ETV Bharat / state

अब ऑनलाइन होंगी संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की शोध पत्रिकाएं

शोध पत्रिकाओं का भंडार कहे जाने वाले वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की दुर्लभ पत्रिकाएं अब ऑनलाइन उपलब्ध होंगी. इसके लिए विश्वविद्यालय का सिंगापुर के कंपनी के सहयोग से ई-गंगोत्री योजना पर समझौता किया है.

अब ऑनलाइन होंगी संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की शोध पत्रिकाएं
अब ऑनलाइन होंगी संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की शोध पत्रिकाएं
author img

By

Published : Dec 6, 2020, 6:15 PM IST

वाराणसी: संपूर्णानंद संस्कृत विश्विद्यालय में दुर्लभ ग्रंथों और शोध पत्रिकाओं का विशाल भंडार है. खास बात यह है कि अब विश्वविद्यालय की पत्रिकाएं ऑनलाइन भी उपलब्ध होंगी. सिंगापुर के कंपनी के सहयोग से ई-गंगोत्री योजना के तहत पत्रिकाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा. इसकी लॉन्चिंग 7 दिसंबर को की जाएगी.

लगभग 200 वर्ष पुराने हैं विश्वविद्यालय की शोध पत्रिकाएं
संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना सन् 1791 में संस्कृत कॉलेज के रूप में हुई थी. तभी से विश्वविद्यालय में अनुसंधान कार्य चल रहा है. ऐसे में लगभग 200 वर्षों की दुर्लभ शोध पत्रिका विश्वविद्यालय के पास है, जिसे डिजिटाइजेशन के अभाव में आम जन तक पहुंचाया नहीं जा सका था. इतने सालों की दुर्लभ पत्रिकाओं को आमजन तक सहजता से पहुंचाने के लिए विश्वविद्यालय ने सिंगापुर की एक कंपनी के साथ समझौता किया. जहां ई-गंगोत्री योजना के तहत इन सभी शोध पत्रों को ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा.

ऑनलाइन की जाएगी लॉन्चिंग
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ला ने बताया कि 7 दिसंबर को इसे ऑनलाइन लॉन्च किया जाएगा. विश्वविद्यालय में शोध अनुसंधान की परंपरा काफी प्राचीन है. विश्वविद्यालय को तकनीकी रूप से समृद्ध बनाने के लिए सिंगापुर की कंपनी के साथ समझौता किया गया है, जिसका उद्देश्य शोध पत्रिकाओं को ऑनलाइन करना है. अब विश्वविद्यालय के पत्रिकाओं को पूरे विश्व के लोग पढ़ सकेंगे.

वाराणसी: संपूर्णानंद संस्कृत विश्विद्यालय में दुर्लभ ग्रंथों और शोध पत्रिकाओं का विशाल भंडार है. खास बात यह है कि अब विश्वविद्यालय की पत्रिकाएं ऑनलाइन भी उपलब्ध होंगी. सिंगापुर के कंपनी के सहयोग से ई-गंगोत्री योजना के तहत पत्रिकाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा. इसकी लॉन्चिंग 7 दिसंबर को की जाएगी.

लगभग 200 वर्ष पुराने हैं विश्वविद्यालय की शोध पत्रिकाएं
संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना सन् 1791 में संस्कृत कॉलेज के रूप में हुई थी. तभी से विश्वविद्यालय में अनुसंधान कार्य चल रहा है. ऐसे में लगभग 200 वर्षों की दुर्लभ शोध पत्रिका विश्वविद्यालय के पास है, जिसे डिजिटाइजेशन के अभाव में आम जन तक पहुंचाया नहीं जा सका था. इतने सालों की दुर्लभ पत्रिकाओं को आमजन तक सहजता से पहुंचाने के लिए विश्वविद्यालय ने सिंगापुर की एक कंपनी के साथ समझौता किया. जहां ई-गंगोत्री योजना के तहत इन सभी शोध पत्रों को ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा.

ऑनलाइन की जाएगी लॉन्चिंग
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ला ने बताया कि 7 दिसंबर को इसे ऑनलाइन लॉन्च किया जाएगा. विश्वविद्यालय में शोध अनुसंधान की परंपरा काफी प्राचीन है. विश्वविद्यालय को तकनीकी रूप से समृद्ध बनाने के लिए सिंगापुर की कंपनी के साथ समझौता किया गया है, जिसका उद्देश्य शोध पत्रिकाओं को ऑनलाइन करना है. अब विश्वविद्यालय के पत्रिकाओं को पूरे विश्व के लोग पढ़ सकेंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.