वाराणसी: 7 दिसंबर 2010 बनारस के लिए वह मनहूस दिन था, जब शीतला घाट ब्लास्ट पर गंगा आरती के समय हुए आतंकी धमाके ने लोगों को हिलाकर रख दिया था. काशी में हुए इस धमाके से न सिर्फ बनारस, बल्कि पूरा देश दहल गया था. एक बच्ची के साथ एक अन्य की जान गई थी और कई लोग घायल भी हुए थे. गंगा आरती पर असर पड़ा और पर्यटकों की सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से उस वक्त की तत्कालीन मायावती सरकार ने बहुत से कदम उठाए. सुरक्षा व्यवस्था के लिए घाट पर एक अस्थायी पुलिस चौकी तो बनी ही, साथ ही सीसीटीवी से लेकर 12 से ज्यादा मेटल डिटेक्टर घाट के हर एंट्री पॉइंट पर लगाए गए. आज जब इस ब्लास्ट की बरसी है और 10 साल पूरे हो चुके हैं तब हालात क्या है? सुरक्षा व्यवस्था को लेकर इसकी पड़ताल ईटीवी भारत ने शीतला घाट पर की.
न पुलिसकर्मी न सुरक्षा
2010 में हुए ब्लास्ट में एक 8 साल की बच्ची की मौत हुई थी. जिस जगह ब्लास्ट हुआ था, वहां आज भी उस बच्ची के नाम से एक संगमरमर का पत्थर जरूर लगा है, लेकिन इस आतंकी धमाके के बाद यहां की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुलने लगी है. घाट के मेन एंट्री पॉइंट पर लगाए गए मेटल डिटेक्टर की संख्या उस वक्त 4 हुआ करती थी, जो अब घटकर एक रह गई है. वह भी सिर्फ दिखाने के लिए है. इसके अलावा शीतला घाट आने वाले अलग-अलग एंट्री प्वाइंट्स दशाश्वमेध घाट से, प्रयागराज घाट से, अहिल्याबाई घाट से और गंगा के रास्ते लगाए गए मेटल डिटेक्टर पूरी तरह से नदारद हैं.
पुलिस चौकी पर लगा ताला
उस वक्त हुए आतंकी धमाके के बाद शीतला घाट पर एक अस्थायी पुलिस चौकी का निर्माण भी करवाया गया था. पुलिस चौकी पर एक एसआई समेत चार कॉन्स्टेबल की तैनाती हुई थी. आरती के वक्त रोज रात में डॉग स्क्वायड और बम स्क्वायड का दस्ता पहुंचकर जांच-पड़ताल करता था. लगभग 6 सीसीटीवी से घाट के अलग-अलग पॉइंट को लैस किया गया था. इसका मेन कनेक्शन इसी पुलिस चौकी में लगाया गया था. समय बीतने के साथ पुलिस चौकी में न पुलिसकर्मी रह गए हैं और न लगाए गए सीसीटीवी कैमरे की मशीनें. यहां तक कि पुलिस चौकी पर ताला लटका है और अंदर लगाए गए कैमरों की मशीनें गायब हैं.
नहीं है कोई बोलने वाला
घाट की सुरक्षा भगवान भरोसे है. ब्लास्ट की 10वीं बरसी पर ईटीवी भारत के इस रियल्टी चेक में गंगा घाट पर सुरक्षा व्यवस्था की न सिर्फ पोल खुल गई, बल्कि किए गए पिछले दावे भी हवा-हवाई साबित हुए हैं. हालात बेहद चिंताजनक हैं और सुरक्षा से बड़ा खिलवाड़ अभी यहां जारी है. स्थानीय लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि आज भी गंगा आरती में भीड़ बहुत होती है, लेकिन सुरक्षा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है. वहीं, इस बारे में जब अधिकारियों से बातचीत की गई तो उन्होंने जानकारी न होने की बात कहते हुए कैमरे पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.