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वाराणसी: 20 साल बाद भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं करगिल शहीद संजय सिंह यादव - कारगिल शहीद संजय सिंह यादव

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में कारगिल शहीद संजय सिंह यादव का परिवार आज भी 20 वर्ष पहले की बात याद करता है तो आंखें नम हो जाती हैं और कुछ कहने से पहले ही गला रुंद जाता है.

शहीद संजय सिंह यादव की फाइल फोटो
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Published : Jul 25, 2019, 7:57 PM IST

वाराणसी: 26 जुलाई को पूरा देश करगिल दिवस के रुप में खुशियां मनाता है. वहीं कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपने घर का एक चिराग बुझता हुआ देखा था. 20 साल बाद भी वह मंजर शहीदों के परिजनों की आंखों के सामने है, जब उनका शरीर तिरंगे में लिपटकर घर लाया गया था. करगिल दिवस के दिन उन सभी शहीदों के परिवार शोक में डूबे हुये हैं, जिन्होंने मातृ-भूमि के लिये खुद को न्योछावर किया था.

शहीद संजय सिंह यादव के परिजनों से बातचीत

20 वर्ष बाद भी दिलों में जिंदा हैं शहीद संजय सिंह यादव-

वाराणसी में रहने वाला शहीद संजय सिंह यादव का परिवार उस दिन को आज भी याद करते हुए सहम जाता है, जब खबर आई थी कि 1999 के करगिल के युद्ध में उन्होंने संजय को खो दिया. संजय को शहादत तो मिल गई पर पीछे छूट गई 19 साल की बीवी, ढाई साल का बेटा, एक भाई और परिवार के अन्य लोग. 20 साल बाद भी परिवार की यादों से संजय दूर नहीं गए. उनकी आंखों में आज भी उस दिन की स्मृतियां शेष हैं. जब उनकी बीवी से ईटीवी भारत ने बात करने की कोशिश की तो संजय की यादों ने उनकी आंखें नम कर दी और वह कुछ भी बोलने में सहज नहीं थीं. घर में आज भी संजय कुमार सिंह यादव की आर्मी यूनिफॉर्म की तस्वीरों को संजो कर रखा गया है और उसके साथ ही 26 जुलाई 1999 की वह यादें भी दिलों में कहीं दबी हुई हैं.


भले ही कई मुश्किलों के दौर से परिवार गुजरा है पर आज अगर कहीं भी हम अपने बड़े भाई का जिक्र करते हैं तो जितनी इज्जत और सम्मान पूरे परिवार को मिलता है उससे आंखें भर आती हैं. देश के बहुत वीर सपूतों ने उस युद्ध में अपनी जान गंवाई थी और उन सभी सपूतों को दिल से प्रणाम करते हैं कि उन्होंने देश को गौरवान्वित होने का मौका दिया है.
-शहीद संजय के भाई

वाराणसी: 26 जुलाई को पूरा देश करगिल दिवस के रुप में खुशियां मनाता है. वहीं कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपने घर का एक चिराग बुझता हुआ देखा था. 20 साल बाद भी वह मंजर शहीदों के परिजनों की आंखों के सामने है, जब उनका शरीर तिरंगे में लिपटकर घर लाया गया था. करगिल दिवस के दिन उन सभी शहीदों के परिवार शोक में डूबे हुये हैं, जिन्होंने मातृ-भूमि के लिये खुद को न्योछावर किया था.

शहीद संजय सिंह यादव के परिजनों से बातचीत

20 वर्ष बाद भी दिलों में जिंदा हैं शहीद संजय सिंह यादव-

वाराणसी में रहने वाला शहीद संजय सिंह यादव का परिवार उस दिन को आज भी याद करते हुए सहम जाता है, जब खबर आई थी कि 1999 के करगिल के युद्ध में उन्होंने संजय को खो दिया. संजय को शहादत तो मिल गई पर पीछे छूट गई 19 साल की बीवी, ढाई साल का बेटा, एक भाई और परिवार के अन्य लोग. 20 साल बाद भी परिवार की यादों से संजय दूर नहीं गए. उनकी आंखों में आज भी उस दिन की स्मृतियां शेष हैं. जब उनकी बीवी से ईटीवी भारत ने बात करने की कोशिश की तो संजय की यादों ने उनकी आंखें नम कर दी और वह कुछ भी बोलने में सहज नहीं थीं. घर में आज भी संजय कुमार सिंह यादव की आर्मी यूनिफॉर्म की तस्वीरों को संजो कर रखा गया है और उसके साथ ही 26 जुलाई 1999 की वह यादें भी दिलों में कहीं दबी हुई हैं.


भले ही कई मुश्किलों के दौर से परिवार गुजरा है पर आज अगर कहीं भी हम अपने बड़े भाई का जिक्र करते हैं तो जितनी इज्जत और सम्मान पूरे परिवार को मिलता है उससे आंखें भर आती हैं. देश के बहुत वीर सपूतों ने उस युद्ध में अपनी जान गंवाई थी और उन सभी सपूतों को दिल से प्रणाम करते हैं कि उन्होंने देश को गौरवान्वित होने का मौका दिया है.
-शहीद संजय के भाई

Intro:वाराणसी। कारगिल विजय दिवस के रूप में 26 जुलाई को पूरा देश भारत की विजय की खुशियां मनाता है, पर वही कुछ परिवार ऐसे भी है जिनको इस खुशी के मौके के साथ ही दुख का भी एक झटका लगा था, जिससे वह आज तक उबर नहीं पाए हैं। कारगिल पर विजय पाने के लिए भारत के जिन वीर सपूतों ने अपने प्राण त्याग दिए थे उनका परिवार आज भी उस दिन को भूल नहीं पाया है। 20 साल बाद भी वह सभी मंजर आंखों के सामने है और गले से उस बारे में बात करने को आवाज तक नहीं निकल पाती। आज जब हम कारगिल विजय दिवस मना रहे हैं तो उनके परिवार वाले उस दिन को याद करके शोक में डूब गए हैं जब तिरंगे में लिपटा उनके घर का चिराग दहलीज पर वापस लौटा था।


Body:VO1: वाराणसी में रहने वाला शहीद संजय सिंह यादव का परिवार उस दिन को आज भी याद करते हुए सहम जाता है जब खबर आई थी कि 1999 के कारगिल के युद्ध में उन्होंने संजय को खो दिया संजय को शहादत तो मिल गई पर पीछे छूट गई एक 19 साल की बीवी ढाई साल का बेटा एक भाई और परिवार के अन्य लोग 20 साल बाद आज बच्चा बड़ा हो चुका है और संजय की बीवी ने भी हालातों से समझौता कर आगे बढ़ना सीख लिया है पर परिवार की यादों से संजय दूर नहीं गए आंखों में आज भी उस दिन की स्मृतियां शेष है जब पूरे परिवार की जिंदगी बदल गई संजय के छोटे भाई गाजीपुर में नौकरी करते हैं और उनका बेटा अपनी आगे की पढ़ाई पूरी कर रहा है लेकिन 20 साल बाद भी जब उनकी बीवी से ईटीवी ने बात करने की कोशिश की तो संजय की यादों ने उनकी आंखें नम कर दी और वह कुछ भी बोलने में असक्षम रही। घर में आज भी संजय कुमार सिंह यादव की आर्मी यूनिफॉर्म की तस्वीरों को संजो कर रखा गया है और उसके साथ ही 26 जुलाई 1999 की वह यादें भी अपने मन में कहीं ना कहीं घर वालों ने छुपा के रखी है।

बाइट: अजय यादव, शहीद संजय यादव के भाई


Conclusion:VO2: शहीद संजय के भाई का कहना है कि भले ही कई मुश्किलों के दौर से परिवार गुजरा है पर आज अगर कहीं भी हम अपने बड़े भाई का जिक्र करते हैं जो जितनी इज्जत और सम्मान पूरे परिवार को मिलता है उससे आंखें भर आती है अजय यादव कहते हैं कि देश के बहुत वीर सपूतों ने उस युद्ध में अपनी जान गवाई थी और उन सभी सपूतों को दिल से प्रणाम करते हैं कि उन्होंने देश को गौरवान्वित होने का मौका दिया है परिवार वालों का कहना है कि जो चीज खो गई उसको तो वापस नहीं लाया जा सकता है पर जो इज्जत और सम्मान बेटे ने मातृभूमि की रक्षा में जान गवा कर कमाया है वह आज पूरे परिवार को मिल रहा है।गौरतलब है कि शहीद संजय कुमार यादव 1999 कारगिल युद्ध में सिपाही थे जो कि पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल पोस्ट को बचाते हुए शहीद हो गए थे।

Regards
Arnima Dwivedi
Varanasi
7523863236
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