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BHU छात्रों ने कुलपति को सौंपा ज्ञापन, ये है वजह - students gave memorandum to bhu vc

यूपी के वाराणसी में स्थित बीएचयू के संगीत मंच कला संकाय के संगीत शास्त्र विभाग से संस्कृत की शिक्षा और शिक्षक दोनों को खत्म कर दिया गया है, जिसे लेकर छात्रों में आक्रोश है. शुक्रवार को छात्रों ने इस पूरे मामले को लेकर बीएचयू के कुलपति को ज्ञापन सौंपा.

छात्रों ने दिया ज्ञापन.
छात्रों ने दिया ज्ञापन.
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Published : Dec 18, 2020, 7:50 PM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में संगीत मंच कला संकाय के संगीत शास्त्र विभाग से संस्कृत की शिक्षा और शिक्षक दोनों को खत्म कर दिया गया, जिसे लेकर छात्रों में आक्रोश है. शुक्रवार दोपहर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए छात्रों ने इस पूरे मामले को लेकर बीएचयू के कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर को ज्ञापन सौंपा. इस मामले को लेकर छात्रों ने इससे पहले भी 25 सितंबर को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

छात्रों ने दिया ज्ञापन.
पं. ओंकार नाथ ठाकुर ने की थी स्थापनामहामना के निर्देशन पर पंडित ओंकारनाथ ठाकुर जिन्होंने विश्वविद्यालय के कुल गीत को राग बंद किया. उन्हीं के द्वारा स्थापित संगीत व मंच कला संकाय में विशेष रूप से संगीत शास्त्र विभाग की आधारशिला रखी गई. उसमें गुणवत्तापूर्ण संगीत शिक्षा के लिए संस्कृत शिक्षक भी नियुक्त किए गए, ताकि विश्वविद्यालय में कला के साथ शास्त्र में भी छात्र निपुण हो सकें और संगीत के सभी ग्रंथ जैसे नाट्यशास्त्र, वहददेशी, नारदीय शिक्षा, सुधाकलश, संगीत रत्नाकर आदि जिसे आज भी उत्तर और दक्षिण संगीत का आधार ग्रंथ माना जाता है, जोकि सभी संस्कृत भाषा में हैं, जिसकी नींव ही हिंदुस्तानी और कर्नाटक संगीत को संपूर्ण विश्व में एक अलग पहचान मिली है.

छात्रों ने विश्वविद्यालय पर आरोप लगाते हुए कहा कि साजिश के तहत संगीत से संस्कृत को खत्म किया जा रहा है. अभी लगभग 3 वर्षों से पद रिक्त चल रहा था. 2019-20 के विज्ञापन में आवेदन भी मांगे गए. साक्षात्कार नहीं हुआ. अचानक 2020 और 21 के विज्ञापन में इसे सदा के लिए हटा दिया गया. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.

विदेशों तक पहुंचे इस संकाय के छात्र
संगीत मंच कला संकाय के छात्रों ने देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपना लोहा मनवाया है. महामना के मानस पुत्रों के रूप में यहां से संगीत की शिक्षा ग्रहण करके और देश-विदेश में नाम रोशन कर रहे हैं. ऐसे में अगर इस पद को समाप्त कर दिया गया, तो छात्र केवल संगीत की शिक्षा ले पाएंगे और जो मूल है संस्कृत उससे अनभिज्ञ रहेंगे.

शोध छात्र जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि बीएचयू के संगीत और मंच कला संकाय संगीत शास्त्र विभाग में संगीत के शिक्षक के पद को हटाया जा रहा है. इसको लेकर हम लोगों ने 26 सितंबर 2020 को एक आवेदन भी कुलपति महोदय को दिया था. अभी तक हम लोगों को इसका कोई उत्तर नहीं मिला. 2020 की शिक्षा नीति में स्वदेशी भाषाओं पर जोर दिया जा रहा है. वहीं संस्कृत विषय को विभागों से खत्म किया जा रहा है. हमारी बात को विश्वविद्यालय प्रशासन अगर नहीं मानेगा, तो हम बड़े आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे. संगीत में संस्कृत उतना ही आवश्यक है, जितना वेदों में संस्कृत का महत्व है. हमारे संगीत की बहुत सी चीजें हमें वेदों से प्राप्त हैं. ऐसे में जब हम संस्कृत की शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाएंगे, तो संगीत की शिक्षा कहां से ग्रहण करेंगे.

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में संगीत मंच कला संकाय के संगीत शास्त्र विभाग से संस्कृत की शिक्षा और शिक्षक दोनों को खत्म कर दिया गया, जिसे लेकर छात्रों में आक्रोश है. शुक्रवार दोपहर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए छात्रों ने इस पूरे मामले को लेकर बीएचयू के कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर को ज्ञापन सौंपा. इस मामले को लेकर छात्रों ने इससे पहले भी 25 सितंबर को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

छात्रों ने दिया ज्ञापन.
पं. ओंकार नाथ ठाकुर ने की थी स्थापनामहामना के निर्देशन पर पंडित ओंकारनाथ ठाकुर जिन्होंने विश्वविद्यालय के कुल गीत को राग बंद किया. उन्हीं के द्वारा स्थापित संगीत व मंच कला संकाय में विशेष रूप से संगीत शास्त्र विभाग की आधारशिला रखी गई. उसमें गुणवत्तापूर्ण संगीत शिक्षा के लिए संस्कृत शिक्षक भी नियुक्त किए गए, ताकि विश्वविद्यालय में कला के साथ शास्त्र में भी छात्र निपुण हो सकें और संगीत के सभी ग्रंथ जैसे नाट्यशास्त्र, वहददेशी, नारदीय शिक्षा, सुधाकलश, संगीत रत्नाकर आदि जिसे आज भी उत्तर और दक्षिण संगीत का आधार ग्रंथ माना जाता है, जोकि सभी संस्कृत भाषा में हैं, जिसकी नींव ही हिंदुस्तानी और कर्नाटक संगीत को संपूर्ण विश्व में एक अलग पहचान मिली है.

छात्रों ने विश्वविद्यालय पर आरोप लगाते हुए कहा कि साजिश के तहत संगीत से संस्कृत को खत्म किया जा रहा है. अभी लगभग 3 वर्षों से पद रिक्त चल रहा था. 2019-20 के विज्ञापन में आवेदन भी मांगे गए. साक्षात्कार नहीं हुआ. अचानक 2020 और 21 के विज्ञापन में इसे सदा के लिए हटा दिया गया. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.

विदेशों तक पहुंचे इस संकाय के छात्र
संगीत मंच कला संकाय के छात्रों ने देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपना लोहा मनवाया है. महामना के मानस पुत्रों के रूप में यहां से संगीत की शिक्षा ग्रहण करके और देश-विदेश में नाम रोशन कर रहे हैं. ऐसे में अगर इस पद को समाप्त कर दिया गया, तो छात्र केवल संगीत की शिक्षा ले पाएंगे और जो मूल है संस्कृत उससे अनभिज्ञ रहेंगे.

शोध छात्र जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि बीएचयू के संगीत और मंच कला संकाय संगीत शास्त्र विभाग में संगीत के शिक्षक के पद को हटाया जा रहा है. इसको लेकर हम लोगों ने 26 सितंबर 2020 को एक आवेदन भी कुलपति महोदय को दिया था. अभी तक हम लोगों को इसका कोई उत्तर नहीं मिला. 2020 की शिक्षा नीति में स्वदेशी भाषाओं पर जोर दिया जा रहा है. वहीं संस्कृत विषय को विभागों से खत्म किया जा रहा है. हमारी बात को विश्वविद्यालय प्रशासन अगर नहीं मानेगा, तो हम बड़े आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे. संगीत में संस्कृत उतना ही आवश्यक है, जितना वेदों में संस्कृत का महत्व है. हमारे संगीत की बहुत सी चीजें हमें वेदों से प्राप्त हैं. ऐसे में जब हम संस्कृत की शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाएंगे, तो संगीत की शिक्षा कहां से ग्रहण करेंगे.

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