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महामना की कल्पना के आधार पर लाएंगे नई शिक्षा नीति- डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक - kashi hindu university

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में सोशल मीडिया के जरिए तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार समारोह की शुरुआत की गई. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक रहे.

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सोशल मीडिया माध्यम बीएचयू सेमिनार में संबोधन देते डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक.
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Published : May 11, 2020, 2:18 PM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महामना मालवीय मिशन ने सोशल मीडिया के माध्यम से तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार समारोह की शुरुआत की. तीन दिन चलने वाले इस सेमिनार का विषय 'कोविड-19' वैश्विक महामारी और महामना की 'भारतीय जीवन दृष्टि' पर आधारित है. इस राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने भाग लिया.

विशिष्ट अतिथि एवं वक्ता के तौर पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. धीरेन्द्र पाल सिंह ने भाग लिया. वहीं कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाहक डॉ. कृष्ण गोपाल सहित सभी वक्ताओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बातें रखीं.

नयी शिक्षा नीति पर विचार-केन्द्रीय मंत्री

केन्द्रीय मंत्री मानव संसाधन विकास डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि आज के सन्दर्भ में महामना पण्डित मदनमोहन मालवीय का चिन्तन निश्चित रूप से हमारे लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है. हमारी सांस्कृतिक शक्ति ही हमारा सम्बल है. उन्होंने कहा कि हम महामना की कल्पना के आधार पर नयी शिक्षा नीति लेकर आएंगे, जो वैदिक ज्ञान-विज्ञान पर आधारित होगी.

यूजीसी अध्यक्ष प्रो. धीरेन्द्र पाल सिंह ने कहा कि कोरोना संकट काल में हम सब पुनः संयमित होकर रहना सीख गए हैं. वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने अपने उद्बबोधन में कहा कि कोरोना जैसे संकट का मूल आधार मांसाहार है. महामना एवं गांधी जी ने कभी मांसाहार को स्वीकार नहीं किया. हमें ‘तेन त्यक्तेन भुंजीथा’ अर्थात् दान कर उपभोग करने की वैदिक संस्कृति को अपनाना चाहिए.

महामना पण्डित मदनमोहन मालवीय का जीवन अत्यन्त सरल था. उनकी जीवनशैली का अनुसरण कोरोना से लड़ने में सहायक होगा.

प्रो. राकेश भटनागर, कुलपति बीएचयू

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महामना मालवीय मिशन ने सोशल मीडिया के माध्यम से तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार समारोह की शुरुआत की. तीन दिन चलने वाले इस सेमिनार का विषय 'कोविड-19' वैश्विक महामारी और महामना की 'भारतीय जीवन दृष्टि' पर आधारित है. इस राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने भाग लिया.

विशिष्ट अतिथि एवं वक्ता के तौर पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. धीरेन्द्र पाल सिंह ने भाग लिया. वहीं कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाहक डॉ. कृष्ण गोपाल सहित सभी वक्ताओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बातें रखीं.

नयी शिक्षा नीति पर विचार-केन्द्रीय मंत्री

केन्द्रीय मंत्री मानव संसाधन विकास डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि आज के सन्दर्भ में महामना पण्डित मदनमोहन मालवीय का चिन्तन निश्चित रूप से हमारे लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है. हमारी सांस्कृतिक शक्ति ही हमारा सम्बल है. उन्होंने कहा कि हम महामना की कल्पना के आधार पर नयी शिक्षा नीति लेकर आएंगे, जो वैदिक ज्ञान-विज्ञान पर आधारित होगी.

यूजीसी अध्यक्ष प्रो. धीरेन्द्र पाल सिंह ने कहा कि कोरोना संकट काल में हम सब पुनः संयमित होकर रहना सीख गए हैं. वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने अपने उद्बबोधन में कहा कि कोरोना जैसे संकट का मूल आधार मांसाहार है. महामना एवं गांधी जी ने कभी मांसाहार को स्वीकार नहीं किया. हमें ‘तेन त्यक्तेन भुंजीथा’ अर्थात् दान कर उपभोग करने की वैदिक संस्कृति को अपनाना चाहिए.

महामना पण्डित मदनमोहन मालवीय का जीवन अत्यन्त सरल था. उनकी जीवनशैली का अनुसरण कोरोना से लड़ने में सहायक होगा.

प्रो. राकेश भटनागर, कुलपति बीएचयू

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