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राम मंदिर भूमि पूजन के मुहुर्त पर सवाल उठाने वाले स्वामी स्वरूपानंद पर लगे गंभीर आरोप

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में अयोध्या स्थित श्रीराम मंदिर निर्माण के मुहर्त पर सवाल उठाने वाले स्वामी स्वरूपानंद पर गंभीर आरोप लगे हैं. संत समिति ने स्वरूपानंद के रामालय ट्रस्ट को लेकर सवाल उठाए हैं.

स्वामी श्री जीतेंद्रानंद सरस्वती
स्वामी श्री जीतेंद्रानंद सरस्वती
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Published : Jul 27, 2020, 6:58 PM IST

वाराणसी: अखिल भारतीय संत समिति ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के मुहर्त पर सवाल उठाने वाले स्वामी स्वरूपानंद पर गंभीर आरोप लगाए हैं. संत समिति का कहना है कि श्री राम मंदिर निर्माण के नाम पर स्वरूपानंद का रामालय ट्रस्ट सनातन धर्मावलंबियों की भावनाओं का शोषण कर सोना वसूलता रहा. संत समिति ने स्वरूपानंद के रामालय ट्रस्ट और जन्मजेय शरण के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति ट्रस्ट की पाई-पाई का हिसाब मांगा है.

इस बारे में अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी श्री जितेंद्रानंद सरस्वती ने आरोप लगाते हुए कहा कि श्री राम जन्मभूमि के संपूर्ण आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उसका विविध क्षेत्र और अखिल भारतीय संत समिति, ये तीनों एक साथ चले. स्वामी श्री जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि कांग्रेस प्रायोजित एक धारा स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के नाम से हर संगठन के सामानांतर एक संगठन खड़ा करके विवाद करना और मूलत: श्री राम जन्मभूमि आंदोलन को तोड़ने के काम में लगी रही. अब जब सुप्रीम कोर्ट के संविधान बेंच का फैसला आया, सारे कांटे साफ हो गए तो स्वामी स्वरूपानंद की तरफ से मुहर्त को लेकर विवाद खड़ा किया गया. फिर ये कहा गया कि कोई अल्पसंख्यक मिट्टी लेकर राम मंदिर में डालने जा रहा है. श्री जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि इसे स्वीकार करना नहीं करना, ये तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का काम है. जीतेंद्रानंद सरस्वती ने आरोप लगाते हुए कहा कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने सनातन हिन्दू धर्म को छलने का काम किया है.

स्वामी श्री जितेंद्रानंद सरस्वती.

9 नवंवर 2019 को श्रीराम जन्मभूमि पर संविधान बेंच का फैसला आया. इसमें उच्चतम न्यायालय ने कहा कि भारत सरकार इसके लिए ट्रस्ट का निर्माण करे. पांच फरवरी 2020 को ट्रस्ट की घोषणा भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने संसद के अंदर की और इस अवधि के दौरान ही नहीं बल्कि 5 महीने तक श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के नाम पर स्वरुपानंद जी का रामालय न्यास लोगों से सोना वसूलता रहा. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के सुदूर गांवों में जहां अखबार नहीं जाते, लोग टीवी चैनल नहीं देखते, लेकिन धर्म के प्रति जिनका आग्रह था. ऐसे सनातन धर्मावलंबियों की भावनाओं का शोषण करके इन्होंने सोना वसूला. अखिल भारतीय संत समिति यह मांग करती है कि इस समस्त सोने का और रामालय न्यास के गठन से लेकर आज तक का यह धन किस उपयोग में आया स्वामी स्वरूपानंद इसका हिसाब दें, क्योंकि अयोध्या में आपके पास तो एक इंच की भूमि भी नहीं थी.

जितेंद्रानंद सरस्वती ने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती पर आरोप लगाते हुए कहा कि आप कोई मंदिर नहीं बनाने वाले थे, तो श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति जो जन्मजेय शरण ने ट्रस्ट बनाया है वह और रामालय न्यास ट्रस्ट, यह दोनों ट्रस्ट धर्म क्षेत्र में हिन्दू समाज की आस्था बनी रहे, इसके लिए यह आवश्यक है कि ये तथाकथित धर्माचार्य प्रेस मीडिया को, पूरे देश की मीडिया के सामने अपने रामालय न्यास और श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास की पाई-पाई का हिसाब समाज के सामने रखें, अन्यथा यह माना जाएगा कि इन्होंने देश और धर्म के साथ, सनातन धर्मावलंबियों के साथ धूर्तता की है और भगवान राम के नाम पर लोगों का शोषण किया है.

वाराणसी: अखिल भारतीय संत समिति ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के मुहर्त पर सवाल उठाने वाले स्वामी स्वरूपानंद पर गंभीर आरोप लगाए हैं. संत समिति का कहना है कि श्री राम मंदिर निर्माण के नाम पर स्वरूपानंद का रामालय ट्रस्ट सनातन धर्मावलंबियों की भावनाओं का शोषण कर सोना वसूलता रहा. संत समिति ने स्वरूपानंद के रामालय ट्रस्ट और जन्मजेय शरण के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति ट्रस्ट की पाई-पाई का हिसाब मांगा है.

इस बारे में अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी श्री जितेंद्रानंद सरस्वती ने आरोप लगाते हुए कहा कि श्री राम जन्मभूमि के संपूर्ण आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उसका विविध क्षेत्र और अखिल भारतीय संत समिति, ये तीनों एक साथ चले. स्वामी श्री जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि कांग्रेस प्रायोजित एक धारा स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के नाम से हर संगठन के सामानांतर एक संगठन खड़ा करके विवाद करना और मूलत: श्री राम जन्मभूमि आंदोलन को तोड़ने के काम में लगी रही. अब जब सुप्रीम कोर्ट के संविधान बेंच का फैसला आया, सारे कांटे साफ हो गए तो स्वामी स्वरूपानंद की तरफ से मुहर्त को लेकर विवाद खड़ा किया गया. फिर ये कहा गया कि कोई अल्पसंख्यक मिट्टी लेकर राम मंदिर में डालने जा रहा है. श्री जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि इसे स्वीकार करना नहीं करना, ये तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का काम है. जीतेंद्रानंद सरस्वती ने आरोप लगाते हुए कहा कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने सनातन हिन्दू धर्म को छलने का काम किया है.

स्वामी श्री जितेंद्रानंद सरस्वती.

9 नवंवर 2019 को श्रीराम जन्मभूमि पर संविधान बेंच का फैसला आया. इसमें उच्चतम न्यायालय ने कहा कि भारत सरकार इसके लिए ट्रस्ट का निर्माण करे. पांच फरवरी 2020 को ट्रस्ट की घोषणा भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने संसद के अंदर की और इस अवधि के दौरान ही नहीं बल्कि 5 महीने तक श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के नाम पर स्वरुपानंद जी का रामालय न्यास लोगों से सोना वसूलता रहा. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के सुदूर गांवों में जहां अखबार नहीं जाते, लोग टीवी चैनल नहीं देखते, लेकिन धर्म के प्रति जिनका आग्रह था. ऐसे सनातन धर्मावलंबियों की भावनाओं का शोषण करके इन्होंने सोना वसूला. अखिल भारतीय संत समिति यह मांग करती है कि इस समस्त सोने का और रामालय न्यास के गठन से लेकर आज तक का यह धन किस उपयोग में आया स्वामी स्वरूपानंद इसका हिसाब दें, क्योंकि अयोध्या में आपके पास तो एक इंच की भूमि भी नहीं थी.

जितेंद्रानंद सरस्वती ने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती पर आरोप लगाते हुए कहा कि आप कोई मंदिर नहीं बनाने वाले थे, तो श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति जो जन्मजेय शरण ने ट्रस्ट बनाया है वह और रामालय न्यास ट्रस्ट, यह दोनों ट्रस्ट धर्म क्षेत्र में हिन्दू समाज की आस्था बनी रहे, इसके लिए यह आवश्यक है कि ये तथाकथित धर्माचार्य प्रेस मीडिया को, पूरे देश की मीडिया के सामने अपने रामालय न्यास और श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास की पाई-पाई का हिसाब समाज के सामने रखें, अन्यथा यह माना जाएगा कि इन्होंने देश और धर्म के साथ, सनातन धर्मावलंबियों के साथ धूर्तता की है और भगवान राम के नाम पर लोगों का शोषण किया है.

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