वाराणसीः कहते हैं कि काशी के कंकर-कंकर में भगवान शंकर विराजमान हैं. ऐसा ही कुछ कॉरिडोर के निर्माण के दौरान देखने को मिल रहा है. कॉरिडोर के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के विस्तारीकरण के दौरान कई मकान ध्वस्त किये गए और कॉरिडोर की खुदाई शुरू हुई तो ऐसे कई शिवलिंग मिले, जिस प्रकार के शिवलिंग का वर्णन पुराणों में मिलता है. गुरुवार को भी दशाश्वमेध घाट पर लगने वाली एलईडी स्क्रीन के लिए हो रही खुदाई के दौरान एक विशाल शिवलिंग मिला, जिसके बाद काम को रोक दिया गया.
लोगों के लिए बना आकर्षण का केंद्र
खुदाई के दौरान मिले शिवलिंग को लेकर लोग तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं. कुछ लोग तो इस शिवलिंग को सैकड़ों वर्ष पुराना बता रहे हैं. फिलहाल काम रोक दिया गया है. शिवलिंग की जानकारी करने के लिए पुरातात्विक टीम को बुलाया गया है.
शिवलिंग को लेकर पंडितों की राय
खुदाई के दौरान मिले शिवलिंग की जानकारी देते हुए पंडित राजू झा ने बताया कि जिस घाट पर ये शिवलिंग मिला है वो घाट कभी देवी - देवताओं की तपोभूमि हुआ करती थी. उन्होंने बताया कि इस घाट पर स्वयं ब्रह्मा जी ने दस बार अश्वमेध यज्ञ किया था जिसके कारण इस घाट का नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा. उन्होंने बताया कि जहां पर ये विशाल शिवलिंग मिला है उस जगह पर यज्ञ कुंड हुआ करता था. उसके पास वाले घाट पर वेद मंडप हुआ करता था. साथ ही बताया कि खुदाई में मिला शिवलिंग हजारों वर्ष पुराना हो सकता है.