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अनोखी पहल: मोक्ष की नगरी में 37 हजार अजन्मी बेटियों का श्राद्ध

आगमन सामाजिक संस्था अब तक 37 हजार अजन्मी बेटी के पिता के तौर पर तर्पण कर चुकी है. एक बार फिर अपने सामाजिक कर्तव्यों की पूर्ति करते हुए आगमन सामाजिक संस्था उन अजन्मी बेटियों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध-कर्म किया, जिनकी हत्या उन्हीं की मां के कोख में उन लोगों ने ही करा दी, जिसे हम सब माता-पिता या परिजन कहते हैं.

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Published : Sep 30, 2021, 7:27 PM IST

Updated : Sep 30, 2021, 7:33 PM IST

काशी में अजन्मी बेटियों का श्राद्ध
काशी में अजन्मी बेटियों का श्राद्ध

वाराणसी: मोक्ष की नगरी काशी में गुरुवार को अनोखा पिंडदान (Pinddan) किया गया. यहां, सामाजिक कर्तव्यों की पूर्ति करते हुए 'आगमन सामाजिक संस्था' ने उन बेटियों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म (shraddh) किया, जिनकी हत्या उन्हीं की मां की कोख (Mother's Womb) में उन लोगों ने करा दी, जिसे हम सब माता-पिता या परिजन कहते हैं.

बताते चलें कि संस्था अब तक 37 हजार अजन्मी बेटियों की मोक्ष की कामना के लिए पिंड दान कर चुकी है. इस वर्ष 11 हजार बेटियों का पिंडदान किया गया. उसके साथ ही कोरोना महामारी के दौरान जान गंवाने वाली बेटियों के मोक्ष की भी कामना की गई. यह संस्था पिछले कई वर्षों से पवित्र कार्य को काशी के प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर कर रही है.

काशी में अजन्मी बेटियों का श्राद्ध
सम स्मृति में श्राद्ध के पांच प्रकारों का वर्णन है. नित्य, नैमित्तिक काम्य, वृद्धि, श्रद्धा और नैमित्तिक श्रद्धा जो विशेष उद्देश्य के मद्देनजर किया जाता है. मान्यता है कि पितृ पक्ष की नवमी तिथि को प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर लगातार गर्भ में मारी जा रहीं अजन्मी अभागी बेटियों की मोक्ष के लिए जल तर्पण किया गया. वैदिक ग्रंथों में वर्णित परंपरा के अनुसार श्राद्ध कर्म और जल तर्पण संपन्न करने से मृत आत्माओं को शांति मिलती है. इन्हीं मान्यताओं को साक्षी मानकर गंगा तट पर मिट्टी के बने बेदी पर 11 हजार पिंड दान मंत्रोच्चारण के साथ बारी-बारी से किया गया. पांच वैदिक ब्राह्मण द्वारा उच्चारित वेद मंत्रों के बीच संस्था के संस्थापक सचिव डॉ संतोष ओझा ने 11 हजार बेटियों का पिंडदान कर जल तर्पण के उपरांत ब्राह्मण भोजन के साथ आयोजन पूर्ण कराया.

डॉक्टर संतोष ओझा ने बताया आज पितृ पक्ष की नवमी तिथि है. आज की तिथि महिलाओं को समर्पित है. मान्यता यह है कि, आज उन महिलाओं को पिंडदान और तर्पण किया जाता है. हमारी संस्था आगमन पिछले लंबे समय से बेटी बचाने (Save Girl) की मुहिम चली रही है. इसी के साथ आज हम लोग श्राद्ध कर्म करते हैं. ऐसी अजन्मी बिटिया हैं, जिनके माता-पिता या उनके परिजन ने उन्हें पृथ्वी पर जन्म लेने से पहले ही मार दिया. हमारा समाज उन्हें जीने का अधिकार तो नहीं दे पाया है. हम उनकी मोक्ष की कामना के लिए आज यह पिंडदान और तर्पण का कार्य करते हैं. पूरे वैदिक रीति रिवाज से आज की 11 हजार बेटियों का हम लोग मोक्ष की कामना करेंगे. संख्या के बात की जाए तो अब तक हम लोगों ने 37 हजार बेटियों का पिंडदान कर चुका है.

इसे भी पढ़ें-विश्व पर्यटन दिवस: घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने से अर्थव्यवस्था को मिलेगी रफ्तार



डॉ. ऋतु गर्ग ने बताया भ्रूण हत्या एक जघन्य अपराध है. जिसके लिए हमारे संविधान में कड़े कानून बनाए गए हैं. बहुत ज्यादा प्रचार प्रसार किया जा रहा है. उसके बाद भी बहुत से लोग अभी बेटियों को घर में मार रहे हैं. पूरे देश में एक ऐसी संस्था है जो इस तरह का अनूठा कार्य करती है. यह बहुत अच्छी पहल है.

वाराणसी: मोक्ष की नगरी काशी में गुरुवार को अनोखा पिंडदान (Pinddan) किया गया. यहां, सामाजिक कर्तव्यों की पूर्ति करते हुए 'आगमन सामाजिक संस्था' ने उन बेटियों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म (shraddh) किया, जिनकी हत्या उन्हीं की मां की कोख (Mother's Womb) में उन लोगों ने करा दी, जिसे हम सब माता-पिता या परिजन कहते हैं.

बताते चलें कि संस्था अब तक 37 हजार अजन्मी बेटियों की मोक्ष की कामना के लिए पिंड दान कर चुकी है. इस वर्ष 11 हजार बेटियों का पिंडदान किया गया. उसके साथ ही कोरोना महामारी के दौरान जान गंवाने वाली बेटियों के मोक्ष की भी कामना की गई. यह संस्था पिछले कई वर्षों से पवित्र कार्य को काशी के प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर कर रही है.

काशी में अजन्मी बेटियों का श्राद्ध
सम स्मृति में श्राद्ध के पांच प्रकारों का वर्णन है. नित्य, नैमित्तिक काम्य, वृद्धि, श्रद्धा और नैमित्तिक श्रद्धा जो विशेष उद्देश्य के मद्देनजर किया जाता है. मान्यता है कि पितृ पक्ष की नवमी तिथि को प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर लगातार गर्भ में मारी जा रहीं अजन्मी अभागी बेटियों की मोक्ष के लिए जल तर्पण किया गया. वैदिक ग्रंथों में वर्णित परंपरा के अनुसार श्राद्ध कर्म और जल तर्पण संपन्न करने से मृत आत्माओं को शांति मिलती है. इन्हीं मान्यताओं को साक्षी मानकर गंगा तट पर मिट्टी के बने बेदी पर 11 हजार पिंड दान मंत्रोच्चारण के साथ बारी-बारी से किया गया. पांच वैदिक ब्राह्मण द्वारा उच्चारित वेद मंत्रों के बीच संस्था के संस्थापक सचिव डॉ संतोष ओझा ने 11 हजार बेटियों का पिंडदान कर जल तर्पण के उपरांत ब्राह्मण भोजन के साथ आयोजन पूर्ण कराया.

डॉक्टर संतोष ओझा ने बताया आज पितृ पक्ष की नवमी तिथि है. आज की तिथि महिलाओं को समर्पित है. मान्यता यह है कि, आज उन महिलाओं को पिंडदान और तर्पण किया जाता है. हमारी संस्था आगमन पिछले लंबे समय से बेटी बचाने (Save Girl) की मुहिम चली रही है. इसी के साथ आज हम लोग श्राद्ध कर्म करते हैं. ऐसी अजन्मी बिटिया हैं, जिनके माता-पिता या उनके परिजन ने उन्हें पृथ्वी पर जन्म लेने से पहले ही मार दिया. हमारा समाज उन्हें जीने का अधिकार तो नहीं दे पाया है. हम उनकी मोक्ष की कामना के लिए आज यह पिंडदान और तर्पण का कार्य करते हैं. पूरे वैदिक रीति रिवाज से आज की 11 हजार बेटियों का हम लोग मोक्ष की कामना करेंगे. संख्या के बात की जाए तो अब तक हम लोगों ने 37 हजार बेटियों का पिंडदान कर चुका है.

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डॉ. ऋतु गर्ग ने बताया भ्रूण हत्या एक जघन्य अपराध है. जिसके लिए हमारे संविधान में कड़े कानून बनाए गए हैं. बहुत ज्यादा प्रचार प्रसार किया जा रहा है. उसके बाद भी बहुत से लोग अभी बेटियों को घर में मार रहे हैं. पूरे देश में एक ऐसी संस्था है जो इस तरह का अनूठा कार्य करती है. यह बहुत अच्छी पहल है.

Last Updated : Sep 30, 2021, 7:33 PM IST
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