वाराणसी: मोक्ष की नगरी काशी में गुरुवार को अनोखा पिंडदान (Pinddan) किया गया. यहां, सामाजिक कर्तव्यों की पूर्ति करते हुए 'आगमन सामाजिक संस्था' ने उन बेटियों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म (shraddh) किया, जिनकी हत्या उन्हीं की मां की कोख (Mother's Womb) में उन लोगों ने करा दी, जिसे हम सब माता-पिता या परिजन कहते हैं.
बताते चलें कि संस्था अब तक 37 हजार अजन्मी बेटियों की मोक्ष की कामना के लिए पिंड दान कर चुकी है. इस वर्ष 11 हजार बेटियों का पिंडदान किया गया. उसके साथ ही कोरोना महामारी के दौरान जान गंवाने वाली बेटियों के मोक्ष की भी कामना की गई. यह संस्था पिछले कई वर्षों से पवित्र कार्य को काशी के प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर कर रही है.
डॉक्टर संतोष ओझा ने बताया आज पितृ पक्ष की नवमी तिथि है. आज की तिथि महिलाओं को समर्पित है. मान्यता यह है कि, आज उन महिलाओं को पिंडदान और तर्पण किया जाता है. हमारी संस्था आगमन पिछले लंबे समय से बेटी बचाने (Save Girl) की मुहिम चली रही है. इसी के साथ आज हम लोग श्राद्ध कर्म करते हैं. ऐसी अजन्मी बिटिया हैं, जिनके माता-पिता या उनके परिजन ने उन्हें पृथ्वी पर जन्म लेने से पहले ही मार दिया. हमारा समाज उन्हें जीने का अधिकार तो नहीं दे पाया है. हम उनकी मोक्ष की कामना के लिए आज यह पिंडदान और तर्पण का कार्य करते हैं. पूरे वैदिक रीति रिवाज से आज की 11 हजार बेटियों का हम लोग मोक्ष की कामना करेंगे. संख्या के बात की जाए तो अब तक हम लोगों ने 37 हजार बेटियों का पिंडदान कर चुका है.
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डॉ. ऋतु गर्ग ने बताया भ्रूण हत्या एक जघन्य अपराध है. जिसके लिए हमारे संविधान में कड़े कानून बनाए गए हैं. बहुत ज्यादा प्रचार प्रसार किया जा रहा है. उसके बाद भी बहुत से लोग अभी बेटियों को घर में मार रहे हैं. पूरे देश में एक ऐसी संस्था है जो इस तरह का अनूठा कार्य करती है. यह बहुत अच्छी पहल है.