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Super Blue Moon 2023: आज चूके तो 2037 में कर पाएंगे चंद्रमा का इस रूप में दीदार

सुपर ब्लू मून का दीदार रात 8 बजकर 37 मिनट पर होगा. यदि आज आप सुपर ब्लू मून नहीं देख पाए तो इस खगोलीय घटना को आप 2037 में देख सकेगें. जानिये चंद्रमा क्यों इस रूप में आता है?

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सुपर ब्लू मून 2023
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 30, 2023, 7:57 PM IST

वाराणसी: आज ब्लू मून दिखेगा. एक ही माह में दो पूर्णिमा का मिलना ही ब्लू मून कहलाता है. यह अद्भुत योग एक दो नहीं बल्कि 20 वर्ष बाद बन रहा है. ज्योतिषाचार्य कृष्ण शास्त्री ने बताया कि यह ब्लू मून खगोलीय और ज्योतिषी दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. सुपर ब्लू मून सामान्य दिनों की तुलना में 40 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी अधिक चमकीला दिखाई देगा. सुपर ब्लू मून को बिना किसी उपकरण के आसानी से देखा जा सकता है. ब्लू मून में चंद्रमा नीला नहीं, हल्का संतरी रंग या पीलापन का दिखाई देगा. चंद्रमा नीला तभी दिखाई देता है, जब आसपास बहुत ज्यादा प्रदूषण हो, जिसकी वजह से धूल के कण हवा में बिखर गए हों.

दशकों में एक बार बनता है सुपर ब्लू मून: आचार्य दैवज्ञ ने बताया कि सावन पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होगा और रात 8 बजकर 37 मिनट पर सुपर ब्लू मून पूर्ण आकार और चमक के साथ आसमान में दिखाई देगा. खगोल विज्ञान के अनुसार, ब्लू मून की घटना तो दो से तीन सालों में एक बार घटती है. लेकिन, सुपर ब्लू मून लगभग दस सालों में एक बार आता है. हालांकि कभी कभार यह 20 सालों में घटित हो जाता है. अगला सुपर ब्लू मून अब साल 2037 में पड़ने की संभावना है.

यह भी पढे़-आसमान पर आज दिखेगा सुपर ब्लू मून का अद्भुत नजारा, जानिए कितने बजे से दिखेगा

इस तरह बनती है ब्लू मून की स्थिति: चंद्रमा 29.5 दिनों में पृथ्वी का एक पूरा चक्कर लगाता है. पृथ्वी पर साल में 365 दिन होते हैं. इस हिसाब से चांद एक साल में 12.27 चक्कर लगाता है. यानी 354 दिनों में 12 लूनर साइकिल पूरा करता है. पृथ्वी पर एक साल में 12 महीने होते हैं और हर महीने में एक बार पूर्णिमा तिथि आती है. कैलेंडर के हिसाब से चंद्रमा पृथ्वी के साल भर में 12 बार पूर्ण परिक्रमा करता है और उसमें 11 दिन ज्यादा होते हैं. अगर हर साल इन 11 दिनों को जोड़ दिया जाए तो दो साल में 22 और तीन साल में 33 दिन हो जाते हैं. इस तरह 33 दिनों की वजह से हर दो से तीन साल में एक पूर्णिमा तिथि अतिरिक्त जुड़ जाती है, यानी 13वीं पूर्णिमा तिथि 2.5 वर्षों में दिखती है, जिससे ब्लू मून की स्थिति बनती है. क्योंकि हर 13वीं पूर्णिमा तिथि को ब्लू मून होता है. जब एक महीने में ऐसी दोनों ही स्थिति बन रही हों यानी चंद्रमा पृथ्वी के नजदीक भी हो और एक माह में दो पूर्णिमा तिथि भी हैं, तब सुपर ब्लू मून बनता है. क्योंकि 1 अगस्त को अधिकमास की पूर्णिमा तिथि थी और 30 अगस्त को सावन पूर्णिमा है. यानी एक महीने में दो पूर्णिमा तिथि हैं और चंद्रमा भी पृथ्वी के नजदीक है तो इस स्थिति में सुपर ब्लू मून बनता है.

इसे भी पढ़े-Blue Moon 2023: ब्लू मून का पड़ेगा 12 राशियों पर असर, जानिए आपके लिए क्या होगा प्रभाव

वाराणसी: आज ब्लू मून दिखेगा. एक ही माह में दो पूर्णिमा का मिलना ही ब्लू मून कहलाता है. यह अद्भुत योग एक दो नहीं बल्कि 20 वर्ष बाद बन रहा है. ज्योतिषाचार्य कृष्ण शास्त्री ने बताया कि यह ब्लू मून खगोलीय और ज्योतिषी दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. सुपर ब्लू मून सामान्य दिनों की तुलना में 40 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी अधिक चमकीला दिखाई देगा. सुपर ब्लू मून को बिना किसी उपकरण के आसानी से देखा जा सकता है. ब्लू मून में चंद्रमा नीला नहीं, हल्का संतरी रंग या पीलापन का दिखाई देगा. चंद्रमा नीला तभी दिखाई देता है, जब आसपास बहुत ज्यादा प्रदूषण हो, जिसकी वजह से धूल के कण हवा में बिखर गए हों.

दशकों में एक बार बनता है सुपर ब्लू मून: आचार्य दैवज्ञ ने बताया कि सावन पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होगा और रात 8 बजकर 37 मिनट पर सुपर ब्लू मून पूर्ण आकार और चमक के साथ आसमान में दिखाई देगा. खगोल विज्ञान के अनुसार, ब्लू मून की घटना तो दो से तीन सालों में एक बार घटती है. लेकिन, सुपर ब्लू मून लगभग दस सालों में एक बार आता है. हालांकि कभी कभार यह 20 सालों में घटित हो जाता है. अगला सुपर ब्लू मून अब साल 2037 में पड़ने की संभावना है.

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इस तरह बनती है ब्लू मून की स्थिति: चंद्रमा 29.5 दिनों में पृथ्वी का एक पूरा चक्कर लगाता है. पृथ्वी पर साल में 365 दिन होते हैं. इस हिसाब से चांद एक साल में 12.27 चक्कर लगाता है. यानी 354 दिनों में 12 लूनर साइकिल पूरा करता है. पृथ्वी पर एक साल में 12 महीने होते हैं और हर महीने में एक बार पूर्णिमा तिथि आती है. कैलेंडर के हिसाब से चंद्रमा पृथ्वी के साल भर में 12 बार पूर्ण परिक्रमा करता है और उसमें 11 दिन ज्यादा होते हैं. अगर हर साल इन 11 दिनों को जोड़ दिया जाए तो दो साल में 22 और तीन साल में 33 दिन हो जाते हैं. इस तरह 33 दिनों की वजह से हर दो से तीन साल में एक पूर्णिमा तिथि अतिरिक्त जुड़ जाती है, यानी 13वीं पूर्णिमा तिथि 2.5 वर्षों में दिखती है, जिससे ब्लू मून की स्थिति बनती है. क्योंकि हर 13वीं पूर्णिमा तिथि को ब्लू मून होता है. जब एक महीने में ऐसी दोनों ही स्थिति बन रही हों यानी चंद्रमा पृथ्वी के नजदीक भी हो और एक माह में दो पूर्णिमा तिथि भी हैं, तब सुपर ब्लू मून बनता है. क्योंकि 1 अगस्त को अधिकमास की पूर्णिमा तिथि थी और 30 अगस्त को सावन पूर्णिमा है. यानी एक महीने में दो पूर्णिमा तिथि हैं और चंद्रमा भी पृथ्वी के नजदीक है तो इस स्थिति में सुपर ब्लू मून बनता है.

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