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जानिए कौन हैं कुश्ती संघ के नए अध्यक्ष संजय सिंह, इस मुकाम तक कैसे पहुंचे? - बृजभूषण शरण सिंह की ताजी न्यूज

बृजभूषण शरण सिंह के करीबी वाराणसी के रहने वाले संजय सिंह कुश्ती संघ अध्यक्ष चुन लिए गए हैं. कुश्ती संघ अध्यक्ष का चुनाव दिल्ली में हुआ, जिसमें संजय सिंह अपने प्रतिद्वंदी को हराया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 21, 2023, 11:46 AM IST

Updated : Dec 21, 2023, 3:50 PM IST

संजय सिंह ने दी यह जानकारी.

वाराणसी: अखिल भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद से बृजभूषण शरण सिंह के इस्तीफा देने के बाद गुरुवार को लंबी प्रक्रिया के बाद कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष समेत अन्य पदों पर चुनाव दिल्ली में हुआ. इस चुनाव में बनारस के संजय सिंह बतौर अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के पैनल से चुनावी मैदान में थे. बनारस के संजय सिंह ने अपने प्रतिद्वंदी को हराकर कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद निर्वाचित हुए हैं. संजय सिंह के अध्यक्ष बनने की जानकारी मिलते ही वाराणसी में उनके समर्थकों में खुशी की लहर है.


विवादों में रहने की वजह से भारतीय कुश्ती महासंघ के सबसे बड़े पद पर रहने वाले बृजभूषण शरण सिंह के इस्तीफा दिए जाने के बाद लंबे वक्त से इस पद पर उनके ही किसी करीबी के फिर से कब्जा होने की चर्चा चली आ रही है. माना जा रहा है कि आज होने वाले भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद पर बनारस के संजय सिंह काबिज हो सकते हैं. चुनावी प्रक्रिया की शुरुआत भी दिल्ली में हो चुकी है. बता दें कि यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है. बृजभूषण शरण सिंह 2009 से ही कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद पर रहे हैं, लेकिन महिला पहलवान और अन्य पहलवानों की तरफ से लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. इन सबके बीच दिल्ली में मौजूद बनारस के संजय सिंह का कहना है कि 40-41 वोट उनके साथ है और वह चुनाव जीत रहे हैं. उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया की पहलवानों को पहलवानी करनी चाहिए राजनीति नहीं. राजनीति करके वह अपना और दूसरे पहलवान का कैरियर खराब कर रहे हैं इसलिए अब कोई भी पहलवान प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करेगा जिसको प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी है वह पहलवानी न करें, सिर्फ राजनीति करें. उन्होंने यह भी दावा किया है कि हम 100% चुनाव जीत रहे हैं इसमें कोई दोराय नहीं है.

ऐसा माना जा रहा है कि लंबे समय से इस संघ में अपना कब्जा जमाने वाले बृजभूषण शरण सिंह अपने ही राइट हैंड कहे जाने वाले संजय को इस पद की कमान सौंप सकते हैं, लेकिन यह जानना बेहद जरूरी है कि संजय सिंह है कौन और आखिर बनारस से कैसे वह कुश्ती महासंघ के चुनाव में ताल ठोक रहे हैं. कुश्ती महासंघ की ओर से 21 दिसंबर को होने वाले चुनाव की तैयारी की घोषणा कर दी गई है. भारतीय कुश्ती महासंघ के आज हो रहे हैं और आज ही नतीजे भी आ जाएंगे. अध्यक्ष पद के चुनाव में एक तरफ जहां बृजभूषण शरण सिंह के करीबी और बनारस के संजय सिंह उम्मीदवार है तो एक अन्य महिला प्रत्याशी अनीता भी मैदान में है.

दरअसल बृजभूषण शरण सिंह ने ही अपने करीबी संजय सिंह के नाम का प्रस्ताव अध्यक्ष पद के लिए रखा था. पूरे देश में 25 इकाइयों 25 राज्य में होने वाली वोटिंग में आज 50 वोटर्स को हिस्सा लेना है. जिसमें कई बड़े दिग्गज भी अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। हर इकाई में दो वोट पड़ते हैं. बृजभूषण शरण सिंह अपने ही प्रत्याशी की जीत के प्रति शुरू से कंफर्म रहे हैं.

2008 में संजय सिंह वाराणसी कुश्ती संघ के जिला अध्यक्ष बनाए गए. बृजभूषण के करीबी होने का फायदा उन्हें पूरी तरह से मिला और कुश्ती में पहली बार बनारस में महिलाओं को अखाड़े में उतारने का श्रेय भी संजय सिंह को ही जाता है. संजय सिंह ने उसे वक्त मिट्टी की कुश्ती को गद्दे तक ले जाने का भी प्रयास शुरू किया और बृजभूषण शरण ने उनका पूरा साथ दिया जिससे यह काम भी संभव हो पाया. संजय सिंह मूलत चंदौली के रहने वाले हैं और खेती किसानी से जुड़ा इनका काम होने की वजह से इनको लोग मिट्टी से जुड़ा हुआ हमेशा से मानते रहे हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संजय सिंह कुश्ती संघ से 2010 से जुड़े हुए हैं वाराणसी कुश्ती संघ के अध्यक्ष के अलावा उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय कुश्ती संघ के संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी भी संजय निभा रहे हैं.

वाराणसी कुश्ती संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजीव सिंह रानू संजय के बेहद करीबी हैं. पिता और बाबा किस परिवार से जुड़े थे और ग्रामीण परिवेश के साथ ही मजबूत आर्थिक आधार होने के कारण पिता और बाबा की तरफ से ही गांव में खेतों में अखाड़ा बनवाकर कुश्ती लड़वाने की परंपरा की शुरुआत उनके बचपन में ही हुई .काशी हिंदू विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद संजय हमेशा से ही बनारस के अखाड़े और बनारस के पहलवानों के प्रति काफी सजग दिखाई देते रहे. यही वजह है कि जब 2009 में उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ में बृजभूषण आये तो उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय बने.

राजीव सिंह रानू बताते हैं कि संजय सिंह ने बनारस में छह बड़ी प्रतियोगिता करवाईं. संजय सिंह ने 2017 में पहली बार अंडर 17 कुश्ती बनारस में करवाई. रानू बताते हैं कि संजय सिंह का कुश्ती के प्रति कितना जुड़ाव है वही स्पष्ट करता है कि हर वर्ष अपने जन्मदिन पर संजय सिंह 12 महिला पहलवानों को गोद लेते हैं. उनकी डाइट से लेकर उनके हर खर्च को वह पूरे साल उठाते हैं फिर अगले जन्मदिन पर जो 12 महिला पहलवानों में से सही से ईमानदारी से प्रैक्टिस करके देश के लिए मेडल लाने की तैयारी कर रही होती है.

संजय सिंह ने दी यह जानकारी.

वाराणसी: अखिल भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद से बृजभूषण शरण सिंह के इस्तीफा देने के बाद गुरुवार को लंबी प्रक्रिया के बाद कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष समेत अन्य पदों पर चुनाव दिल्ली में हुआ. इस चुनाव में बनारस के संजय सिंह बतौर अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के पैनल से चुनावी मैदान में थे. बनारस के संजय सिंह ने अपने प्रतिद्वंदी को हराकर कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद निर्वाचित हुए हैं. संजय सिंह के अध्यक्ष बनने की जानकारी मिलते ही वाराणसी में उनके समर्थकों में खुशी की लहर है.


विवादों में रहने की वजह से भारतीय कुश्ती महासंघ के सबसे बड़े पद पर रहने वाले बृजभूषण शरण सिंह के इस्तीफा दिए जाने के बाद लंबे वक्त से इस पद पर उनके ही किसी करीबी के फिर से कब्जा होने की चर्चा चली आ रही है. माना जा रहा है कि आज होने वाले भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद पर बनारस के संजय सिंह काबिज हो सकते हैं. चुनावी प्रक्रिया की शुरुआत भी दिल्ली में हो चुकी है. बता दें कि यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है. बृजभूषण शरण सिंह 2009 से ही कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद पर रहे हैं, लेकिन महिला पहलवान और अन्य पहलवानों की तरफ से लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. इन सबके बीच दिल्ली में मौजूद बनारस के संजय सिंह का कहना है कि 40-41 वोट उनके साथ है और वह चुनाव जीत रहे हैं. उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया की पहलवानों को पहलवानी करनी चाहिए राजनीति नहीं. राजनीति करके वह अपना और दूसरे पहलवान का कैरियर खराब कर रहे हैं इसलिए अब कोई भी पहलवान प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करेगा जिसको प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी है वह पहलवानी न करें, सिर्फ राजनीति करें. उन्होंने यह भी दावा किया है कि हम 100% चुनाव जीत रहे हैं इसमें कोई दोराय नहीं है.

ऐसा माना जा रहा है कि लंबे समय से इस संघ में अपना कब्जा जमाने वाले बृजभूषण शरण सिंह अपने ही राइट हैंड कहे जाने वाले संजय को इस पद की कमान सौंप सकते हैं, लेकिन यह जानना बेहद जरूरी है कि संजय सिंह है कौन और आखिर बनारस से कैसे वह कुश्ती महासंघ के चुनाव में ताल ठोक रहे हैं. कुश्ती महासंघ की ओर से 21 दिसंबर को होने वाले चुनाव की तैयारी की घोषणा कर दी गई है. भारतीय कुश्ती महासंघ के आज हो रहे हैं और आज ही नतीजे भी आ जाएंगे. अध्यक्ष पद के चुनाव में एक तरफ जहां बृजभूषण शरण सिंह के करीबी और बनारस के संजय सिंह उम्मीदवार है तो एक अन्य महिला प्रत्याशी अनीता भी मैदान में है.

दरअसल बृजभूषण शरण सिंह ने ही अपने करीबी संजय सिंह के नाम का प्रस्ताव अध्यक्ष पद के लिए रखा था. पूरे देश में 25 इकाइयों 25 राज्य में होने वाली वोटिंग में आज 50 वोटर्स को हिस्सा लेना है. जिसमें कई बड़े दिग्गज भी अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। हर इकाई में दो वोट पड़ते हैं. बृजभूषण शरण सिंह अपने ही प्रत्याशी की जीत के प्रति शुरू से कंफर्म रहे हैं.

2008 में संजय सिंह वाराणसी कुश्ती संघ के जिला अध्यक्ष बनाए गए. बृजभूषण के करीबी होने का फायदा उन्हें पूरी तरह से मिला और कुश्ती में पहली बार बनारस में महिलाओं को अखाड़े में उतारने का श्रेय भी संजय सिंह को ही जाता है. संजय सिंह ने उसे वक्त मिट्टी की कुश्ती को गद्दे तक ले जाने का भी प्रयास शुरू किया और बृजभूषण शरण ने उनका पूरा साथ दिया जिससे यह काम भी संभव हो पाया. संजय सिंह मूलत चंदौली के रहने वाले हैं और खेती किसानी से जुड़ा इनका काम होने की वजह से इनको लोग मिट्टी से जुड़ा हुआ हमेशा से मानते रहे हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संजय सिंह कुश्ती संघ से 2010 से जुड़े हुए हैं वाराणसी कुश्ती संघ के अध्यक्ष के अलावा उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय कुश्ती संघ के संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी भी संजय निभा रहे हैं.

वाराणसी कुश्ती संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजीव सिंह रानू संजय के बेहद करीबी हैं. पिता और बाबा किस परिवार से जुड़े थे और ग्रामीण परिवेश के साथ ही मजबूत आर्थिक आधार होने के कारण पिता और बाबा की तरफ से ही गांव में खेतों में अखाड़ा बनवाकर कुश्ती लड़वाने की परंपरा की शुरुआत उनके बचपन में ही हुई .काशी हिंदू विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद संजय हमेशा से ही बनारस के अखाड़े और बनारस के पहलवानों के प्रति काफी सजग दिखाई देते रहे. यही वजह है कि जब 2009 में उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ में बृजभूषण आये तो उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय बने.

राजीव सिंह रानू बताते हैं कि संजय सिंह ने बनारस में छह बड़ी प्रतियोगिता करवाईं. संजय सिंह ने 2017 में पहली बार अंडर 17 कुश्ती बनारस में करवाई. रानू बताते हैं कि संजय सिंह का कुश्ती के प्रति कितना जुड़ाव है वही स्पष्ट करता है कि हर वर्ष अपने जन्मदिन पर संजय सिंह 12 महिला पहलवानों को गोद लेते हैं. उनकी डाइट से लेकर उनके हर खर्च को वह पूरे साल उठाते हैं फिर अगले जन्मदिन पर जो 12 महिला पहलवानों में से सही से ईमानदारी से प्रैक्टिस करके देश के लिए मेडल लाने की तैयारी कर रही होती है.

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Last Updated : Dec 21, 2023, 3:50 PM IST
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