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वाराणसी का रेलवे ओवरब्रिज तारों के जंजाल में फंसा, आखिर कब पूरा होगा निर्माण

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Published : Aug 22, 2022, 5:54 PM IST

वाराणसी के कज्जाकपुरा में बन रहे रेलवे ओवरब्रिज का काम बिजली के तारों के कारण अटका है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इसका काम कब पूरा होगा?

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कज्जाकपुरा का रेलवे ओवरब्रिज

वाराणसी: विभागों के आपसी सामंजस्य ना होने के कारण विकास परियोजनाएं कैसे प्रभावित होती हैं, उसकी एक तस्वीर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में देखने को मिल रही है. जहां बिजली के तारों के कारण एक बड़ी योजना उलझ गई है. यह मामला वाराणसी के कज्जाकपुरा में बन रहे रेलवे ओवरब्रिज का है. जिसको जून 2022 तक बन जाना चाहिए था लेकिन अभी तक यह परियोजना अधर में लटकी हुई हैं. अब इस परियोजना की डेडलाइन बढ़ाकर मार्च 2024 कर दी गई है.

यूपी सरकार वाराणसी के विकास के लिए लगातार काम कर रही है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर को खासा ध्यान में रखा गया है. ऐसे में बनारस के ट्रैफिक व्यवस्था के लिए ओवरब्रिज का भी जाल फैलाया जा रहा है लेकिन इस जाल में बिजली के तारों का झाम फंस गया है. दरअसल, कई ओवरब्रिज के साथ ही वाराणसी के कज्जाकपुरा क्षेत्र में भी ओवरब्रिज का काम शुरू किया गया है. यहां काम अधर में लटका हुआ है. बड़ी बात यह है कि यह काम सरकार द्वारा जारी किए गए फंड के कारण नहीं बल्कि दो विभागों के लापरवाही के कारण रुका हुआ है. पहला विभाग तो खुद सेतु निगम है और दूसरा इसमें बिजली विभाग की लापरवाही सामने आई है.

वाराणसी के विकास पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट

2022 तक होना था पूरा लेकिन 2024 तक भी नही दिख रही संभावना

बता दें कि ये मामला कज्जाकपुरा रेलवे ओवरब्रिज का है, जिसे 2022 जून तक पूरा हो जाना था. लेकिन अन्य विभागों के सामंजस्य व बिजली विभाग के तारों के कारण कछुए की रफ्तार से भी धीमा यहां कार्य नहीं हो पा रहा है. दरअसल, राजकीय सेतु निगम के सरैया क्षेत्र में पिलर के लिए स्टील बीम बनाने का काम तेजी से शुरू कर दिया लेकिन बिजली के तार के कारण काम आगे नहीं बढ़ पा रहा हैं. राज्य सेतु निगम ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को पत्र लिखकर तत्काल बिजली के तार को हटाने की मांग की है. परन्तु अब तक तारों का जंजाल नहीं हटाया हैं जिसके कारण बीम की ढलाई नहीं हो पा रही है. हैरान करने वाली बात यह है कि सेतु निगम ने 31 माह में मात्र 8 पिलर तैयार करने के साथ रैंप ढाला है. अभी भी 80 फीसदी काम पूरा करना बाकी है. काम नहीं पूरा होता देख सेतु निगम ने शासन से समय बढ़ाने की मांग भी की थी, जिसके बाद मार्च 2024 तक का अंतिम समय दिया गया हैं.

यह भी पढ़ें: OTT ने लोकल कलाकारों को दिलाई पहचान, पूर्वांचल में बन रही फिल्मों में मिला चांस

पेमेंट के बाद भी नहीं हो रहा कार्य

अधिकारिक सूत्रों की मानें तो आरओबी के निर्माण में सीवर व पेयजल पाइप लाइन और बिजली के तार तारों की बाधा पहुंचाने पर सेतु निगम के द्वारा सवा 24 करोड़ रुपये बिजली, जलकल और गंगा प्रदूषण की इकाई को दिया गया है लेकिन 1 साल बीतने के बाद भी अभी तक वहां से तारों का जंजाल नहीं हटा है. बता दें कि कज्जाकपुरा क्षेत्र के भीषण जाम को देखते हुए यहां पर आरओबी बनाने का निर्णय लिया गया, लेकिन दिन प्रतिदिन कार्य में लेटलतीफी के कारण जाम की समस्या बढ़ती जा रही है.

सेतु निगम के अधिकारियों की माने तो उनका कहना है कि चौकाघाट की तरफ लगने वाले पिलरों का काम लगभग पूरा हो चुका है. सरैया की तरफ बिजली की केबल होने से काम को देरी से शुरू किया गया है. यहां पर लगभग 26 पिलर के पाइलिंग का काम पूरा हो चुका है और आगे बिजली का तार नहीं हटने से कार्य करने में बाधा आ रही है. पत्र लिख दिया गया है जैसे समस्या का समाधान होगा, आगे की कार्रवाई पूरी की जाएगी.

यह भी पढ़ें: वाराणसी में मणिकर्णिका घाट की गलियों में भरा गंगा का पानी, दाह संस्कार के लिए वेटिंग

विभागों के असामंजस्य से नही हट पा रहा तार

वह इस बारे में बिजली विभाग के मुख्य अभियंता ने बताया कि मामला संज्ञान में है. लेकिन यह तारों के हटाने का मामला है और तारों को हटाने के साथ इसे लगाने के लिए भी हमें पर्याप्त स्थान की जरूरत होगी. इसके लिए अन्य विभागों की भी जिम्मेदारी बनती है.परंतु अन्य विभाग सामंजस्य के साथ कार्य नहीं कर रहे हैं, जिस वजह से कार्य करने में विलंब हो रहा है. वहां पर अतिक्रमण की भी समस्या है यदि अन्य विभाग सहयोग करेंगे तो यह कार्य जल्द हो जाएगा, परंतु हम अपने स्तर से जिला प्रशासन से इस बाबत बात करके जल्द ही इस समस्या का समाधान करेंगे.

एक नजर परियोजना पर

इस आरओबी की लंबाई 1355.51मीटर हैं, जिसकी लागत 14452.56 लाख हैं. ये कार्य सितम्बर 2019 से शुरू हुआ है, जिसे मार्च 2024 तक पूरा होना है. इसको लेकर बिजली विभाग को 19 करोड़ जलकल को 4.73 करोड़, जलकल संस्थान को 63 लाख रूपये दिए गए हैं.


वाराणसी: विभागों के आपसी सामंजस्य ना होने के कारण विकास परियोजनाएं कैसे प्रभावित होती हैं, उसकी एक तस्वीर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में देखने को मिल रही है. जहां बिजली के तारों के कारण एक बड़ी योजना उलझ गई है. यह मामला वाराणसी के कज्जाकपुरा में बन रहे रेलवे ओवरब्रिज का है. जिसको जून 2022 तक बन जाना चाहिए था लेकिन अभी तक यह परियोजना अधर में लटकी हुई हैं. अब इस परियोजना की डेडलाइन बढ़ाकर मार्च 2024 कर दी गई है.

यूपी सरकार वाराणसी के विकास के लिए लगातार काम कर रही है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर को खासा ध्यान में रखा गया है. ऐसे में बनारस के ट्रैफिक व्यवस्था के लिए ओवरब्रिज का भी जाल फैलाया जा रहा है लेकिन इस जाल में बिजली के तारों का झाम फंस गया है. दरअसल, कई ओवरब्रिज के साथ ही वाराणसी के कज्जाकपुरा क्षेत्र में भी ओवरब्रिज का काम शुरू किया गया है. यहां काम अधर में लटका हुआ है. बड़ी बात यह है कि यह काम सरकार द्वारा जारी किए गए फंड के कारण नहीं बल्कि दो विभागों के लापरवाही के कारण रुका हुआ है. पहला विभाग तो खुद सेतु निगम है और दूसरा इसमें बिजली विभाग की लापरवाही सामने आई है.

वाराणसी के विकास पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट

2022 तक होना था पूरा लेकिन 2024 तक भी नही दिख रही संभावना

बता दें कि ये मामला कज्जाकपुरा रेलवे ओवरब्रिज का है, जिसे 2022 जून तक पूरा हो जाना था. लेकिन अन्य विभागों के सामंजस्य व बिजली विभाग के तारों के कारण कछुए की रफ्तार से भी धीमा यहां कार्य नहीं हो पा रहा है. दरअसल, राजकीय सेतु निगम के सरैया क्षेत्र में पिलर के लिए स्टील बीम बनाने का काम तेजी से शुरू कर दिया लेकिन बिजली के तार के कारण काम आगे नहीं बढ़ पा रहा हैं. राज्य सेतु निगम ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को पत्र लिखकर तत्काल बिजली के तार को हटाने की मांग की है. परन्तु अब तक तारों का जंजाल नहीं हटाया हैं जिसके कारण बीम की ढलाई नहीं हो पा रही है. हैरान करने वाली बात यह है कि सेतु निगम ने 31 माह में मात्र 8 पिलर तैयार करने के साथ रैंप ढाला है. अभी भी 80 फीसदी काम पूरा करना बाकी है. काम नहीं पूरा होता देख सेतु निगम ने शासन से समय बढ़ाने की मांग भी की थी, जिसके बाद मार्च 2024 तक का अंतिम समय दिया गया हैं.

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पेमेंट के बाद भी नहीं हो रहा कार्य

अधिकारिक सूत्रों की मानें तो आरओबी के निर्माण में सीवर व पेयजल पाइप लाइन और बिजली के तार तारों की बाधा पहुंचाने पर सेतु निगम के द्वारा सवा 24 करोड़ रुपये बिजली, जलकल और गंगा प्रदूषण की इकाई को दिया गया है लेकिन 1 साल बीतने के बाद भी अभी तक वहां से तारों का जंजाल नहीं हटा है. बता दें कि कज्जाकपुरा क्षेत्र के भीषण जाम को देखते हुए यहां पर आरओबी बनाने का निर्णय लिया गया, लेकिन दिन प्रतिदिन कार्य में लेटलतीफी के कारण जाम की समस्या बढ़ती जा रही है.

सेतु निगम के अधिकारियों की माने तो उनका कहना है कि चौकाघाट की तरफ लगने वाले पिलरों का काम लगभग पूरा हो चुका है. सरैया की तरफ बिजली की केबल होने से काम को देरी से शुरू किया गया है. यहां पर लगभग 26 पिलर के पाइलिंग का काम पूरा हो चुका है और आगे बिजली का तार नहीं हटने से कार्य करने में बाधा आ रही है. पत्र लिख दिया गया है जैसे समस्या का समाधान होगा, आगे की कार्रवाई पूरी की जाएगी.

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विभागों के असामंजस्य से नही हट पा रहा तार

वह इस बारे में बिजली विभाग के मुख्य अभियंता ने बताया कि मामला संज्ञान में है. लेकिन यह तारों के हटाने का मामला है और तारों को हटाने के साथ इसे लगाने के लिए भी हमें पर्याप्त स्थान की जरूरत होगी. इसके लिए अन्य विभागों की भी जिम्मेदारी बनती है.परंतु अन्य विभाग सामंजस्य के साथ कार्य नहीं कर रहे हैं, जिस वजह से कार्य करने में विलंब हो रहा है. वहां पर अतिक्रमण की भी समस्या है यदि अन्य विभाग सहयोग करेंगे तो यह कार्य जल्द हो जाएगा, परंतु हम अपने स्तर से जिला प्रशासन से इस बाबत बात करके जल्द ही इस समस्या का समाधान करेंगे.

एक नजर परियोजना पर

इस आरओबी की लंबाई 1355.51मीटर हैं, जिसकी लागत 14452.56 लाख हैं. ये कार्य सितम्बर 2019 से शुरू हुआ है, जिसे मार्च 2024 तक पूरा होना है. इसको लेकर बिजली विभाग को 19 करोड़ जलकल को 4.73 करोड़, जलकल संस्थान को 63 लाख रूपये दिए गए हैं.


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