वाराणसी: आपने क्रिकेट मैच का मजा तो बहुत लिया होगा. इस दौरान इंग्लिश और हिंदी में कमेंट्री भी सुनी होगी. आपने शायद ही ऐसा मैच कभी नहीं देखा हो, जिसमें हिंदी या इंग्लिश में नहीं बल्कि संस्कृत में कमेंट्री की गई हो. चौंक गए ना! जी हां, काशी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के मैदान में गुरुवार को कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला.
हिंदी और इंग्लिश में बहुत सुनी होगी कमेंट्री, अब सुनिए संस्कृत में - संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय
वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में संस्कृत क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इसमें संस्कृत विद्यालय में पढ़ने वाले वेद वेदांग और शास्त्र के जानकार पंडित ने हाथों में बल्ला और गेंद थामे. मैच के दौरान पुरोहितों ने जमकर चौके और छक्के मारे.
संस्कृत क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन
वाराणसी: आपने क्रिकेट मैच का मजा तो बहुत लिया होगा. इस दौरान इंग्लिश और हिंदी में कमेंट्री भी सुनी होगी. आपने शायद ही ऐसा मैच कभी नहीं देखा हो, जिसमें हिंदी या इंग्लिश में नहीं बल्कि संस्कृत में कमेंट्री की गई हो. चौंक गए ना! जी हां, काशी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के मैदान में गुरुवार को कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला.
काशी में शास्त्रार्थ महाविद्यालय की तरफ से संस्कृत क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. इस प्रतियोगिता में बनारस समेत आसपास के जिलों से आए संस्कृत विद्यालय में पढ़ने वाले वेद-वेदांग और शास्त्र के जानकार पंडितों ने भाग लिया. उन्होंने मैदान पर अपनी एक अलग ही प्रतिभा का प्रदर्शन किया. हाथों में बल्ला और गेंद थामे यह पुरोहित जमकर चौके-छक्के मार रहे थे.लोअर-टीशर्ट नहीं, बल्कि धोती-कुर्ते में खेला मैच
संस्कृत संवर्धन के लिए समर्पित दशाश्वमेध स्थित शास्त्रार्थ महाविद्यालय के 77 वें स्थापना दिवस पर गुरुवार को अद्भुत और अनूठी संस्कृत क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इसमें सभी बटुक खिलाड़ी अपने पारंपरिक गणवेश धोती और कुर्ता के साथ दुपट्टा पहनकर शामिल हुए. उन्होंने मस्तक पर त्रिकुंड और टीका भी लगाया हुआ था. जिन हाथों में सदैव वेद और संस्कृत ग्रंथ के साथ संस्कृति और सभ्यता का समागम देखने को मिलता था. वह हाथ आज बैट और बॉल थाम कर एक अलग ही रूप में नजर आ रहे थे. मैदान में पारंपरिक गणवेश पहनकर इन बटुकों ने सबको चौंका दिया. यहां पर मौजूद अन्य लोगों ने भी इसी परंपरा का निर्वहन किया. अंपायर भी गले में माला और धोती कुर्ता पहनकर अंपायरिंग करते नजर आए. मैच पूरे नियम और कानून के साथ खेला गया.
संस्कृत में हुई कमेंट्री मैच का सबसे रोमांचक पहलू संस्कृत भाषा में की गई कमेंट्री थी. इसके माध्यम से लोगों को संस्कृत की महत्ता बताई गई. मुख्य कमेंटेटर शास्त्रार्थ महाविद्यालय के 65 वर्षीय वयोवृद्ध वरिष्ठ आचार्य डॉक्टर शेष नारायण मिश्र थे. उनका साथ अन्य संस्कृत के टीचर दे रहे थे. संस्कृत के जानकार बटुकों ने मैदान में भी आपस में संस्कृत में ही बातचीत की. मैच के दौरान बटुक खिलाड़ियों ने कोरोना से बचाव का भी संदेश दिया. फिलहाल इस प्रतियोगिता में अलग-अलग संस्कृत विद्यालय की कुल 4 टीमों ने हिस्सा लिया है.
काशी में शास्त्रार्थ महाविद्यालय की तरफ से संस्कृत क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. इस प्रतियोगिता में बनारस समेत आसपास के जिलों से आए संस्कृत विद्यालय में पढ़ने वाले वेद-वेदांग और शास्त्र के जानकार पंडितों ने भाग लिया. उन्होंने मैदान पर अपनी एक अलग ही प्रतिभा का प्रदर्शन किया. हाथों में बल्ला और गेंद थामे यह पुरोहित जमकर चौके-छक्के मार रहे थे.लोअर-टीशर्ट नहीं, बल्कि धोती-कुर्ते में खेला मैच
संस्कृत संवर्धन के लिए समर्पित दशाश्वमेध स्थित शास्त्रार्थ महाविद्यालय के 77 वें स्थापना दिवस पर गुरुवार को अद्भुत और अनूठी संस्कृत क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इसमें सभी बटुक खिलाड़ी अपने पारंपरिक गणवेश धोती और कुर्ता के साथ दुपट्टा पहनकर शामिल हुए. उन्होंने मस्तक पर त्रिकुंड और टीका भी लगाया हुआ था. जिन हाथों में सदैव वेद और संस्कृत ग्रंथ के साथ संस्कृति और सभ्यता का समागम देखने को मिलता था. वह हाथ आज बैट और बॉल थाम कर एक अलग ही रूप में नजर आ रहे थे. मैदान में पारंपरिक गणवेश पहनकर इन बटुकों ने सबको चौंका दिया. यहां पर मौजूद अन्य लोगों ने भी इसी परंपरा का निर्वहन किया. अंपायर भी गले में माला और धोती कुर्ता पहनकर अंपायरिंग करते नजर आए. मैच पूरे नियम और कानून के साथ खेला गया.
संस्कृत में हुई कमेंट्री मैच का सबसे रोमांचक पहलू संस्कृत भाषा में की गई कमेंट्री थी. इसके माध्यम से लोगों को संस्कृत की महत्ता बताई गई. मुख्य कमेंटेटर शास्त्रार्थ महाविद्यालय के 65 वर्षीय वयोवृद्ध वरिष्ठ आचार्य डॉक्टर शेष नारायण मिश्र थे. उनका साथ अन्य संस्कृत के टीचर दे रहे थे. संस्कृत के जानकार बटुकों ने मैदान में भी आपस में संस्कृत में ही बातचीत की. मैच के दौरान बटुक खिलाड़ियों ने कोरोना से बचाव का भी संदेश दिया. फिलहाल इस प्रतियोगिता में अलग-अलग संस्कृत विद्यालय की कुल 4 टीमों ने हिस्सा लिया है.