वाराणसी: भले ही काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में छात्र गैर हिन्दू प्रोफेसर का छात्र विरोध कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में तस्वीरें इसके बिलकुल विपरीत हैं. उर्दू विभाग में प्रोफेसर ऋषि शर्मा पिछले 5 सालों से पढ़ा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस तरह के विरोध का सामना उन्हें कभी किसी छात्र या शिक्षक से नहीं करना पड़ा. प्रो. ऋषि शर्मा का कहना है कि जिस समय विश्वविद्यालय की नींव महामना मदन मोहन मालवीय ने रखी. उस समय उन्होंने सभी भाषाओं के विभाग बनाए जैसे फ्रांसीसी, जर्मन, उर्दू, अरेबिक, संस्कृत, बंगला इत्यादि.
ऋषि शर्मा का कहना है कि उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पश्चिम बंगाल में एक मदरसे में की है और वहीं से हिंदी पढ़ते-पढ़ते अपने शिक्षकों के प्रेरित करने पर उन्हें उर्दू भी पढ़ने का मौका मिला. प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि धीरे-धीरे उर्दू से इतना लगाव हो गया कि उन्होंने भविष्य इसी भाषा में कैरियर बनाने की सोची. आज वह इस मुकाम तक पहुंच पाए हैं. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में जिस तरह छात्र उन्हें इज्जत देते हैं. वह उनके लिए गर्व की बात है.
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प्रोफेसर ऋषि शर्मा के बारे में बताते हुए उर्दू विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट ने बताया कि उर्दू किसी विशेष धर्म की भाषा नहीं है. ऋषि शर्मा यहां अपने टैलेंट के आधार पर आए और सभी बच्चे उनके पीछे लगे रहते हैं. ऐसा कभी नहीं की ऋषि शर्मा का विरोध हुआ हो. एक बड़ी तादाद उनसे उर्दू बड़े मोहब्बत से पढ़ते हैं. उर्दू भाषा में समरसता का सम्मान है. सभी भाषा का सम्मान करना चाहिए.