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वाराणसी: मलजल छोड़े जाने से शारदा सहायक नहर के अस्तित्व पर खतरा! - Varanasi Goithaha STP

यूपी के वाराणसी में शारदा सहायक नहर में एसटीपी गोइठहां से शोधित मलजल छोड़े जाने से नहर के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. बारह किलोमीटर लंबी नहर जलीय घास से पट गई है, जिससे इलाके के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

शारदा सहायक नहर.
शारदा सहायक नहर.
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Published : Sep 26, 2020, 4:17 PM IST

वाराणसी: जिले के चौबेपुर क्षेत्र में शारदा सहायक नहर में एसटीपी गोइठहां से शोधित मलजल छोड़े जाने से नहर के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया है. यह बारह किलोमीटर लंबी नहर जलीय घास से पट गई है, बावजूद इसके नहर की सुध विभागीय अधिकारियों द्वारा नहीं ली जा रही है. वहीं इससे ग्रामीणों को काफी समस्या का सामना करनाा पड़ रहा है.

विकास खंड में लगभग बीस किलोमीटर शारदा सहायक नहर कई गांव से होकर गुजरी है, जिससे किसान सिंचाई करते हैं. इधर भी एसटीपी गोइठहां के शोधित मलजल को सीधे नहर में छोड़ा जा रहा है, जिससे पूरी नहर में घास उग आई है. नहर का किनारा भी जर्जर हो गया है.

किसानों ने इसकी शिकायत मंडलीय खरीफ गोष्ठी में की थी, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है. खरगीपुर के किसान नागेंद्र सिंह बरबसपुर के हौसिला पटेल, बराई के राघवेंद्र सिंह पियरी के वीर बहादुर आदि का कहना है कि सिंचाई नहर में जब से एसटीपी गोइठहां का पानी छोड़ा जा रहा है, तब से उसमें घास उग रही है. इस पानी से फसलों पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. जल जनित रोगों से लोग परेशान भी हैं, उसके बाद भी जिला प्रशासन और नहर विभाग चुप्पी साधे बैठा है.

नहर विभाग के अवर अभियंता असलम खान का कहना है कि एसटीपी गोइठहां से लखरांव के पास शोधित मलजल छोड़ा जा रहा है. शोधित मलजल में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होने से जलीय घासों का विकास तेजी से हो गया है. गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अधिकारियों को भी लिखित रूप में अवगत कराया गया है.

वाराणसी: जिले के चौबेपुर क्षेत्र में शारदा सहायक नहर में एसटीपी गोइठहां से शोधित मलजल छोड़े जाने से नहर के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया है. यह बारह किलोमीटर लंबी नहर जलीय घास से पट गई है, बावजूद इसके नहर की सुध विभागीय अधिकारियों द्वारा नहीं ली जा रही है. वहीं इससे ग्रामीणों को काफी समस्या का सामना करनाा पड़ रहा है.

विकास खंड में लगभग बीस किलोमीटर शारदा सहायक नहर कई गांव से होकर गुजरी है, जिससे किसान सिंचाई करते हैं. इधर भी एसटीपी गोइठहां के शोधित मलजल को सीधे नहर में छोड़ा जा रहा है, जिससे पूरी नहर में घास उग आई है. नहर का किनारा भी जर्जर हो गया है.

किसानों ने इसकी शिकायत मंडलीय खरीफ गोष्ठी में की थी, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है. खरगीपुर के किसान नागेंद्र सिंह बरबसपुर के हौसिला पटेल, बराई के राघवेंद्र सिंह पियरी के वीर बहादुर आदि का कहना है कि सिंचाई नहर में जब से एसटीपी गोइठहां का पानी छोड़ा जा रहा है, तब से उसमें घास उग रही है. इस पानी से फसलों पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. जल जनित रोगों से लोग परेशान भी हैं, उसके बाद भी जिला प्रशासन और नहर विभाग चुप्पी साधे बैठा है.

नहर विभाग के अवर अभियंता असलम खान का कहना है कि एसटीपी गोइठहां से लखरांव के पास शोधित मलजल छोड़ा जा रहा है. शोधित मलजल में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होने से जलीय घासों का विकास तेजी से हो गया है. गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अधिकारियों को भी लिखित रूप में अवगत कराया गया है.

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