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काशी में रावण जन्म के साथ शुरू हुआ विश्व प्रसिद्ध रामनगर का रामलीला

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गुरुवार को विश्व प्रसिद्ध रामलीला की शुरुआत हुई है. वृंदावन, अयोध्या, हरिद्वार, चित्रकूट और सीतामढ़ी साधु संतों की टोली लीला प्रेमी के रूप में यहां प्रतिवर्ष भगवान के इन रूपों का दर्शन करने आती है.

प्रसिद्ध रामलीला की शुरुआत हुई है.
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Published : Sep 13, 2019, 7:45 AM IST

वाराणसी: भगवान शिव के नगरी के दक्षिणी छोर पर स्थित रामनगर मैं गुरुवार को विश्व प्रसिद्ध रामलीला की शुरुआत हो गई है. रामलीला में अनंत चतुर्दशी से प्रारंभ होकर अश्विनी पूर्णिमा तक निरंतर 1 महीनों तक चलेगा. रामलीला रामनगर में सन् 1835 से प्रारंभ हुआ और अब तक अनवरत चलता रहा है. इस तरह हम कहे तो काशी में अपने 165 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन किया.

प्रसिद्ध रामलीला की शुरुआत हुई है.

विश्व प्रसिद्ध रामनगर का रामलीला-

  • हर स्थान मजीरे की झनकार के बीच चौपाइयों का गायन किया गया.
  • किसी को भी अपनी और आकर्षित करने के लिए काफी था.
  • लीला की शुरुआत के पहले महाराजा अनंत नारायण सिंह बग्गी पर सवार होकर पहुंचे.
  • इस शाही सवारी में सबसे आगे बनारस स्टेट के निशान के साथ डंका बजाते हुए आए.
  • उसके बाद उनके सुरक्षाकर्मी निकले महाराज के आते ही लीला प्रारंभ हुई.
  • रामलीला में पहले दिन गोधूलि बेला में शाम होते ही राम बाग में रावण जन्म और रामअवतार की भविष्यवाणी हुआ.
  • साथ ही दुनिया के सबसे अनोखे राम चरित्र पर आधारित लीला की शुरुआत शंखनाद हुआ.
  • एक बार फिर काशी रावण के जन्म की गवाह बनी.
  • इस रामलीला को देखने के लिए देश के कोने-कोने से धर्म नगरी से लोग यहां आते हैं.

इसे भी पढ़ें-काशी में पूजा-पाठ के साथ मनाया गया अनंत चतुर्दशी, जानें इसका महत्व

आज रावण जन्म के साथ रावण द्वारा कुबेर पर आक्रमण, कैलाश पर्वत उठाना इसके साथ ही क्षीर सागर में भगवान की झांकी का मंचन हुआ और भविष्यवाणी हुई भगवान राम के जन्म की शेष नैया पर सवार भगवान विष्णु मा लक्ष्मी की भव्य आरती के बाद आज की लीला समाप्त हुई.
- ब्रह्मा, नेमी

वाराणसी: भगवान शिव के नगरी के दक्षिणी छोर पर स्थित रामनगर मैं गुरुवार को विश्व प्रसिद्ध रामलीला की शुरुआत हो गई है. रामलीला में अनंत चतुर्दशी से प्रारंभ होकर अश्विनी पूर्णिमा तक निरंतर 1 महीनों तक चलेगा. रामलीला रामनगर में सन् 1835 से प्रारंभ हुआ और अब तक अनवरत चलता रहा है. इस तरह हम कहे तो काशी में अपने 165 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन किया.

प्रसिद्ध रामलीला की शुरुआत हुई है.

विश्व प्रसिद्ध रामनगर का रामलीला-

  • हर स्थान मजीरे की झनकार के बीच चौपाइयों का गायन किया गया.
  • किसी को भी अपनी और आकर्षित करने के लिए काफी था.
  • लीला की शुरुआत के पहले महाराजा अनंत नारायण सिंह बग्गी पर सवार होकर पहुंचे.
  • इस शाही सवारी में सबसे आगे बनारस स्टेट के निशान के साथ डंका बजाते हुए आए.
  • उसके बाद उनके सुरक्षाकर्मी निकले महाराज के आते ही लीला प्रारंभ हुई.
  • रामलीला में पहले दिन गोधूलि बेला में शाम होते ही राम बाग में रावण जन्म और रामअवतार की भविष्यवाणी हुआ.
  • साथ ही दुनिया के सबसे अनोखे राम चरित्र पर आधारित लीला की शुरुआत शंखनाद हुआ.
  • एक बार फिर काशी रावण के जन्म की गवाह बनी.
  • इस रामलीला को देखने के लिए देश के कोने-कोने से धर्म नगरी से लोग यहां आते हैं.

इसे भी पढ़ें-काशी में पूजा-पाठ के साथ मनाया गया अनंत चतुर्दशी, जानें इसका महत्व

आज रावण जन्म के साथ रावण द्वारा कुबेर पर आक्रमण, कैलाश पर्वत उठाना इसके साथ ही क्षीर सागर में भगवान की झांकी का मंचन हुआ और भविष्यवाणी हुई भगवान राम के जन्म की शेष नैया पर सवार भगवान विष्णु मा लक्ष्मी की भव्य आरती के बाद आज की लीला समाप्त हुई.
- ब्रह्मा, नेमी

Intro:भगवान शिव के नगरी के दक्षिणी छोर पर स्थित रामनगर मैं आज विश्व प्रसिद्ध रामलीला की शुरुआत हो गई। रामलीला आज अनंत चतुर्दशी से प्रारंभ होक अश्विनी पूर्णिमा तक निरंतर 1 महीनों तक चलेगा। रामलीला रामनगर में 1835 से प्रारंभ हुआ अब तक अनवरत चलता रहा है इस तरह हम कहे तो काशी ने आज अपने 165 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन किया।

हर स्थान मजीरे की झंकार के बीच चौपाइयों का गायन किया गया जो किसी को भी अपनी और आकर्षित करने के लिए काफी था


Body:चुप रहो....सावधान.... की आवाज आज से सुनाई देने लगी जो 1 महीने तक सुनाई देगी।

लीला की शुरुआत के पहले महाराजा अनंत नारायण सिंह बग्गी पर सवार होकर पहुंचे इस शाही सवारी में सबसे आगे बनारस स्टेट के निशान के साथ डंका बजाते हुए कारिंदे शहनाई बजाते हुए कलाकार घुड़सवार की टोली और उसके बाद उनके सुरक्षाकर्मी निकले महाराज के आते ही लीला प्रारंभ हुई।

रामलीला में पहले दिन गोधूलि बेला में शाम होते ही राम बाग में रावण जन्म और रामअवतार की भविष्यवाणी के साथ ही दुनिया के सबसे अनोखे राम चरित्र पर आधारित लीला की शुरुआत शंखनाद हुआ। एक बार फिर काशी रावण के जन्म की गवाह बनी। इस रामलीला को देखने के लिए देश के कोने-कोने से धर्म नगरी से लोग यहां आते हैं वृंदावन अयोध्या हरिद्वार चित्रकूट सीतामढ़ी साधु संतों की टोली लीला प्रेमी के रूप में यहां प्रतिवर्ष भगवान के इन रूपों का दर्शन करने आती है।


Conclusion:विश्व प्रसिद्ध रामलीला स्पेशल

रावण द्वारा कैलाश पर्वत के उठाए जाने कुबेर को हराना मेघनाथ द्वारा इंद्र पर विजय आदि लीला आज दिखाई गई। उसके बाद छीर सागर का लीला यही हुआ पोखरे के पश्चिमी और दक्षिणी सीढ़ियों पर बैठ एनीमी और लीला प्रेमी विशाल शेषनाग की शय्या पर लेटे श्रीहरि की पावर दबाती श्री लक्ष्मी की झांकी का दिव्य दर्शन हुआ और आरती किया गया।

ब्रह्मा नेमी ने बताया आज रावण जन्म के साथ रावण द्वारा कुबेर पर आक्रमण कैलाश पर्वत उठाना इसके साथ ही क्षीर सागर में भगवान की झांकी का मंचन हुआ और भविष्यवाणी हुई भगवान राम के जन्म की शेष नैया पर सवार भगवान विष्णु मा लक्ष्मी की भव्य आरती के बाद आज की लीला समाप्त हुई।

नोट विश्व प्रसिद्ध रामलीला में आज भी इलेक्ट्रिसिटी का प्रयोग नहीं होता

बाईट:-- ब्रह्मा, नेमी

अशुतोष उपध्याय

8543930778
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