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संस्कृत के विद्वान प्रो. रामयत्न शुक्ल को पद्मश्री, शंकराचार्य समेत इन संतों को विद्या दान कर चुके हैं...

काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष और संस्कृत के प्रकांड विद्वान प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा. वह शक्ति पीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती समेत कई संतों को विद्या दान कर चुके हैं. उनके इस सम्मान से काशी में हर्ष का माहौल है.

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Published : Nov 8, 2021, 4:51 PM IST

Updated : Nov 8, 2021, 5:28 PM IST

संस्कृत के विद्वान प्रो. रामयत्न शुक्ल को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा.
संस्कृत के विद्वान प्रो. रामयत्न शुक्ल को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा.

वाराणसीः काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष और संस्कृत के प्रकांड विद्वान प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल को दिल्ली में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा. वह सोमवार को अपराह्न 11:30 बजे विमान से दिल्ली के लिए रवाना हो गए. उनकी इस उपलब्धि से पूरी काशी में हर्ष का माहौल है. घर से उन्हें 51 वैदिक विद्वानों ने मंत्रोच्चार के साथ विदा किया.




प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल नौ वर्ष की आयु से संस्कृत के प्रचार-प्रसार से जुड़े हैं. वह संस्कृत की निशुल्क शिक्षा देते हैं. छात्रों की हर समस्या का वह समाधान करते हैं. उनका जन्म सन् 1932 में हुआ था. बचपन से ही उनकी संस्कृत विषय में अधिक रुचि थी. उनके पिता राम निरंजन शुक्ल भी संस्कृत के विद्वान थे. उन्होंने धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी व स्वामी चैतन्य भारती से वेदांत शास्त्र, हरिराम शुक्ल से मीमांसा और पंडित रामचन्द्र शास्त्री से दर्शन व योग शास्त्र की शिक्षा प्राप्त की थी.

संस्कृत के विद्वान प्रो. रामयत्न शुक्ल के दिल्ली रवाना होने से पूर्व 51 आचार्यों ने किया वैदिक मंत्रोच्चार.
संस्कृत के विद्वान प्रो. रामयत्न शुक्ल के दिल्ली रवाना होने से पूर्व 51 आचार्यों ने किया वैदिक मंत्रोच्चार.

प्रो. शुक्ल बीएचयू संस्कृत विद्या धर्मविद्या संकाय में आचार्य रह चुके हैं. वह सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में भी व्याकरण विभाग के आचार्य व अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं. मुख्य रूप से भदोही जनपद के कोनिया क्षेत्र के कलातुलसी गांव निवासी प्रो शुक्ल के पढ़ाए हुए कई छात्र कुलपति पद पर आसीन है. यही नहीं उन्होंने शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के साथ स्वामी गुरु शरणानंद, रामानंदाचार्य, स्वामी रामभद्राचार्य को भी विद्या का दान दिया है.

ये भी पढ़ेंः सुषमा, जेटली और पंडित छन्नूलाल मिश्र को मिला पद्म विभूषण, कंगना और अदनान को पद्म श्री

संस्कृत के विद्वान प्रो. रामयत्न शुक्ल को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा.

प्रोफेसर राम रत्न शुक्ल ने 1961 में सन्यासी संस्कृत महाविद्यालय में बतौर प्राचार्य छात्रों को शिक्षा दी. वर्ष 1974 में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्राध्यापक नियुक्त हुए. सन् 1976 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अपनी सेवा दी. सन् 1982 में वह रिटायर हो गए. अब वह काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष हैं. वह सनातन संस्कृति परिषद के संस्थापक भी हैं. उन्हें वर्ष 2015 में संस्कृत के शीर्ष सम्मान 'विश्वभारती' से भी सम्मानित किया जा चुका है.

उनके पोते अभिषेक शुक्ला ने बताया कि 26 जनवरी को दादाजी को पद्मश्री के लिए नामित किया गया. कोरोना काल की वजह से उनका सम्मान नहीं हो सका था. अब उन्हें सम्मानित किया जाएगा. 51 विद्वानों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ उन्हें दिल्ली के लिए विदा किया है.


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वाराणसीः काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष और संस्कृत के प्रकांड विद्वान प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल को दिल्ली में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा. वह सोमवार को अपराह्न 11:30 बजे विमान से दिल्ली के लिए रवाना हो गए. उनकी इस उपलब्धि से पूरी काशी में हर्ष का माहौल है. घर से उन्हें 51 वैदिक विद्वानों ने मंत्रोच्चार के साथ विदा किया.




प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल नौ वर्ष की आयु से संस्कृत के प्रचार-प्रसार से जुड़े हैं. वह संस्कृत की निशुल्क शिक्षा देते हैं. छात्रों की हर समस्या का वह समाधान करते हैं. उनका जन्म सन् 1932 में हुआ था. बचपन से ही उनकी संस्कृत विषय में अधिक रुचि थी. उनके पिता राम निरंजन शुक्ल भी संस्कृत के विद्वान थे. उन्होंने धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी व स्वामी चैतन्य भारती से वेदांत शास्त्र, हरिराम शुक्ल से मीमांसा और पंडित रामचन्द्र शास्त्री से दर्शन व योग शास्त्र की शिक्षा प्राप्त की थी.

संस्कृत के विद्वान प्रो. रामयत्न शुक्ल के दिल्ली रवाना होने से पूर्व 51 आचार्यों ने किया वैदिक मंत्रोच्चार.
संस्कृत के विद्वान प्रो. रामयत्न शुक्ल के दिल्ली रवाना होने से पूर्व 51 आचार्यों ने किया वैदिक मंत्रोच्चार.

प्रो. शुक्ल बीएचयू संस्कृत विद्या धर्मविद्या संकाय में आचार्य रह चुके हैं. वह सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में भी व्याकरण विभाग के आचार्य व अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं. मुख्य रूप से भदोही जनपद के कोनिया क्षेत्र के कलातुलसी गांव निवासी प्रो शुक्ल के पढ़ाए हुए कई छात्र कुलपति पद पर आसीन है. यही नहीं उन्होंने शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के साथ स्वामी गुरु शरणानंद, रामानंदाचार्य, स्वामी रामभद्राचार्य को भी विद्या का दान दिया है.

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संस्कृत के विद्वान प्रो. रामयत्न शुक्ल को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा.

प्रोफेसर राम रत्न शुक्ल ने 1961 में सन्यासी संस्कृत महाविद्यालय में बतौर प्राचार्य छात्रों को शिक्षा दी. वर्ष 1974 में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्राध्यापक नियुक्त हुए. सन् 1976 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अपनी सेवा दी. सन् 1982 में वह रिटायर हो गए. अब वह काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष हैं. वह सनातन संस्कृति परिषद के संस्थापक भी हैं. उन्हें वर्ष 2015 में संस्कृत के शीर्ष सम्मान 'विश्वभारती' से भी सम्मानित किया जा चुका है.

उनके पोते अभिषेक शुक्ला ने बताया कि 26 जनवरी को दादाजी को पद्मश्री के लिए नामित किया गया. कोरोना काल की वजह से उनका सम्मान नहीं हो सका था. अब उन्हें सम्मानित किया जाएगा. 51 विद्वानों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ उन्हें दिल्ली के लिए विदा किया है.


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Last Updated : Nov 8, 2021, 5:28 PM IST
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