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वाराणसी: घर की दहलीज लांघकर ये महिलाएं खुद को बना रहीं आत्मनिर्भर

यूपी के वाराणसी जिले में महिलाएं अब घर की दहलीज लांघकर खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं. इसके लिए काशी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की तरफ से सरकार की इस योजना की शुरुआत की गई है. महिलाएं घरों की चौखट को लांघकर अपने पैरों पर खड़े होने का प्रयास कर रही हैं, जिसकी शुरुआत बनारस के बड़ागांव क्षेत्र के विरार कोट में हुई है.

घर की दहलीज लांघकर ये महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भरघर की दहलीज लांघकर ये महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर
घर की दहलीज लांघकर ये महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर
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Published : Jan 23, 2021, 1:27 PM IST

वाराणसी: बदलते सामाजिक परिवेश में महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. घर का काम हो या फिर परिवार चलाने के लिए बिजनेस या नौकरी करना महिलाएं कहीं भी पीछे नहीं हैं. शहरी क्षेत्र की महिलाएं आज हर सेक्टर में आगे निकल रही हैं, लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं कहीं ना कहीं से या तो घरों में कैद होकर परिवार चला रही हैं या फिर खेतों में काम करके अपनों का साथ दे रही हैं. शहर के बदलाव का असर अब गांव में भी दिखने लगा है और महिलाएं घरों की चौखट को लांघकर अपने पैरों पर खड़े होने का प्रयास कर रही हैं, जिसकी शुरुआत बनारस के बड़ागांव क्षेत्र के विरार कोट में हुई है.

घर की दहलीज लांघकर ये महिलाएं खुद को बना रहीं आत्मनिर्भर
एक स्टॉल महिलाओं के नाममहिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण परिवेश में खेती बारी करने वाली महिलाओं को आगे लाने के उद्देश्य से एक प्रयास बनारस में शुरू हुआ है. नाबार्ड के सहयोग से बनाई गई फार्मर प्रोड्यूसर कंपनियों की मदद से हर ब्लॉक में अलग-अलग गांव में महिलाओं के लिए एक विशेष स्टॉल खोले जा रहे हैं. स्टॉल पर खेतों में उगाई जा रही सब्जियों को सीधे महिलाएं लाकर न सिर्फ बेच सकेंगी, बल्कि बिचौलियों से बचाकर इसका मुनाफा सीधे कमा सकेंगी. मां-बेटी मिलकर चला रहीं स्टॉलबड़ागांव के विरावकोट गांव में फिलहाल प्रो काशी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की तरफ से सरकार की इस योजना की शुरुआत की गई है, जिसमें गांव की ही संगीता और उनकी बेटी ने मिलकर इस स्टॉल की जिम्मेदारी संभाल ली है. सब्जियों को लगाना उन्हें बेचना और इससे होने वाले मुनाफे को अपने पास रखना यह वह प्रयास है, जिससे इन महिलाओं को यह उम्मीद जगी है कि वह अच्छा फायदा कमाकर अपना और अपने परिवार का पेट तो पाल लेंगी. साथ ही साथ गांव की अन्य महिलाओं के लिए एक नजीर भी साबित होंगी.

वाराणसी: बदलते सामाजिक परिवेश में महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. घर का काम हो या फिर परिवार चलाने के लिए बिजनेस या नौकरी करना महिलाएं कहीं भी पीछे नहीं हैं. शहरी क्षेत्र की महिलाएं आज हर सेक्टर में आगे निकल रही हैं, लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं कहीं ना कहीं से या तो घरों में कैद होकर परिवार चला रही हैं या फिर खेतों में काम करके अपनों का साथ दे रही हैं. शहर के बदलाव का असर अब गांव में भी दिखने लगा है और महिलाएं घरों की चौखट को लांघकर अपने पैरों पर खड़े होने का प्रयास कर रही हैं, जिसकी शुरुआत बनारस के बड़ागांव क्षेत्र के विरार कोट में हुई है.

घर की दहलीज लांघकर ये महिलाएं खुद को बना रहीं आत्मनिर्भर
एक स्टॉल महिलाओं के नाममहिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण परिवेश में खेती बारी करने वाली महिलाओं को आगे लाने के उद्देश्य से एक प्रयास बनारस में शुरू हुआ है. नाबार्ड के सहयोग से बनाई गई फार्मर प्रोड्यूसर कंपनियों की मदद से हर ब्लॉक में अलग-अलग गांव में महिलाओं के लिए एक विशेष स्टॉल खोले जा रहे हैं. स्टॉल पर खेतों में उगाई जा रही सब्जियों को सीधे महिलाएं लाकर न सिर्फ बेच सकेंगी, बल्कि बिचौलियों से बचाकर इसका मुनाफा सीधे कमा सकेंगी. मां-बेटी मिलकर चला रहीं स्टॉलबड़ागांव के विरावकोट गांव में फिलहाल प्रो काशी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की तरफ से सरकार की इस योजना की शुरुआत की गई है, जिसमें गांव की ही संगीता और उनकी बेटी ने मिलकर इस स्टॉल की जिम्मेदारी संभाल ली है. सब्जियों को लगाना उन्हें बेचना और इससे होने वाले मुनाफे को अपने पास रखना यह वह प्रयास है, जिससे इन महिलाओं को यह उम्मीद जगी है कि वह अच्छा फायदा कमाकर अपना और अपने परिवार का पेट तो पाल लेंगी. साथ ही साथ गांव की अन्य महिलाओं के लिए एक नजीर भी साबित होंगी.
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