वाराणसी: 29 सितंबर से शुरू हुए शारदीय नवरात्र के क्रम में आज महासप्तमी का दिन है. महासप्तमी यानी माता दुर्गा का भक्तों के द्वार पहुंचने का दिन. शनिवार को पूजा पंडालों में माता दुर्गा की भव्य प्रतिमाएं स्थापित हो चुकी हैं. आज से तीन दिनों तक चलने वाला महा उत्सव भी शुरू हो गया है. वाराणसी जिसे मिनी कोलकाता के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यहां 300 से ज्यादा दुर्गा पूजा पंडालों में मां की भव्य प्रतिमा की स्थापना होती है.
की गई नव पत्रिका प्रवेश की पूजा
नव पत्रिका प्रवेश के साथ मां दुर्गा का आगमन पंडालों में करवाने के साथ ही तीन दिनों तक उनकी अलग-अलग तरीके से पूजा-अर्चना भी शुरू की जा चुकी है. पश्चिम बंगाल का प्रमुख उत्सव दुर्गा पूजा बहुत ही विस्तृत रूप से धर्म नगरी वाराणसी में देखने को मिलता है. यहां पर बड़ी संख्या में बंगाली परिवारों के होने की वजह से विधि-विधान से माता दुर्गा की पूजा अर्चना शारदीय नवरात्र के दौरान की जाती है. पूजा पंडालों में आज सुबह अलग-अलग नदियों से लाए गए जल के साथ कलश स्थापना का क्रम पूरा कर नव पत्रिका प्रवेश की पूजा संपन्न हुई.
नव पत्रिका प्रवेश यानी मां दुर्गा का आह्वान कर उनको आमंत्रित करना. इसके बाद तीन दिनों तक माता दुर्गा अपने भक्तों के द्वार आकर उनके कष्टों को हरती हैं. कहा जाता है कि माता दुर्गा बेटी के रूप में अपने भक्तों के द्वार पर पूजा पंडालों में विराजती हैं और तीन दिनों तक उनकी हर मुराद पूरी करती हैं. इस क्रम में कल महाष्टमी और फिर अंतिम दिन नवमी पूजन के साथ संधि पूजन संपन्न किया जाएगा.
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कहा जाता है कि नवमी को ही मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था. इसलिए संधि पूजन कर हवन के बाद अनुष्ठान की पूर्णाहुति होती है और दशमी को माता के विसर्जन की तैयारी की जाती है. फिलहाल, महासप्तमी के साथ शुरू हुए इस महा उत्सव से बनारस में मेले का माहौल है.