वाराणसी: ग्रहों की चाल और ग्रह मंडल में होने वाले बदलाव धरती पर व्यापक असर डालते हैं. वहीं ग्रहण लोगों की जिंदगी पर भी गहरा प्रभाव छोड़ते हैं. दिसंबर 2019 में पड़े सूर्य ग्रहण के बाद से भारत समेत पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है. ज्योतिष शास्त्र की मानें तो ग्रहण की वजह से पृथ्वी पर नकारात्मक और सकारात्मक दोनों प्रकार की ऊर्जाओं का समावेश होता है और एक ग्रहण का असर तब तक होता है, जब तक दूसरा ग्रहण ना पड़ जाए. दिसंबर 2019 के बाद 21 जून 2020 को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है.
21 जून 2020 को सूर्य ग्रहण वलयाकार सूर्यग्रहण होगा, यानी यह पूर्ण सूर्यग्रहण नहीं होगा. 99% सूर्य का हिस्सा ग्रहण में दिखेगा. यदि ग्रहण के समय के बारे में बात करें तो ग्रहण सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर लगेगा और मध्य काल 12 बजकर 17 मिनट पर होगा. ग्रहण का मोक्ष दोपहर 2 बजकर 4 मिनट पर होगा. कोरोना महामारी के बीच इस बार का ग्रहण विशेष माना जा रहा है.
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ग्रहण से पहले सूतक काल भी महत्वपूर्ण होता है. ज्योतिषाचार्य विनय पांडेय ने बताया कि सूर्य ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले सूतक काल प्रारंभ हो जाता है. यानी 20 जून को रात 9 बजकर 26 मिनट पर सूतक काल शुरू हो जाएगा. इस दौरान गर्भवती स्त्रियों को विशेष तौर पर ध्यान देना होगा और उन्हें ग्रहण नहीं देखना चाहिए. ग्रहण के दौरान ईश्वर का भजन, कीर्तन और जप करना चाहिए.
ज्योतिषाचार्य विनय पांडेय का कहना है कि एक ग्रहण के असर छोड़ने के बाद दूसरे ग्रहण का असर दिखाई देता है. 2019 के सूर्यग्रहण की स्थिति देखी गई, जो कि बेहद खतरनाक रही. चारों तरफ महामारी का प्रकोप देखने को मिला. हालांकि इस बार मिथुन राशि पर लग रहे सूर्यग्रहण का असर अच्छा होनेवाला है. उपद्रव थोड़ा कम होगा, लेकिन ग्रहों की चाल कुछ मुश्किलें भी बढ़ाने वाली हैं. भूकंप और बारिश का संयोग देखने को मिल सकता है.
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