वाराणसी : चोलापुर के दानगंज में उस रोज 15 वर्षीय किशोरी के ब्याह रचाने की तैयारियां पूरी हो चुकी थीं. मंदिर में बने लग्न मंडप में किशोरी को बस सात फेरे लेने शेष रह गए थे. इसी दौरान बाल संरक्षण इकाई व चाइल्ड लाइन की टीम (Child Protection Unit and Child Line team) पुलिस के साथ वहां पहुंच गई. टीम को मंदिर की ओर आता देख दूल्हा और बाराती वहां से भाग निकले. एक गुमनाम सूचना पर हुई इस कार्रवाई का नतीजा रहा कि वह किशोरी ‘बालिका वधू’ बनने से बाल-बाल बच गई. इसी तरह दुर्गाकुंड की मलिन बस्ती में 13 वर्षीय किशोरी के विवाह में हल्दी की रस्म हो रही थी. पड़ोस की कुछ जागरूक महिलाओं ने इसकी सूचना टोल फ्री नंबर 1098 पर दी. सूचना मिलने के फौरन बाद सक्रिय हुई बाल संरक्षण इकाई, चाइल्ड लाइन की टीम (Child Protection Unit and Child Line team) पुलिस के साथ वहां पहुंची और बाल विवाह रोकवा दिया. यह दो घटनाएं तो महज नजीर हैं. बाल विवाह के खिलाफ (against child marriage) समाज में आई जागरूकता और नाबालिग लड़कियों की शादी के प्रयास के खिलाफ की गई त्वरित कार्रवाई का ही नतीजा है कि अब इसके सार्थक परिणाम आने लगे हैं.
बाल विवाह में आई कमी, 19.9 से ग्राफ हुआ 10.4 : नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे (National Family Health Survey) -5 की रिपोर्ट के अनुसार जिले में बाल विवाह पर काफी तेजी से अंकुश लगा है. वर्ष 2015-16 में आई नेशनल फेमली हेल्थ सर्वे-4 की रिपोर्ट में 18 वर्ष से कम उम्र की किशोरियों की शादी का ग्राफ जहां 19.9 था. वहीं वर्ष 2020-21 में आयी नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट में यह आंकड़ा घटकर 10.4 हो गया है. इससे साफ है कि जिले में बाल विवाह पर काफी हद तक लगाम लग चुका है.
जागरूकता व सरकारी योजनाओ से हुआ बदलाव : जिला प्रोबेशन अधिकारी सुधाकर शरण पाण्डेय (District Probation Officer Sudhakar Sharan Pandey) के अनुसार इस बदलाव का श्रेय प्रदेश सरकार की महिला कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ मिशन शक्ति जैसे अभियानों को जाता है. सरकार की मंशा के अनुरूप इन अभियानों की देन है कि बाल विवाह जैसी कुरीति पर कई तरफ से प्रहार हो रहा है. इसके तहत समाज में लोगों को जागरूक किया जा रहा है. समाज में आई जागरूकता का ही नतीजा है कि बाल विवाह के गुपचुप प्रयास की भी सूचना मिल जाती है. साथ ही कन्या सुमंगला जैसी योजनाओं की मदद से शिक्षित होकर बेटियां अब खुद भी बाल विवाह के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही हैं.
चार वर्ष में रोके गए 39 बाल विवाह : जिला बाल संरक्षण इकाई की संरक्षण अधिकारी निरुपमा सिंह (Nirupama Singh, Protection Officer, District Child Protection Unit) बताती है कि जिला बाल संरक्षण इकाई, बाल कल्याण समिति, विशेष किशोर पुलिस इकाई, चाइल्ड लाइन, संबंधित थाने की पुलिस तथा स्वयं सेवी संस्थाओं के संयुक्त प्रयास का नतीजा है कि बीते चार वर्ष में बाल विवाह रोकने के 39 मामलों में सफलता मिली है. वर्ष 2019-20 में 12, 2020-21 में 10, 2021-22 में 11 व वर्ष 2022-23 में अब तक बाल विवाह की छह कोशिशों को नाकाम किया गया है. बाल विवाह रोकने भर से हमारा काम खत्म नहीं होता है. कार्रवाई के बाद हम फालोअप भी करते हैं.
क्या है बाल विवाह : किसी भी बालक का विवाह 21 साल एवं बालिका का 18 साल के होने के बाद ही किया जा सकता है. यदि कोई भी व्यक्ति इस निर्धारित उम्र से काम उम्र में शादी करता है तो उसे बाल विवाह माना जाएगा. भले ही वह सहमति से ही क्यों न किया गया हो. सहमति से किया गया बाल विवाह भी कानूनी रूप से वैध नहीं होता. बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम -2006 के अंतर्गत बाल विवाह होने पर दो वर्ष की सजा अथवा एक लाख का जुर्माना अथवा दोनों का प्राविधान है. चाइल्ड लाइन के निदेशक मजू मैथ्यू (Majoo Mathew, Director, Child Line) कहते हैं कि यदि आप आस-पड़ोस में कहीं कोई बाल विवाह करने का प्रयास कर रहा हो तो इसकी सूचना 1098 पर दें. यह सूचना 1098 के आलावा 181 महिला हेल्पलाइन, जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय, जिला बाल संरक्षण इकाई तथा बाल कल्याण समिति को भी दी जा सकती है. बाल विवाह की सूचना देने वाले का नाम पूरी तरह गोपनीय रखा जाता है.
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