वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन 13 दिसंबर को किया जाना है. इसके पहले ही रविदास समाज के लोगों द्वारा धरना प्रदर्शन किया जा रहा है. रैदाशियों का कहना है कि संत रविदास महाराज जी द्वारा सतना फकीर को यहां उपदेश दिया गया था. जिस का चबूतरा यहां बनाया गया था. इसको लेकर सरकार एवं प्रशासन द्वारा उसके अस्तित्व को बचाने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन वह कार्य पूरा नहीं हुआ है. इसको लेकर रैदासियों द्वारा आवाज भी उठाया गया, पर कोई कार्य नहीं हुआ. इसी मांग को लेकर धरने प्रदर्शन किया जा रहा है.
दरअसल, श्री गुरु रविदास चबूतरा पंचायती चौक के अस्तित्व को बचाने हेतु बुधवार को मैदागिन स्थित श्री गुरु रविदास चबूतरा पर महंत भारत भूषण दास महाराज के नेतृत्व में धरना प्रदर्शन किया गया. इसमें महंत भारत भूषण दास ने बताया कि काशी में संत शिरोमणि श्री रविदास जी महाराज ने चौक पर सदना फकीर को उपदेश दिया था. इससे सदना फकीर भी अमर हो गए. सदना फकीर जब प्रथम बार श्री गुरु रविदास जी महाराज से मिले और शास्त्रार्थ किया वह पराजित हो गया तब से उस स्थान को श्री गुरु रविदास के चबूतरा पंचायती चौक के नाम से पुकारा जाने लगा. जो नगर महापालिका वाराणसी के रिकॉर्ड में दर्ज है.
उनका कहना था, वर्तमान समय में उस जगह पर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर हेतु रविदास समाज के लोगों का भवन अधिग्रहण करते समय मौखिक रूप से अधिकारियों ने कहा था कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाते समय श्री गुरु रविदास चबूतरा पंचायती को भी संरक्षित व सुंदरीकरण कराया जाएगा. लेकिन बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि भवन अधिग्रहण के वर्षों बाद भी आज तक श्री गुरु रविदास चबूतरा पंचायती को संरक्षित व सुंदरीकरण नहीं कराया गया.
आचार्य महंत भारत भूषण ने बताया कि श्री गुरु रविदास चबूतरा पंचायती चौक के अस्तित्व को बचाने के लिए रविदास संत समाज के लोगों द्वारा धरना किया जा रहा है. जब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए भवन अधिग्रहण करना शुरू हुआ था. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के अंतर्गत श्री गुरु रविदास समाज के लोगों की भी बस्तियां थी. ऐसी मान्यता है कि श्री गुरु रविदास महाराज ने सतना फकीर को उपदेश दिया था. इसलिए वहां गुरु रविदास पंचायत चबूतरा को सरकार शासन ने उसके सुंदरीकरण के लिए उसके अस्तित्व को बचाने के लिए आश्वासन दिया था, लेकिन वह कार्य पूरा नहीं हुआ. इसको लेकर मार्च में सारे अधिकारी को पत्र दिया गया था. प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया था फिर भी कुछ नहीं हुआ.
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आचार्य भारत भूषण ने आगे बताया कि 14 दिसंबर को हम लोगों ने संतों के साथ सांकेतिक पदयात्रा संत गुरु रविदास उपदेश स्थल से लेकर विश्वनाथ कॉरिडोर तक किया था. इसके बाद भी प्रशासन नींद से नहीं जागा तो 24 अक्टूबर को पुनः बड़ी विशाल यात्रा संतों के हिसाब निकाला. उसके बाद प्रशासन ने वार्ता करने की बात कही. कमिश्नर ने वार्ता की, बात कही, 19 सितंबर को एडीएम सिटी एवं कार्यपालक अधिकारी विश्वनाथ मंदिर के साथ वार्ता किया गया, जिसका कोई निर्णय नहीं निकला. आज हम लोग मजबूर होकर संतों के साथ धरना पर बैठे हैं. जब तक गुरु रविदास महाराज जी के चबूतरे का सुंदरीकरण नहीं किया जाता है, तब तक हम लोग इस धरने पर बैठे रहेंगे.
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