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वाराणसी: गंगा यात्रा में रेत से बनी आकृति ने दिया जलीय जीव संरक्षण का संदेश

प्रदेश सरकार ने गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए गंगा यात्रा का आयोजन किया है, जो 27 से 31 जनवरी तक चलेगी. मंगलवार को यह यात्रा वाराणसी पहुंची, जहां रेत से आकृति बनाकर जलीय जीव संरक्षण का संदेश दिया गया.

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गंगा यात्रा में रेत से बनी आकृति ने दिया जलीय जीव संरक्षण का संदेश.
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Published : Jan 29, 2020, 2:20 PM IST

वाराणसी: गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना गंगा यात्रा मंगलवार देर शाम वाराणसी पहुंची. यहां पर गंगा यात्रा का भव्य स्वागत किया गया. वाराणसी के अस्सी घाट से बुधवार गंगा यात्रा को रवाना किया गया, जहां से गंगा यात्रा अपने अगले पड़ाव मिर्जापुर के लिए रवाना हुई.

जानकारी देते कलाकार.
वाराणसी के अस्सी घाट पर गंगा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई पोस्टर बैनर लगाए गए, जिसमें सबसे आकर्षण का केंद्र रेत से बनी आकृति रही, जिसको महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्र ने बनाया था. सब लोग रेत की आकृति की ओर आकर्षित होते दिखे. आकृति में जलीय जीवों के संरक्षण का संदेश दिया गया. गंगा की अविरलता किस तरह हो, इसका भी संदेश आकृति पर दिखा.
इसे भी पढ़ें:- अंधविश्वास में जलाईं नवजात की अंगुलियां, हालत गंभीर

अस्सी घाट पर गंगा यात्रा के दौरान पूरे काशीवासियों की तरफ से हमने एक आकृति अस्सी घाट पर बनायी है, जिसमें मां गंगा और भगवान शंकर को दर्शाया है. इसके साथ ही एक हाथ बनाया है, जिसमें जंगली जीवों को दर्शाया गया है. मछली कछुआ मगरमच्छ इनको संरक्षण करने का संदेश इस कलाकृति के माध्यम से देने का प्रयास किया है.
-रूपेश सिंह, कलाकार, छात्र, काशी विद्यापीठ

वाराणसी: गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना गंगा यात्रा मंगलवार देर शाम वाराणसी पहुंची. यहां पर गंगा यात्रा का भव्य स्वागत किया गया. वाराणसी के अस्सी घाट से बुधवार गंगा यात्रा को रवाना किया गया, जहां से गंगा यात्रा अपने अगले पड़ाव मिर्जापुर के लिए रवाना हुई.

जानकारी देते कलाकार.
वाराणसी के अस्सी घाट पर गंगा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई पोस्टर बैनर लगाए गए, जिसमें सबसे आकर्षण का केंद्र रेत से बनी आकृति रही, जिसको महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्र ने बनाया था. सब लोग रेत की आकृति की ओर आकर्षित होते दिखे. आकृति में जलीय जीवों के संरक्षण का संदेश दिया गया. गंगा की अविरलता किस तरह हो, इसका भी संदेश आकृति पर दिखा.
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अस्सी घाट पर गंगा यात्रा के दौरान पूरे काशीवासियों की तरफ से हमने एक आकृति अस्सी घाट पर बनायी है, जिसमें मां गंगा और भगवान शंकर को दर्शाया है. इसके साथ ही एक हाथ बनाया है, जिसमें जंगली जीवों को दर्शाया गया है. मछली कछुआ मगरमच्छ इनको संरक्षण करने का संदेश इस कलाकृति के माध्यम से देने का प्रयास किया है.
-रूपेश सिंह, कलाकार, छात्र, काशी विद्यापीठ

Intro:गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना गंगा यात्रा कल देर शाम वाराणसी पहुंची यहां पर भव्य स्वागत किया गया। वाराणसी के अस्सी घाट से आज गंगा यात्रा को रवाना किया गया। जहां से गंगा यात्रा अपने अगले पड़ाव मिर्जापुर के लिए रवाना हुई।


Body:वाराणसी के अस्सी घाट पर गंगा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई पोस्टर बैनर लगाए गए।जिसमें सबसे आकर्षण का केंद्र रहा रेत से बनी आकृति। जिसको महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्र ने बनाया था। सब लोग रेत की आकृति क्यों ओर आकर्षित होता दिखे।आकृति में जलीय जीवों के संरक्षण का संदेश रहा। गंगा के अविरलता किसतरह हो इसका भी संदेश उसकी आकृति पर दिखा।


Conclusion:रूपेश सिंह ने बताया अस्सी घाट पर गंगा यात्रा के दौरान पूरे काशीवासी के तरफ से हमने एक सेंड अस्सी घाट बनाया है। जिसमें मां गंगा और भगवान शंकर को दर्शाया है इसके साथ ही एक हाथ बनाया है।जिसमें जंगली जीवो को दर्शाया गया है। मछली कछुआ मगरमच्छ इनको संरक्षण करने का संदेश इस कलाकृति के माध्यम से देने का प्रयास किया है।क्योंकि यह भी भगवान की देन है और हमारा जो एक परिवार चक्र है उसके हिस्सा है।

बाईट :-- रूपेश सिंह, कलाकार, छात्र, विद्यापीठ

आशुतोष उपाध्याय

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