वाराणसी: काशी जिसे महादेव की नगरी कहते हैं. यहां कण-कण में शिव विराजते हैं, लेकिन काशी में बीते 94 सालों से रामलला विराजमान हैं और भक्तों की हर मनोकामना की पूरी करते हैं. काशी के दशाश्वमेध के त्रिपुरा भैरवी इलाके में स्थित राम रमापति बैंक में भगवान राम का बाल स्वरूप बीते 94 सालों से विराजमान है. अपने आप में अनोखा यह स्थान आने वाले भक्तों की मनोकामना पूर्ण करता है और यही वजह है कि यहां बड़ी संख्या में भक्तों ने राम मंदिर निर्माण की अर्जी भी खुद रामलला के आगे लगाई थी, जो अब पूरी होने जा रही है.
चांदी के सिंहासन पर चारों तरफ से खिलौने से घिरे रामलला काशी में 94 सालों से लोगों की मुरादें पूरी कर रहे हैं. अयोध्या में रामलला भले ही टेंट में विराजे थे, लेकिन इस स्थान पर रामलला हमेशा से मंदिर में और भव्य चांदी के सिंहासन पर विराजमान हैं. इस स्थान को राम रमापति बैंक के नाम से जाना जाता है, जहां लोगों को राम नाम का कर्ज मिलता है.
बैंक के रूप में संचालित होने वाले इस स्थान में फॉर्म भरने के साथ ही भगवान राम के नाम का अनुष्ठान उठाना होता है, जिसके लिए भक्तों को लाल स्याही, कलम और सादा कागज रामलला के मंदिर से ही दिया जाता है. पूरे वर्ष राम नाम को लिखकर रामनवमी के दिन यहां पर जमा करना होता है और राम नाम के इस कर्ज के बदले इसको चुकाने के बाद बदले में पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
बैंक के मैनेजर चन्द्र कुमार मेहरोत्रा ने बताया कि लगभग 94 साल पहले उनके परदादा ने इस बैंक की स्थापना की. एक संत ने इस बैंक की स्थापना के निर्देश उनके परदादा को दिए थे. सबसे बड़ी बात यह है कि इस बैंक की कोई शाखा नहीं है. हेड ऑफिस कैलाश पर्वत पर है और देखरेख भोलेनाथ करते हैं और मालिक खुद रामलला हैं.
इस पूरे मंदिर में चारों तरफ राम नाम की गठरी आपको दिखाई दे जाएगी. यहां भक्त हर साल राम नाम लिखकर अपने मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए यहां आते हैं. बैंक प्रबंधन का कहना है कि बहुत से भक्तों ने अपने फॉर्म में राम मंदिर निर्माण की मनोकामना भी की थी और अब वह पूरी होने जा रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि अब तक इस राम नाम के बैंक में 19 अरब 34 करोड़ 56 लाख 75 हजार से ज्यादा राम नाम जमा हो चुके हैं.