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देव दीपावली पर पर्यटकों ने खर्च कर डाले 1200 करोड़: 500 करोड़ रुपए के तो गोलगप्पे, चाट-कचौड़ी, जलेबी खा गए - वाराणसी का स्ट्रीट फूड

Dev Diwali 2023 पर पर्यटकों ने दिल खोलकर खर्च किया. ये हम सिर्फ कह नहीं रह रहे हैं, बल्कि पर्यटकों ने खुद साबित कर दिया है. पर्यटकों ने दिल खोलकर खरीदारी की है. चाट-कचौड़ी, गोल-गप्पे और जलेबी समेत अन्य स्ट्रीट फूड से लेकर अलग-अलग रेस्टोरेंट में खूब खाने का स्वाद लिया है. यह आंकड़ा बताता है कि बनारस लोगों को कितना पसंद आ रहा है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 30, 2023, 4:02 PM IST

Updated : Dec 1, 2023, 7:22 PM IST

वाराणसी: काशी की देव दीपावली की साक्षी पूरी दुनिया रही. जो लोग बनारस पहुंच पाए वे लोग अपने आपको धन्य मान रहे थे. 27 नवंबर की रात काशी में साक्षात देवताओं के आने की अनुभूति हो रही थी. घाटों का मनोरम दृश्य और मां गगा में चमकती लाइटें काशी की सुंदरता में चार चांद लगा रही थी. इस दिन काशी में करीब 12 लाख से अधिक लोग देव दीपावली का अद्भुत दर्शन करने के लिए पहुंचे थे.

वाराणसी में देव दीपावली पर पर्यटकों ने दिल खोलकर खर्चा किया.
वाराणसी में देव दीपावली पर पर्यटकों ने दिल खोलकर खर्चा किया.

सबसे खास बात ये रही कि पर्यटकों ने दिल खोलकर यहां खरीदारी की. होटलों में मिलने वाले मुफ्त के खाने छोड़कर बनारस की गलियों से कचौड़ी-सब्जी, चाट, जलेबी का मजा लिया. एक दिन में पर्यटकों ने करीब 1200 करोड़ रुपये खर्च कर दिए. बनारस की खासियत ही यही है कि यहां जो आता है यहीं का हो जाता है. काशी आने वाले पर्यटकों को काशी तो भाती ही है. इसके साथ ही यहां पर मिलने वाले स्वादिष्ट चटकारों वाले भोजन और स्ट्रीट फूड भी बहुत पसंद आते हैं.

पर्यटकों ने एक दिन में उड़ाए 1200 करोड़ रुपएः आंकड़ों की अगर बात करें तो देव दीपावली पर काशी का बाजार बम-बम बोल रहा था. देव दीपावली पर काशी आए पर्यटकों ने अर्धचंद्राकार घाटों पर अद्भुत क्षण को निहारा. आसमान में क्रैकर्स शो और लेजर लाइट शो के अलावा करीब 12 लाख दीयों के जलने के आठ लाख से अधिक पर्यटक साक्षी बने. इन पर्यटकों को सिर्फ घाट और देव दीपावली ही नहीं पसंद आया. बल्कि इन्होंने बनारस की गलियां घूम-घूमकर खूब खरीदारी की. पर्यटकों ने सिर्फ एक दिन में 1200 करोड़ रुपये सिर्फ बनारस भ्रमण पर खर्च कर दिए. इसमें 421 करोड़ रुपये घूमने-फिरने बोटिंग, 540 करोड़ रुपए खाने पीने और 500 करोड़ रुपये होटल में रहने में खर्च किए गए हैं. ये अनुमानित आंकड़ा है.

होटल में रुके पर्यटकों ने फ्री का खाना छोड़ाः टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल मेहता बताते हैं, 'पर्यटकों ने देव दीपावली देखने के लिए करीब दो महीने पहले से ही बुकिंग शुरू कर दी थी. हालांकि, बीच में तारीख को लेकर कुछ दिक्कतें हुईं. मगर बाद में 27 तारीख को ही देव दीपावली की तिथि फाइनल हुई. इसके बाद कुछ लोगों ने अपनी बुकिंग कैंसिल कराई और कुछ लोगों को हमने एडजस्ट करने का ऑफर भी दिया. देव दीपावली के दिन 95 फीसदी से अधिक होटल बुक हो चुके थे. ऐसे में होटल का कारोबार भी काफी अच्छा हुआ है. यह पिछली बार की अपेक्षा थोड़ा अधिक है. वहीं ऐसे बहुत से लोग थे जिन्हें होटल में खाना फ्री में ऑफर किया गया था. मगर उन लोगों ने बाहर का खाना पसंद किया. उन्हें बनारस के स्ट्रीट फूड खाने थे.'

काशी में बिके 223 करोड़ के जीआई उत्पादः इतना ही नहीं काशी पहुंचे पर्यटक अपने साथ बनारस की निशानी लेकर वापस गए हैं. यानी पर्यटकों ने बनारस की याद के रूप में जीआई उत्पादों की भी खूब खरीदारी की है. बनारसी साड़ी, श्री काशी विश्वनाथ धाम मॉडल की बिक्री सबसे अधिक दर्ज की गई है. आंकड़ों की बात करें तो करीब 223 करोड़ के जीआई उत्पादों की बिक्री बनारस में हुई है. इस बारे में जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत बताते हैं, 'काशी पहुंच पर्यटकों ने जीआई उत्पादों को बड़ा बाजार दिया है. काशी से मेटल क्राफ्ट के पंचपात्र, स्वास्तिक, श्रीयंत्र, अन्नपूर्णा की मूर्ति, लकड़ी के खिलौने, बनारसी साड़ी, श्री काशी विश्वनाथ धाम का लकड़ी का मॉडल खरीदकर पर्यटक ले गए हैं. यह जीआई उत्पादों के लिए अच्छा संकेत हैं.'

ये भी पढ़ेंः देव दीपावली के बाद का देखें नजारा

वाराणसी: काशी की देव दीपावली की साक्षी पूरी दुनिया रही. जो लोग बनारस पहुंच पाए वे लोग अपने आपको धन्य मान रहे थे. 27 नवंबर की रात काशी में साक्षात देवताओं के आने की अनुभूति हो रही थी. घाटों का मनोरम दृश्य और मां गगा में चमकती लाइटें काशी की सुंदरता में चार चांद लगा रही थी. इस दिन काशी में करीब 12 लाख से अधिक लोग देव दीपावली का अद्भुत दर्शन करने के लिए पहुंचे थे.

वाराणसी में देव दीपावली पर पर्यटकों ने दिल खोलकर खर्चा किया.
वाराणसी में देव दीपावली पर पर्यटकों ने दिल खोलकर खर्चा किया.

सबसे खास बात ये रही कि पर्यटकों ने दिल खोलकर यहां खरीदारी की. होटलों में मिलने वाले मुफ्त के खाने छोड़कर बनारस की गलियों से कचौड़ी-सब्जी, चाट, जलेबी का मजा लिया. एक दिन में पर्यटकों ने करीब 1200 करोड़ रुपये खर्च कर दिए. बनारस की खासियत ही यही है कि यहां जो आता है यहीं का हो जाता है. काशी आने वाले पर्यटकों को काशी तो भाती ही है. इसके साथ ही यहां पर मिलने वाले स्वादिष्ट चटकारों वाले भोजन और स्ट्रीट फूड भी बहुत पसंद आते हैं.

पर्यटकों ने एक दिन में उड़ाए 1200 करोड़ रुपएः आंकड़ों की अगर बात करें तो देव दीपावली पर काशी का बाजार बम-बम बोल रहा था. देव दीपावली पर काशी आए पर्यटकों ने अर्धचंद्राकार घाटों पर अद्भुत क्षण को निहारा. आसमान में क्रैकर्स शो और लेजर लाइट शो के अलावा करीब 12 लाख दीयों के जलने के आठ लाख से अधिक पर्यटक साक्षी बने. इन पर्यटकों को सिर्फ घाट और देव दीपावली ही नहीं पसंद आया. बल्कि इन्होंने बनारस की गलियां घूम-घूमकर खूब खरीदारी की. पर्यटकों ने सिर्फ एक दिन में 1200 करोड़ रुपये सिर्फ बनारस भ्रमण पर खर्च कर दिए. इसमें 421 करोड़ रुपये घूमने-फिरने बोटिंग, 540 करोड़ रुपए खाने पीने और 500 करोड़ रुपये होटल में रहने में खर्च किए गए हैं. ये अनुमानित आंकड़ा है.

होटल में रुके पर्यटकों ने फ्री का खाना छोड़ाः टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल मेहता बताते हैं, 'पर्यटकों ने देव दीपावली देखने के लिए करीब दो महीने पहले से ही बुकिंग शुरू कर दी थी. हालांकि, बीच में तारीख को लेकर कुछ दिक्कतें हुईं. मगर बाद में 27 तारीख को ही देव दीपावली की तिथि फाइनल हुई. इसके बाद कुछ लोगों ने अपनी बुकिंग कैंसिल कराई और कुछ लोगों को हमने एडजस्ट करने का ऑफर भी दिया. देव दीपावली के दिन 95 फीसदी से अधिक होटल बुक हो चुके थे. ऐसे में होटल का कारोबार भी काफी अच्छा हुआ है. यह पिछली बार की अपेक्षा थोड़ा अधिक है. वहीं ऐसे बहुत से लोग थे जिन्हें होटल में खाना फ्री में ऑफर किया गया था. मगर उन लोगों ने बाहर का खाना पसंद किया. उन्हें बनारस के स्ट्रीट फूड खाने थे.'

काशी में बिके 223 करोड़ के जीआई उत्पादः इतना ही नहीं काशी पहुंचे पर्यटक अपने साथ बनारस की निशानी लेकर वापस गए हैं. यानी पर्यटकों ने बनारस की याद के रूप में जीआई उत्पादों की भी खूब खरीदारी की है. बनारसी साड़ी, श्री काशी विश्वनाथ धाम मॉडल की बिक्री सबसे अधिक दर्ज की गई है. आंकड़ों की बात करें तो करीब 223 करोड़ के जीआई उत्पादों की बिक्री बनारस में हुई है. इस बारे में जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत बताते हैं, 'काशी पहुंच पर्यटकों ने जीआई उत्पादों को बड़ा बाजार दिया है. काशी से मेटल क्राफ्ट के पंचपात्र, स्वास्तिक, श्रीयंत्र, अन्नपूर्णा की मूर्ति, लकड़ी के खिलौने, बनारसी साड़ी, श्री काशी विश्वनाथ धाम का लकड़ी का मॉडल खरीदकर पर्यटक ले गए हैं. यह जीआई उत्पादों के लिए अच्छा संकेत हैं.'

ये भी पढ़ेंः देव दीपावली के बाद का देखें नजारा

Last Updated : Dec 1, 2023, 7:22 PM IST
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