी: कैंसर मरीजों को आधुनिक तकनीक से इलाज देने के लिए होमी भाभा कैंसर अस्पताल (एचबीसीएच) एवं महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र (एमपीएमएमसीसी) में आए दिन नई सुविधाओं की शुरुआत हो रही है. इसी के तहत अस्पताल में ट्रांस ओरल वीडियो असिस्टेड सर्जरी (टोवास) की भी शुरुआत की गई है. इतना ही नहीं अब तक इस तकनीक से 3 कैंसर मरीजों की सर्जरी भी की जा चुकी है.

ट्यूमर निकालने के लिए नहीं है सर्जरी की जरूरत

लहरतारा स्थित होमी भाभा कैंसर अस्पताल में 26 अक्टूबर को 45 वर्षीय एक महिला की सर्जरी इस तकनीक से की गई, जबकि अस्पताल में अब तक कुल 3 सर्जरी इस विधा से की जा चुकी हैं. सर्जरी के बाद से सभी मरीजों की स्थिति में सुधार हो रहा है. गले के कैंसर के इलाज में टोवास एक बेहद ही आधुनिक विधा है, इसके तहत ट्यूमर को निकालने के लिए ओपन सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है. साथ ही सर्जरी के बाद जख्म भरने में भी बेहद कम समय लगता है. यह एक तरह की दूरबीन विधि सर्जरी है, जिसमें गले के अंदर कैमरा डाला जाता है और स्क्रीन पर देखते हुए डॉक्टर सर्जरी करते हैं.

नहीं होगी जबड़े को काटने की जरूरत

गले में स्थित फैरिक्स ( ग्रसनी), पैराफैरेंजियल स्पेस एवं हाइपोफैरिंक्स में होने वाले ट्यूमर को निकालने में टोवास की भूमिका अहम है. इन जगहों पर होने वाले कैंसर को टोवास के जरिए ऑपरेट करने में एक तरफ जहां जबड़े को काटने की जरूरत नहीं होती, वहीं गले पर किसी भी तरह के सर्जरी निशान भी नहीं आते.

उत्तर प्रदेश में पहली सर्जरी

सर्जरी करने वाले एवं होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र के सर्जन डॉ. असीम मिश्र ने कहा कि अस्पताल में हुई टोवास सर्जरी संभवतः उत्तर प्रदेश में ऐसी पहली सर्जरी है. कुछ अस्पतालों में इसे किया जाता है, लेकिन वह रोबोटिक तरीके से की जाती है. इस तरह की सर्जरी में ऑपरेशन के बाद एक तरफ जहां मरीज को लंबे समय तक अस्पताल में रुकने की जरूरत नहीं पड़ती, वहीं दूसरी ओर इससे गले पर सर्जरी के निशान भी नहीं आते. उन्होंने कहा कि कैंसर मरीजों को बेहतर इलाज देने के साथ ही कैंसर के क्षेत्र में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने और शोध करने के लिए टाटा मेमोरियल सेंटर प्रतिबद्ध है.

नहीं जाना होगा इलाज के लिए बनारस से बाहर

सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. दुर्गातोश पांडेय ने कहा कि हमारा उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद कैंसर मरीजों को गुणवत्तापरक इलाज देना है. इसी को ध्यान में रखकर अस्पताल में टोवास की शुरुआत की गई है. आने वाले दिनों में हम अस्पताल में और भी इस तरह की आधुनिक तकनीक की शुरुआत करेंगे, जिससे कि अधिक से अधिक कैंसर मरीजों को लाभ मिल सके और इलाज के लिए उन्हें बनारस से बाहर न जाना पड़े.

वाराणसी: कैंसर मरीजों को आधुनिक तकनीक से इलाज देने के लिए होमी भाभा कैंसर अस्पताल (एचबीसीएच) एवं महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र (एमपीएमएमसीसी) में आए दिन नई सुविधाओं की शुरुआत हो रही है. इसी के तहत अस्पताल में ट्रांस ओरल वीडियो असिस्टेड सर्जरी (टोवास) की भी शुरुआत की गई है. इतना ही नहीं अब तक इस तकनीक से 3 कैंसर मरीजों की सर्जरी भी की जा चुकी है.

ट्यूमर निकालने के लिए नहीं है सर्जरी की जरूरत

लहरतारा स्थित होमी भाभा कैंसर अस्पताल में 26 अक्टूबर को 45 वर्षीय एक महिला की सर्जरी इस तकनीक से की गई, जबकि अस्पताल में अब तक कुल 3 सर्जरी इस विधा से की जा चुकी हैं. सर्जरी के बाद से सभी मरीजों की स्थिति में सुधार हो रहा है. गले के कैंसर के इलाज में टोवास एक बेहद ही आधुनिक विधा है, इसके तहत ट्यूमर को निकालने के लिए ओपन सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है. साथ ही सर्जरी के बाद जख्म भरने में भी बेहद कम समय लगता है. यह एक तरह की दूरबीन विधि सर्जरी है, जिसमें गले के अंदर कैमरा डाला जाता है और स्क्रीन पर देखते हुए डॉक्टर सर्जरी करते हैं.

नहीं होगी जबड़े को काटने की जरूरत

गले में स्थित फैरिक्स ( ग्रसनी), पैराफैरेंजियल स्पेस एवं हाइपोफैरिंक्स में होने वाले ट्यूमर को निकालने में टोवास की भूमिका अहम है. इन जगहों पर होने वाले कैंसर को टोवास के जरिए ऑपरेट करने में एक तरफ जहां जबड़े को काटने की जरूरत नहीं होती, वहीं गले पर किसी भी तरह के सर्जरी निशान भी नहीं आते.

उत्तर प्रदेश में पहली सर्जरी

सर्जरी करने वाले एवं होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र के सर्जन डॉ. असीम मिश्र ने कहा कि अस्पताल में हुई टोवास सर्जरी संभवतः उत्तर प्रदेश में ऐसी पहली सर्जरी है. कुछ अस्पतालों में इसे किया जाता है, लेकिन वह रोबोटिक तरीके से की जाती है. इस तरह की सर्जरी में ऑपरेशन के बाद एक तरफ जहां मरीज को लंबे समय तक अस्पताल में रुकने की जरूरत नहीं पड़ती, वहीं दूसरी ओर इससे गले पर सर्जरी के निशान भी नहीं आते. उन्होंने कहा कि कैंसर मरीजों को बेहतर इलाज देने के साथ ही कैंसर के क्षेत्र में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने और शोध करने के लिए टाटा मेमोरियल सेंटर प्रतिबद्ध है.

नहीं जाना होगा इलाज के लिए बनारस से बाहर

सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. दुर्गातोश पांडेय ने कहा कि हमारा उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद कैंसर मरीजों को गुणवत्तापरक इलाज देना है. इसी को ध्यान में रखकर अस्पताल में टोवास की शुरुआत की गई है. आने वाले दिनों में हम अस्पताल में और भी इस तरह की आधुनिक तकनीक की शुरुआत करेंगे, जिससे कि अधिक से अधिक कैंसर मरीजों को लाभ मिल सके और इलाज के लिए उन्हें बनारस से बाहर न जाना पड़े.

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