वाराणसीः काशी में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम बनने के बाद लगातार पर्यटकों की संख्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में पर्यटकों तक बनारस की जानकारी पहुंचाने के लिए तमाम अलग-अलग योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. बनारस के घाटों पर घाट साइनेज लगवाए गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घाट साइनेज का उद्घाटन किया था. लगभग 5 करोड़ की लागत से बनारस के अलग-अलग घाटों पर साइनेज लगाए गए, लेकिन इनसे घाटों पर आने वाले पर्यटकों को कोई लाभ मिलता नहीं दिख रहा है. करोड़ों की लागत से काशी में घाटों पर टेनेट साइनेज बोर्ड की योजना फ्लॉप नजर आ रही है. जी हां! घाटों पर दिखने वाले साइनेज आपको जानकारी तो उपलब्ध करा रहे हैं, लेकिन वह जानकारी आपको आधी-अधूरी मिलेगी.
इस साइनेज के लगाए जाने का उद्देश्य था कि काशी आने वाले देश-विदेश के पर्यटक एक क्लिक में बनारस के इतिहास को जान सकें. अब यह योजना घाटों पर जंग खा रही है और हैरान होने वाली बात यह है कि यह पर्यटकों की किसी तरीके से कोई मदद नहीं कर रही है. अस्सी घाट पर कल्चर इलस्ट्रेशन के जरिए स्कल्पचर लगाया गया है. इसकी कीमत करीब पांच करोड़ रुपये थी. इस स्कल्पचर पर आधी अधूरी जानकारी दी गई है. ऐसे में अब यह पर्यटकों के कुछ काम नहीं आ रही है. इसमें दी गई जानकारी पूरी तरीके से सही नहीं है, जिससे यहां पर आने वाले पर्यटक उसी को सही मानेंगे जो यहां पर लिखा हुआ है.
साइनेज पर चिपका दिए जाते हैं पोस्टर
हिंदू युवा संगठन के योगी आलोकनाथ बताते हैं कि यह हमारी प्राचीन नगरी है. इसे जिस नाम से जाना जाता था वैसा साइनेज में नहीं लिखा गया है. यह केवल शोपीस बना हुआ है. इसे जो पढ़ रहा है वह भी दूसरों से पूछ ही रहा है. इसे लगाए जाने का कोई लाभ नहीं मिल रहा है. इसका कोई रख-रखाव नहीं किया जा रहा है. नगर निगम की स्थिति खराब है. इसे देखने वाला कोई नहीं है. साइनेज पर बकायदा पोस्टर चिपका दिए जाते हैं. कई तरह की समस्याएं देखने को मिलती हैं, लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है. गंगा के नाम पर जो कुछ भी हो रहा है वह बहुत गलत हो रहा है. ऐसा नहीं किया जाना चाहिए.
काशी आने वाले पर्यटक चाहते हैं जानकारी
पर्यटन विभाग के आंकड़ों को लेकर बात करें तो बनारस में लगभग 8 करोड़ पर्यटक सालाना आ रहे हैं. ऐसे में रोजाना बनारस में मौजूद रहने वाले पर्यटकों की संख्या लाखों में रहती है. काशी आने वाले पर्यटक यहां के बारे में जानना चाहते हैं. काशी के धरोहर और प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को जानना चाहते हैं. ऐसे में बनारस के घाटों पर साइनेज बोर्ड लगाए गए हैं. ये बोर्ड जिस घाट पर लगाए गए हैं वहां पर उस घाट की पौराणिकता और उसके ऐतिहासिक महत्व को बताते हैं. ऐसे में अस्सी घाट पर लगे साइनेज बोर्ड इसके विपरीत दिखाई देते हैं. इसमें दी गई जानकारी पर्यटकों के लिए आधी-अधूरी जानकारी है.
अस्सी और तुलसी घाट पर अधूरी जानकारी
दरअसल, अस्सी घाट पर लगे साइनेज बोर्ड में सुबह-ए-बनारस और तुलसी घाट की पहचान नागनथैया से की गई है. मगर अस्सी घाट की पहचान असि नदी, संगमेश्वर मंदिर और तुलसी घाट मानस की रचना और दक्षिण मुखी हनुमान और दो मुख वाले भगवान गणेश के लिए जाना जाता है. यानी जिस तुलसी घाट पर गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरित मानस की रचना की उस स्थान को स्मार्ट सिटी नाग नथैया के आयोजन के लिए विशेष रूप से विख्यात बता रहा है. ऐसा ही हाल काशी के अन्य घाटों के साथ किया जा रहा है. अस्सी पर सबसे अधिक पर्यटक मौजूद रहते हैं, जिसकी आधी-अधूरी जानकारी दी गई है.
काशी के विकास के लिए घाटों का कायाकल्प
केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काशी को संवारने में लगे हैं. ऐसे में तरह-तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसमें सबसे अहम है घाटों का नवीनीकरण और उनका कायाकल्प. इसके साथ ही गंगा किनारे नए घाटों का भी निर्माण किया जा रहा है. इन्हीं योजनाओं को पर्यटकों तक पहुंचाने के लिए पर्यटन विभाग अपनी तरफ से भी आधुनिक तरीके अपनाता रहता है. इसी क्रम में घाटों पर इस तरह से साइनेज लगवाए गए हैं, जिनपर उन घाटों के बारे में जानकारी दी गई है. वहां का इतिहास और उसकी पौराणिकता के बारे में बताया गया है. मगर समस्या ये है कि ये जानकारी अधूरी दी जा रही है.
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