वाराणसी: सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय सीतापुर के नैमिषारण्य में 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि पर पर्यावरण एवं संस्कृति को विकसित करने के लिए शोध करेगी. यही नहीं विश्वविद्यालय के विद्वान पुराणों में वर्णित 88 हजार वृक्षों को भी रोपित करेंगे.
बता दें कि यूपी सरकार ने नैमिषारण्य धाम को विकसित करने का संकल्प लिया है. जिसके तहत अपर मुख्य सचिव ने विश्वविद्यालय को पत्र भेजा है, कि यहां के विद्वान नैमिषारण्य के 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि पर शोध करें. इसको लेकर बुधवार को विश्व विद्यालय में कुलपति के निर्देशन में शिक्षकों संग बैठक की गई.
विद्वान पुराणों के अध्ययन कर वृक्षों के सम्बंध में करेंगे खोज
इस बारे में कुलपति प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने 88 हजार वृक्षों की पहचान शास्त्रानुसार कराने के लिए विश्वविद्यालय के विद्वतजनों को पत्र भेजा है. उन्होंने बताया कि पत्र के अनुसार यहां के विद्वतजनों की एक समिति गठित की जा रही है जो 18 पुराणों में वर्णित 88 हजार ऋषियों के तपोभूमि पर जो 88 हजार वृक्ष थे, उनका पुराणों के अनुसार अध्ययन और अन्वेषण कर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. इसके माध्यम से उत्तर प्रदेश शासन के सीतापुर नैमिषारण्य धाम को विकसित किया जाएगा.
पर्यावरण एवं संस्कृति को आगे बढ़ाने में मिलेगा बल
कुलपति प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी की योजना है कि ऋषियों के तपस्थली को जागृत करने और उनके तप के ज्ञान से जनसामान्य को अवगत कराया जाए. उन्होंने कहा कि वर्तमान में सीएम के इस पहल से पर्यावरण सुधारने और हमारी संस्कृति को आगे बढ़ाने में और बल मिलेगा.
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