वाराणसी: पीएम मोदी युवा खिलाड़ियों में आगे आकर देश के लिए कुछ करने का जज्बा जगा रहे हैं और 'खेलो इंडिया' के कैंपेन के बाद अब 'फिट इंडिया' कैंपेन लॉन्च करने की तैयारी में हैं. फिटनेस के साथ खिलाड़ियों को उत्साहित करने के लिए पीएम मोदी लगातार प्रयास कर रहे हैं. वहीं खिलाड़ी भी इससे खुश होकर अपने खेल में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं.
ऐसे ही एक खिलाड़ी शिवम पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से हैं. जिन्होंने तीरंदाजी में अपना करियर बनाने और देश के लिए कुछ करने की चाहत रखते हुए, 2014 से 2018 तक खेलते हुए अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय तीरंदाजी प्रतियोगिता में एक स्वर्ण, दो रजत और एक कांस्य पदक जीता और राष्ट्रीय जूनियर तीरंदाजी प्रतियोगिता में रजत पदक जीतकर जिले के साथ ही देश का नाम भी रोशन किया. इन सबके बीच इस होनहार खिलाड़ी शिवम केसरी का सपना उसके धनुष के टूटने के साथ ही टूट गया. आज हालात यह हैं कि घर की आर्थिक तंगी की वजह से धनुष टूटने के साथ ही शिवम का वह सपना भी टूटता दिख रहा है जो पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र की जनता ने देश का नाम रोशन होने के लिए देखा था.
धनुष टूटने के साथ ही टूटी शिवम की किस्मत
29 अगस्त को विश्व खेल दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी 'फिट इंडिया' कैंपेन शुरू करने जा रहे हैं. वहीं इसके पहले सरकार में रहते हुए पीएम मोदी ने 'खेलो इंडिया' कैंपेन की शुरुआत की थी. लगातार खेल के प्रति प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों का असर है कि आज युवा खेलों से जुड़ रहे हैं और खिलाड़ी भी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी का यह नेशनल लेवल तक पहुंच चुका तीरंदाज अब हार मान चुका है. शिवम का कहना है कि एक के बाद एक नेशनल और स्टेट लेवल पर इतने मेडल लाने के बाद भी वह दर-दर भटकने के लिए मजबूर है, क्योंकि जिस लकड़ी के धनुष से वह नेशनल लेवल खेलता है उसकी क्षमता अब खत्म हो चुकी है और इंटरनेशनल लेवल पर जाने के लिए उसे विदेशी हाई-फाई धनुष की जरूरत है. जिसकी कीमत लगभग तीन लाख रुपये है.
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टूटे हुए धनुष की वजह से नहीं हो सका चयन
टूटे धनुष की वजह से शिवम का सेलेक्शन हाल ही में हुए स्टेट लेवल ओपन चैंपियनशिप में नहीं हो सका. शिवम का कहना है कि टूटे हुए धनुष की वजह से उसका सपना टूट चुका है और अब न चाह कर भी उसे घर पर बैठना पड़ रहा है. हालात ऐसे ही रहे तो वह इस खेल को छोड़कर अब कोई और काम करने के लिए मजबूर हो जाएगा.
पीएम से लेकर सीएम तक लगाई मदद की गुहार
शिवम के प्रयास सिर्फ उसके लेवल तक नहीं रहे. उसने बताया कि 2017 में जूनियर नेशनल में रजत पदक जीतने के बाद उसने प्रदेश के तत्कालीन खेल राज्य मंत्री नीलकंठ तिवारी को लिखित आवेदन उनके आवास पर जाकर दिया था. जून 2018 में दोबारा लिखित आवेदन दिया. दिसंबर 2018 में जब राष्ट्रीय अंतर विश्वविद्यालय मुकाबले में उसने दो रजत और एक कांस्य पदक जीते तो फिर उसने राज्यमंत्री से मुलाकात कर अपने टूटे धनुष की जगह इंटरनेशनल धनुष के लिए फंड दिलाए जाने की मांग रखी, लेकिन नतीजा सिफर रहा. शिवम ने टूटे धनुष की जगह नये धनुष के लिए प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय कार्यालय से लेकर सीएम योगी तक को लेटर लिखा है, लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं आया. जिसके बाद अब शिवम की हिम्मत जवाब देते दिख रही है.
आर्थिक तंगी बनी सफलता में रोड़ा
शिवम ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि पिता रेस्टोरेंट में कुक हैं और मां हाउस वाइफ हैं. घर वाले इतने सक्षम नहीं कि उसका यह महंगा खेल आगे बढ़ा सकें. मां रुक्मिणी भी रो-रोकर बस यही गुहार लगा रही है कि प्रधानमंत्री मोदी उसके बेटे को एक धनुष दिला दें ताकि वह देश का नाम रोशन कर सके. देखने वाली बात यह होगी कि 'खेलो इंडिया' और 'फिट इंडिया' जैसे कैंपेन कागजों के जरिए जमीन पर उतारने वाले पीएम मोदी अपने संसदीय क्षेत्र के इस होनहार खिलाड़ी की पुकार को सुनकर उसके डूब रहे करियर को बचाने की कब कोशिश करेंगे.